Important Questions For All Chapters – हिन्दी Class 8
छोटे प्रश्न
1. यह पाठ किस लेखक की रचना है?
- हरिशंकर परसाई।
2. लेखक और उनके मित्रों ने किस समय की बस से जाने का निर्णय किया?
- शाम 4 बजे की बस।
3. लोगों ने इस बस के बारे में क्या राय दी?
- उन्होंने कहा कि समझदार लोग इस बस से सफर नहीं करते।
4. बस को लेखक ने किससे तुलना की?
- लेखक ने बस को एक वृद्धा के रूप में देखा।
5. ड्राइवर ने पेट्रोल इंजन तक कैसे पहुँचाया?
- बाल्टी में पेट्रोल निकालकर नली से इंजन में पहुँचाया।
6. बस यात्रा के दौरान प्रकृति के कौन-से दृश्य दिखाए गए?
- हरे-भरे पेड़ और झीलें।
7. बस का ब्रेक डाउन होने पर लेखक को क्या लगा?
- उन्होंने सोचा कि शायद बस यहीं थम जाएगी।
8. बस के हिस्सेदार ने बस के बारे में क्या कहा?
- उन्होंने इसे ‘फरुट क्लास’ बस कहा।
9. बस के धीमे होने पर लेखक को क्या महसूस हुआ?
- उन्हें लगा कि बस जैसे थककर बैठ गई हो।
10. हरिशंकर परसाई का जन्म कब और कहाँ हुआ?
- 22 अगस्त 1924 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में।
लंबे प्रश्न
1. बस यात्रा के दौरान लेखक ने बस को कैसे व्यक्त किया?
- लेखक ने बस को एक बूढ़ी महिला की तरह दिखाया, जो बहुत पुरानी और कमजोर थी। बस की हालत इतनी खराब थी कि ऐसा लगा जैसे यह खुद से चल रही हो। लेखक ने इसे श्रद्धा और मजाक के साथ वर्णन किया, जिससे यात्रा का अनुभव रोचक और हास्यास्पद बन गया।
2. लेखक और उनके दोस्तों ने इस बस से यात्रा क्यों की?
- लेखक और उनके दोस्तों को सुबह तक घर पहुँचना था, इसलिए उन्होंने शाम की इस बस को चुना। यह बस उन्हें सही समय पर ट्रेन से जोड़ सकती थी। हालांकि, लोगों ने उन्हें इस बस से यात्रा करने से मना किया था क्योंकि इसकी हालत बहुत खराब थी।
3. ड्राइवर ने पेट्रोल की समस्या कैसे हल की?
- पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया था, इसलिए ड्राइवर ने बाल्टी में पेट्रोल भरा और एक नली के जरिए इंजन में पहुँचाया। लेखक ने इस दृश्य को मजाकिया तरीके से प्रस्तुत किया और कहा कि ऐसा लग रहा था जैसे इंजन को दूध पिलाया जा रहा हो।
4. बस के रुकने पर लेखक और यात्रियों ने क्या प्रतिक्रिया दी?
- जब बस रुकी, तो सभी यात्री चिंतित हो गए। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने स्थिति को स्वीकार कर लिया और मजाक करने लगे। लेखक ने इसे “सविनय अवज्ञा आंदोलन” के रूप में वर्णित किया, जहाँ बस के हर हिस्से ने असहयोग करना शुरू कर दिया था।
5. प्रकृति के दृश्य और लेखक का डर क्या था?
- यात्रा के दौरान लेखक ने पेड़ों और झीलों के सुंदर दृश्य देखे, लेकिन उन्हें हर पेड़ दुश्मन की तरह लगा। वह डरते थे कि बस किसी पेड़ से टकरा जाएगी या झील में गिर जाएगी। यह डर हास्यास्पद तरीके से प्रस्तुत किया गया।
6. बस यात्रा को लेखक ने जीवन के किस पहलू से जोड़ा?
- लेखक ने बस यात्रा को जीवन और मृत्यु के दर्शन से जोड़ा। उन्होंने मजाक में कहा कि यह बस उन्हें सीधे इस लोक से परलोक तक पहुँचाएगी। यह बस मानो जिंदगी की आखिरी यात्रा थी।
7. बस कंपनी के हिस्सेदार का साहस कैसे प्रकट होता है?
- बस कंपनी का हिस्सेदार इतनी खराब हालत में भी उसी बस में सफर कर रहा था। लेखक ने इसे उनका साहस और बलिदान माना और कहा कि ऐसे व्यक्ति को किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए।
8. बस के खराब होने के बाद यात्रियों की मनःस्थिति कैसी थी?
- शुरुआत में यात्री परेशान और चिंतित थे। लेकिन बाद में उन्होंने स्थिति को हँसी-मजाक में बदल दिया और अपनी यात्रा का आनंद लेने लगे। लेखक ने इसे मानवीय स्वभाव का प्रतीक बताया।
9. हरिशंकर परसाई के व्यंग्य का मुख्य तत्व क्या है?
- हरिशंकर परसाई के व्यंग्य में यथार्थ, हास्य और कटाक्ष का अद्भुत मिश्रण है। वह समाज की कमजोरियों, भ्रष्टाचार और स्वार्थ को मजाकिया लेकिन तीखे अंदाज में प्रस्तुत करते हैं।
10. बस के ब्रेकडाउन पर लेखक ने क्या सोचा?
- लेखक ने मजाक में सोचा कि अगर बस यहीं रुक गई तो वे सब बस में ही रह जाएँगे। उन्होंने इसे जीवन की अनिश्चितता और मजाकिया रूप से मानव स्वभाव से जोड़ा।
11. बस की हालत को लेखक ने गांधीजी के आंदोलनों से कैसे जोड़ा?
- लेखक ने कहा कि बस के हर हिस्से ने एक-दूसरे से असहयोग करना शुरू कर दिया, जैसे गांधीजी के असहयोग आंदोलन में होता था। उन्होंने इसे “सविनय अवज्ञा आंदोलन” कहा, जिससे पूरी बस अस्त-व्यस्त हो गई थी।
12. हरिशंकर परसाई के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डालिए।
- हरिशंकर परसाई हिन्दी के महान व्यंग्यकार थे। उन्होंने समाज की कमजोरियों, भ्रष्टाचार और स्वार्थ पर तीखे और मजाकिया प्रहार किए। उनकी प्रमुख रचनाएँ ‘सदाचार का ताबीज’, ‘पगडंडियों का जमाना’ और ‘निठल्ले की डायरी’ हैं। उनका व्यंग्य सरल भाषा में गहरा संदेश देता है।
Leave a Reply