Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 9
छोटे प्रश्न
1. प्रतापनारायण मिश्र का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर: 1856 ई. में उन्नाव जिले के बैजे गाँव में।
2. उनके पिता का नाम क्या था और वे क्या थे?
उत्तर: उनके पिता का नाम संकटाप्रसाद था, वे एक विख्यात ज्योतिषी थे।
3. प्रतापनारायण मिश्र ने कौन-कौन सी भाषाएँ सीखी थीं?
उत्तर: हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत और बँगला।
4. उनकी प्रमुख कृतियों में कौन-कौन सी पुस्तकें शामिल हैं?
उत्तर: प्रताप पीयूष, हठी हम्मीर, भारत-दुर्दशा, गौ-संकट।
5. उन्होंने किन पत्रिकाओं का संपादन किया?
उत्तर: ब्राह्मण और हिन्दुस्तान।
6. उनका साहित्यिक जीवन किससे प्रारंभ हुआ?
उत्तर: ख्याल और लावनियों से।
7. उनके गुरु कौन थे?
उत्तर: भारतेन्दु हरिश्चंद्र।
8. प्रतापनारायण मिश्र ने कौन-सा मंच स्थापित किया?
उत्तर: नाटक सभा।
9. उनकी भाषा-शैली कैसी थी?
उत्तर: सरल, प्रवाहयुक्त और व्यावहारिक।
10. ‘बात’ निबंध में ‘बात’ को किससे जोड़ा गया है?
उत्तर: ईश्वर और जीवन के हर पहलू से।
11. ‘बातहि हाथी पाइये’ का अर्थ क्या है?
उत्तर: बात से बड़े कार्य सिद्ध हो सकते हैं।
12. ‘कलामुल्लाह’ का अर्थ क्या है?
उत्तर: ईश्वर का वचन।
13. उनके साहित्य में हास्य और व्यंग्य का किस प्रकार उपयोग किया गया है?
उत्तर: हास्य-व्यंग्य से गहराई और चमत्कार उत्पन्न किया।
14. उनकी मृत्यु कब हुई?
उत्तर: 1894 ई. में।
15. उन्होंने किन ग्रंथों का अनुवाद किया?
उत्तर: राधारानी, राजसिंह, देवी चौधरानी आदि।
लंबे प्रश्न
1. प्रतापनारायण मिश्र का जीवन-परिचय दीजिए।
उत्तर: प्रतापनारायण मिश्र का जन्म 1856 ई. में उन्नाव जिले के बैजे गाँव में हुआ। इनके पिता संकटाप्रसाद ज्योतिषी थे। वे हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत और बँगला भाषा के ज्ञाता थे। मात्र 38 वर्ष की आयु में 1894 ई. में कानपुर में उनका निधन हो गया।
2. प्रतापनारायण मिश्र के साहित्यिक जीवन का वर्णन करें।
उत्तर: मिश्र जी ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत ख्याल और लावनियों से की। बाद में वे गद्य और निबंध लेखन में सक्रिय हो गए। भारतेन्दु हरिश्चंद्र के प्रभाव से उन्होंने व्यावहारिक और सरल शैली अपनाई। वे नाटक सभा के माध्यम से हिंदी रंगमंच को समृद्ध करना चाहते थे।
3. ‘बात’ निबंध में ‘बात’ की महिमा को कैसे समझाया गया है?
उत्तर: निबंध ‘बात’ में लेखक ने बात को जीवन का अभिन्न हिस्सा बताया है। बात के माध्यम से प्रेम, वैर, सुख-दुख, और विश्वास व्यक्त होते हैं। ईश्वर के वचन को भी बात के रूप में देखा गया है। बात से बड़े से बड़े कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।
4. मिश्र जी की भाषा-शैली की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: मिश्र जी की भाषा-शैली सरल, प्रवाहपूर्ण और मुहावरेदार थी। उन्होंने आम बोलचाल की भाषा का उपयोग किया, जिससे पाठक जुड़ाव महसूस करें। हास्य-व्यंग्य और गहराई उनकी शैली की प्रमुख विशेषताएँ थीं। उन्होंने उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का भी सुंदर प्रयोग किया।
5. मिश्र जी ने ‘बात’ में ईश्वर और बात को कैसे जोड़ा है?
