Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 10
लघु प्रश्न
1. रामनरेश त्रिपाठी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर: 4 मार्च 1889 को कोइरीपुर, जौनपुर में।
2. त्रिपाठीजी की प्रमुख रचनाओं में कौन-कौन सी शामिल हैं?
उत्तर: ‘पथिक’, ‘मिलन’, ‘स्वप्न’, ‘ग्राम्य गीत’।
3. त्रिपाठीजी ने किन-किन भाषाओं का अध्ययन किया?
उत्तर: हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, संस्कृत, और गुजराती।
4. त्रिपाठीजी की भाषा-शैली की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: सरल, प्रवाहपूर्ण, वर्णनात्मक, और उपदेशात्मक।
5. त्रिपाठीजी को कौन सा पुरस्कार प्राप्त हुआ?
उत्तर: हिन्दुस्तान अकादमी पुरस्कार।
6. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: मातृभूमि के प्रति प्रेम और निष्ठा।
7. कवि ने मातृभूमि को किससे तुलना की है?
उत्तर: स्वर्ग-सी सुखद और पूजनीय बताया।
8. कवि ने मृत्यु को किस रूप में देखा है?
उत्तर: विश्राम स्थल और नया जीवन।
9. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता में कौन सा अलंकार है?
उत्तर: रूपक और अनुप्रास।
10. कवि ने हिमालय को क्या कहा है?
उत्तर: सत्यरूप हिमगिरिवर।
11. कविता में मातृभूमि के जल को क्या कहा गया है?
उत्तर: जीवनदायिनी और अमूल्य।
12. मातृभूमि के प्रति निष्ठा क्यों आवश्यक है?
उत्तर: यह जीवन और संस्कार का आधार है।
13. कवि ने अतीत के गौरव को किससे जोड़ा है?
उत्तर: हिमालय, नदियों, और समुद्र से।
14. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता में किस रस का प्रयोग हुआ है?
उत्तर: राष्ट्र-प्रेम रस।
15. कविता में किस प्रकार की प्राकृतिक छवियाँ चित्रित हैं?
उत्तर: हिमालय, नदियाँ, और समुद्र।
16. मातृभूमि का जल और अन्न मनुष्य को क्या देता है?
उत्तर: जीवन और पोषण।
17. कवि ने मृत्यु को कैसे स्वागत करने योग्य बताया है?
उत्तर: निर्भय होकर और तृप्ति के साथ।
18. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता में मातृभूमि को क्या विशेषण दिया गया है?
उत्तर: धरा-शिरोमणि।
19. मातृभूमि के प्रति मनुष्य का क्या कर्तव्य है?
उत्तर: उसका संरक्षण और सेवा।
20. कवि ने जीवन और त्याग का क्या संबंध बताया है?
उत्तर: त्याग को सच्चे प्रेम का आधार।
दीर्घ प्रश्न
1. त्रिपाठीजी का साहित्यिक योगदान क्या है?
उत्तर: रामनरेश त्रिपाठी ने हिंदी साहित्य में कविता, कहानी, नाटक, निबंध, और आलोचना में योगदान दिया। उनकी रचनाओं में राष्ट्र-प्रेम, मानवता, और आदर्शवाद के भाव प्रमुख हैं। ‘पथिक’ और ‘मिलन’ जैसे खंडकाव्य उनकी सर्वश्रेष्ठ कृतियाँ हैं।
2. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।
उत्तर: ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता का केन्द्रीय भाव मातृभूमि के प्रति निष्ठा और बलिदान है। कवि ने मातृभूमि के अतीत के गौरव और राष्ट्र की महिमा को व्यक्त किया है। यह कविता देशभक्ति और सेवा के लिए प्रेरित करती है।
3. त्रिपाठीजी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: त्रिपाठीजी की भाषा सरल, स्वाभाविक और प्रवाहपूर्ण थी। उन्होंने खड़ीबोली का प्रयोग करते हुए उसमें मधुरता और ओज भरा। उनकी शैली वर्णनात्मक और उपदेशात्मक थी, जो पाठकों को आकर्षित करती है।
4. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता में अतीत के गौरव का वर्णन करें।
उत्तर: इस कविता में हिमालय, नदियों, और समुद्र के माध्यम से अतीत के गौरव का चित्रण है। कवि ने मातृभूमि की विजय-गाथाओं और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया है। यह अतीत के गौरव की प्रेरणा देती है।
5. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता में मृत्यु को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर: कवि ने मृत्यु को जीवन का विश्राम स्थल और नवजीवन का आरंभ बताया है। इसे डरने की बजाय निर्भय होकर स्वीकार करने योग्य कहा गया है। यह मृत्यु को एक प्राकृतिक और आवश्यक प्रक्रिया मानता है।
6. त्रिपाठीजी की रचनाओं में प्रकृति का योगदान बताइए।
उत्तर: त्रिपाठीजी की रचनाओं में प्रकृति का सुंदर और सजीव चित्रण है। हिमालय, नदियाँ, और समुद्र जैसी प्राकृतिक छवियों को उन्होंने राष्ट्र के गौरव से जोड़ा। प्रकृति का उपयोग उन्होंने आलंबन और उद्दीपन के रूप में किया है।
7. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता में राष्ट्र-प्रेम का संदेश क्या है?
उत्तर: ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता राष्ट्र-प्रेम, त्याग, और निष्ठा का संदेश देती है। कवि ने मातृभूमि के प्रति कर्तव्य और सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया है। यह कविता बलिदान और मानवता के विकास को प्रेरित करती है।
8. त्रिपाठीजी के साहित्य में आदर्शवाद कैसे प्रकट होता है?
उत्तर: उनके साहित्य में आदर्शवाद राष्ट्र-प्रेम, मानवता और त्याग के रूप में प्रकट होता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में समाज के लिए आदर्श जीवन और सेवा की प्रेरणा दी। उनकी रचनाएँ नई चेतना और नवयुग का संकेत देती हैं।
9. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता में हिमालय और नदियों का क्या महत्व है?
उत्तर: कविता में हिमालय को सत्यरूप और गौरव का प्रतीक माना गया है। नदियाँ मातृभूमि की जीवनदायिनी शक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक हैं। ये छवियाँ राष्ट्र के गौरव और उसकी अडिगता को व्यक्त करती हैं।
10. त्रिपाठीजी की रचनाओं में त्याग और प्रेम का क्या महत्व है?
उत्तर: उनकी रचनाओं में त्याग और प्रेम को मानवता और सच्चे जीवन का आधार बताया गया है। उन्होंने बलिदान को प्रेम की पराकाष्ठा के रूप में प्रस्तुत किया। यह संदेश उनकी कविताओं को प्रेरणादायक बनाता है।
11. ‘स्वदेश-प्रेम’ कविता में बलिदान को कैसे चित्रित किया गया है?
उत्तर: बलिदान को मातृभूमि के प्रति सबसे बड़ा कर्तव्य बताया गया है। कवि ने इसे स्वाभाविक और राष्ट्र-प्रेम का अनिवार्य अंग माना है। बलिदान के बिना प्रेम को अधूरा बताया गया है।
12. त्रिपाठीजी का व्यक्तित्व उनकी कविताओं में कैसे झलकता है?
उत्तर: उनकी कविताओं में राष्ट्र-प्रेम, मानवता, और सेवा के भाव प्रकट होते हैं। उनका व्यक्तित्व एक आदर्शवादी और परिश्रमी साहित्यकार का था। उनकी रचनाएँ उनके जीवन के आदर्शों और मान्यताओं को प्रतिबिंबित करती हैं।
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