Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 10
लघु प्रश्न
1. सूरदास का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर: जन्म 1478 ई. में रुनकता गाँव में हुआ।
2. सूरदास का संबंध किस काव्य युग से है?
उत्तर: सूरदास भक्तिकाल से संबंधित हैं।
3. सूरदास को किसने कृष्णलीला गाने की प्रेरणा दी?
उत्तर: वल्लभाचार्य ने उन्हें प्रेरणा दी।
4. सूरदास की प्रमुख रचना कौन सी है?
उत्तर: सूरसागर उनकी प्रमुख रचना है।
5. वल्लभाचार्य ने सूरदास को कहाँ कीर्तन करने के लिए रखा?
उत्तर: गोवर्धन के श्रीनाथजी मंदिर में।
6. सूरदास की भक्ति का मुख्य भाव कौन सा है?
उत्तर: उनकी भक्ति मुख्यतः सखा भाव की है।
7. ‘सूरसागर’ में कुल कितने पद बताए जाते हैं?
उत्तर: सवा लाख पद बताए गए हैं।
8. सूरदास की मृत्यु कब और कहाँ हुई?
उत्तर: 1583 ई. में पारसौली गाँव में।
9. सूरदास की भाषा क्या थी?
उत्तर: उनकी भाषा ब्रजभाषा थी।
10. सूरदास किस रस के लिए प्रसिद्ध हैं?
उत्तर: वात्सल्य रस के लिए।
11. अष्टछाप में कुल कितने कवि थे?
उत्तर: अष्टछाप में कुल आठ कवि थे।
12. सूरदास की रचना में कौन-सा प्रसंग प्रमुख है?
उत्तर: भ्रमरगीत प्रसंग प्रमुख है।
13. सूरदास ने किस रस में गोपियों का वर्णन किया?
उत्तर: उन्होंने शृंगार रस में गोपियों का वर्णन किया।
14. सूरदास की काव्य शैली क्या है?
उत्तर: उनकी शैली मुक्तक शैली है।
15. सूरदास के पद किस पर आधारित हैं?
उत्तर: राग-रागिनियों पर आधारित हैं।
16. सूरदास के पदों में मुख्य रूप से क्या वर्णन है?
उत्तर: कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन।
17. वल्लभाचार्य के पुत्र का नाम क्या था?
उत्तर: वल्लभाचार्य के पुत्र का नाम विट्ठलनाथ था।
18. सूरदास ने किसका खंडन किया?
उत्तर: उन्होंने निराकार ब्रह्म का खंडन किया।
19. सूरदास का काव्य किस प्रकार का है?
उत्तर: उनका काव्य गीतिकाव्य है।
20. सूरदास को हिन्दी साहित्य में क्या कहा जाता है?
उत्तर: उन्हें हिन्दी साहित्य का सूरज कहा जाता है।
दीर्घ प्रश्न
1. वल्लभाचार्य ने सूरदास को क्या सलाह दी?
उत्तर: वल्लभाचार्य ने सूरदास को कृष्ण की लीलाओं का गान करने की सलाह दी। उन्होंने सूरदास को अपना शिष्य बनाया और उन्हें गोवर्धन के श्रीनाथजी मंदिर में कीर्तन का कार्य सौंपा। इस सलाह से सूरदास की काव्य यात्रा ने नई दिशा पाई।
2. ‘सूरसागर’ के विषय में जानकारी दीजिए।
उत्तर: ‘सूरसागर’ में कृष्ण की बाल लीलाओं और गोपियों के प्रेम का वर्णन है। इसमें सवा लाख पद बताए गए हैं, जिनमें से लगभग दस हजार उपलब्ध हैं। यह सूरदास की सबसे प्रसिद्ध कृति मानी जाती है।
3. सूरदास की मृत्यु का उल्लेख करें।
उत्तर: सूरदास की मृत्यु 1583 ई. में गोवर्धन के पास पारसौली गाँव में हुई। उन्होंने अपना पूरा जीवन भक्ति और कृष्णलीला के गान में समर्पित किया। उनकी रचनाएँ आज भी हिन्दी साहित्य का गौरव हैं।
4. सूरदास के वात्सल्य रस का वर्णन कीजिए।
उत्तर: सूरदास ने वात्सल्य रस में कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया है। बालकृष्ण की तोतली बातें, माँ यशोदा की ममता, और गोपियों का स्नेह इनकी रचनाओं में दिखता है। उनकी रचनाएँ वात्सल्य रस का अद्भुत उदाहरण हैं।
5. सूरदास की भाषा की विशेषता बताइए।
उत्तर: सूरदास की भाषा ब्रजभाषा है, जिसमें माधुर्य और सरलता है। उनकी भाषा में उपमा, उत्प्रेक्षा, और रूपकों का सुंदर उपयोग मिलता है। यही कारण है कि उनकी रचनाएँ अत्यधिक प्रभावशाली हैं।
6. ‘भ्रमरगीत’ प्रसंग का महत्व बताइए।
उत्तर: ‘भ्रमरगीत’ में गोपियों और उद्धव के संवाद का वर्णन है। इसमें गोपियों ने निराकार ब्रह्म की बजाय साकार रूप की भक्ति को श्रेष्ठ बताया। यह प्रसंग भक्ति और प्रेम का गहन चित्रण करता है।
7. सूरदास के काव्य की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर: सूरदास के काव्य में तन्मयता और भावनात्मक गहराई है। उन्होंने कृष्ण की लीलाओं का ऐसा वर्णन किया है, जिससे पाठक आत्मविभोर हो जाते हैं। उनकी रचनाएँ सरल, सरस और भावप्रधान हैं।
8. अष्टछाप का क्या महत्व है?
उत्तर: अष्टछाप वल्लभाचार्य द्वारा बनाए गए आठ कृष्णभक्त कवियों का समूह था। इसमें सूरदास सहित सात अन्य कवि शामिल थे। यह समूह भक्तिकाल में भक्ति और काव्य का प्रचार करता था।
9. गोपियों ने निराकार ब्रह्म का खंडन कैसे किया?
उत्तर: गोपियों ने कहा कि साकार रूप की भक्ति अधिक सरल और प्रेममयी है। उन्होंने उद्धव को प्रेम और भक्ति का महत्व समझाया। यह विचार ‘भ्रमरगीत’ प्रसंग में दर्शाया गया है।
10. सूरदास का कृष्ण प्रेम किस प्रकार व्यक्त होता है?
उत्तर: सूरदास का कृष्ण प्रेम उनकी रचनाओं में सजीव हो उठता है। उन्होंने कृष्ण की बाल लीलाओं, गोपियों के प्रेम, और ब्रज की प्रकृति का वर्णन किया। उनका काव्य भक्ति और प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है।
11. सूरदास की मुक्तक शैली को समझाइए।
उत्तर: सूरदास ने मुक्तक शैली में पदों की रचना की। उनके पद छोटे, सरल और प्रभावशाली हैं। इस शैली ने उनके काव्य को अधिक सरस और गेय बनाया।
12. वल्लभाचार्य और सूरदास के संबंध पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: वल्लभाचार्य ने सूरदास को कृष्णलीला गाने की प्रेरणा दी और उन्हें शिष्य बनाया। उन्होंने सूरदास को गोवर्धन के मंदिर में कीर्तन करने की जिम्मेदारी सौंपी। इस संबंध ने सूरदास के जीवन और साहित्य को नया रूप दिया।
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