उत्तर: लेखक ने कहा कि ईश्वर निराकार है, परंतु उनके वचन विभिन्न धर्मग्रंथों में हैं। वेद, कुरान और बाइबिल को ईश्वर की बात माना गया है। यह दिखाता है कि बात का प्रभाव ईश्वर तक पहुँचता है। बात का यही महत्व मानव जीवन में भी दर्शाया गया है।
6. प्रतापनारायण मिश्र की प्रमुख कृतियों का वर्णन करें।
उत्तर: उनकी प्रमुख कृतियों में प्रताप पीयूष, हठी हम्मीर, भारत-दुर्दशा और गौ-संकट शामिल हैं। उन्होंने ब्राह्मण और हिन्दुस्तान पत्रों का संपादन भी किया। उन्होंने मौलिक और अनूदित रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनके अनुवाद कार्यों में राधारानी, राजसिंह, और देवी चौधरानी प्रमुख हैं।
7. ‘बातहि हाथी पाइये’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि बातों से बड़े कार्य पूरे किए जा सकते हैं। सही ढंग से कही गई बात से शत्रु मित्र बन सकता है। परंतु गलत बात से संबंध बिगड़ भी सकते हैं। बात ही व्यक्ति की प्रतिष्ठा और सफलता का आधार होती है।
8. भारतेन्दु हरिश्चंद्र का मिश्र जी के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: भारतेन्दु हरिश्चंद्र को मिश्र जी ने अपना गुरु माना। उन्होंने भारतेन्दु की व्यावहारिक भाषा शैली को अपनाया। उनकी प्रेरणा से मिश्र जी ने कई मौलिक और अनूदित रचनाएँ लिखीं। भारतेन्दु के समान वे भी हिंदी साहित्य और रंगमंच को बढ़ावा देने में लगे रहे।
9. मिश्र जी की हास्य-व्यंग्य शैली का वर्णन करें।
उत्तर: उनकी हास्य-व्यंग्य शैली चमत्कारपूर्ण और रोचक थी। साधारण विषयों को भी वे अद्भुत और प्रभावी बना देते थे। उनकी रचनाओं में गहराई और समाज की विसंगतियों पर व्यंग्य होता था। ‘बात’ निबंध में यह शैली स्पष्ट रूप से झलकती है।
10. ‘बात’ निबंध का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: ‘बात’ निबंध का उद्देश्य बात की महत्ता और प्रभाव को समझाना है। लेखक ने इसे जीवन का आधार और संबंधों की डोर बताया है। बात के माध्यम से प्रेम, वैर, सुख-दुख और विश्वास व्यक्त होते हैं। यह निबंध मानव जीवन में संवाद और संबंधों के महत्व को उजागर करता है।
11. मिश्र जी की प्रमुख अनूदित कृतियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: उनकी अनूदित कृतियों में राधारानी, राजसिंह, देवी चौधरानी, और संगीत शाकुन्तल प्रमुख हैं। इन अनुवादों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उन्होंने बँगला साहित्य के कई ग्रंथों को हिंदी में अनुवादित किया। इनके माध्यम से हिंदी पाठकों को अन्य भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्य से परिचित कराया।
12. प्रतापनारायण मिश्र के साहित्य में हास्य और व्यंग्य का महत्व क्या है?
उत्तर: मिश्र जी ने हास्य-व्यंग्य के माध्यम से समाज की विसंगतियों को उजागर किया। उनकी रचनाएँ न केवल मनोरंजक थीं, बल्कि पाठकों को सोचने पर मजबूर करती थीं। उनके व्यंग्य में गहराई और चमत्कार का मेल था। उनकी यह शैली पाठकों को लंबे समय तक प्रभावित करती है।
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