Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 10
लघु प्रश्न
1. रामधारीसिंह ‘दिनकर’ का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर: 30 सितम्बर 1908, सिमरिया गाँव, मुंगेर, बिहार।
2. ‘दिनकर’ को हिन्दी साहित्य में किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर: उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ के रूप में ख्याति मिली।
3. दिनकर ने किस विषय में बी.ए. की डिग्री ली?
उत्तर: उन्होंने हिन्दी साहित्य में बी.ए. किया।
4. दिनकर को कौन-कौन से प्रमुख पुरस्कार मिले?
उत्तर: पद्मभूषण और ज्ञानपीठ पुरस्कार।
5. ‘ईर्ष्या, तू न गयी मेरे मन से’ पाठ किस पुस्तक से है?
उत्तर: ‘अर्द्धनारीश्वर’ पुस्तक से लिया गया है।
6. दिनकरजी ने किस विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर काम किया?
उत्तर: भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे।
7. दिनकर जी का प्रमुख गद्य-साहित्य कौन-सा है?
उत्तर: ‘संस्कृति के चार अध्याय’।
8. ‘ईर्ष्या’ से किस प्रकार की मानसिक स्थिति उत्पन्न होती है?
उत्तर: दुख और असंतोष की भावना।
9. ईर्ष्यालु व्यक्ति निन्दा क्यों करता है?
उत्तर: दूसरों को गिराकर खुद को ऊँचा दिखाने हेतु।
10. लेखक ने ‘ईर्ष्या’ को किससे तुलना की है?
उत्तर: चिता और विष से तुलना की है।
11. दिनकर की कविता ‘रश्मिरथी’ का विषय क्या है?
उत्तर: यह कर्ण के जीवन पर आधारित है।
12. दिनकर ने किस भाषा शैली का प्रयोग किया?
उत्तर: शुद्ध खड़ीबोली और संस्कृतनिष्ठ शैली।
13. ईर्ष्या से बचने के लिए लेखक ने क्या सुझाव दिया?
उत्तर: मानसिक अनुशासन अपनाने का सुझाव दिया।
14. नीत्से ने ईर्ष्यालु लोगों को किससे तुलना की?
उत्तर: बाजार की मक्खियों से तुलना की।
15. ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पुस्तक का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: मानव सभ्यता का इतिहास और विकास।
दीर्घ प्रश्न
1. रामधारीसिंह ‘दिनकर’ का जीवन परिचय और साहित्यिक योगदान बताइए।
उत्तर: रामधारीसिंह ‘दिनकर’ का जन्म 30 सितंबर 1908 को सिमरिया, बिहार में हुआ। वे राष्ट्रकवि के रूप में प्रसिद्ध हुए और कविता, आलोचना व निबंध में योगदान दिया। उनकी प्रमुख कृतियाँ ‘रश्मिरथी’, ‘कुरुक्षेत्र’ और ‘संस्कृति के चार अध्याय’ हैं।
2. ‘ईर्ष्या’ से व्यक्ति को क्या नुकसान होता है?
उत्तर: ईर्ष्या व्यक्ति के आनंद और मानसिक शांति को छीन लेती है। यह दूसरों की प्रगति से दुखी होकर नकारात्मकता को जन्म देती है। इससे व्यक्ति अपनी उन्नति के बजाय दूसरों को गिराने में समय व्यर्थ करता है।
3. दिनकरजी ने ‘ईर्ष्या’ और ‘निन्दा’ के संबंध को कैसे स्पष्ट किया है?
उत्तर: लेखक ने कहा है कि ईर्ष्या निन्दा की जननी है। ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों की बुराई करके उन्हें गिराने की कोशिश करता है। परंतु यह प्रयास न कभी सफल हुआ है, न होगा।
4. ‘संस्कृति के चार अध्याय’ का विषय और महत्व बताइए।
उत्तर: ‘संस्कृति के चार अध्याय’ मानव सभ्यता के ऐतिहासिक विकास का अध्ययन है। इसमें संस्कृति, समाज और धर्म से जुड़े रूढ़िवाद का खंडन किया गया है। यह गद्य साहित्य की एक अमूल्य धरोहर है।
5. लेखक ने ‘ईर्ष्या’ से बचने का क्या उपाय बताया है?
उत्तर: लेखक के अनुसार, मानसिक अनुशासन अपनाकर ईर्ष्या से बचा जा सकता है। फालतू बातों पर ध्यान न देकर अपनी उन्नति पर ध्यान देना चाहिए। रचनात्मक सोच से ईर्ष्या की भावना कम की जा सकती है।
6. दिनकरजी को ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि क्यों मिली?
उत्तर: दिनकरजी की रचनाओं में राष्ट्रीयता, स्वतंत्रता और मानवता की भावना है। उनकी कविताएँ समाज में जागरूकता और प्रेरणा उत्पन्न करती हैं। इन गुणों के कारण वे ‘राष्ट्रकवि’ कहलाए।
7. लेखक ने ‘ईर्ष्या’ को चिता से भी बदतर क्यों कहा है?
उत्तर: लेखक के अनुसार, ईर्ष्या व्यक्ति के मौलिक गुणों को नष्ट कर देती है। यह समाज में द्वेष और मानसिक अशांति का कारण बनती है। ईर्ष्या से व्यक्ति का चरित्र कमजोर हो जाता है।
8. नीत्से ने ईर्ष्यालु लोगों की तुलना मक्खियों से क्यों की?
उत्तर: नीत्से ने कहा कि ईर्ष्यालु लोग दूसरों के गुणों को देखकर जलते हैं। वे दूसरों की निन्दा करके अपना समय बर्बाद करते हैं। उनकी प्रवृत्ति बाजार की मक्खियों की तरह होती है, जो निरर्थक होती है।
9. ईर्ष्या का लाभकारी पक्ष क्या हो सकता है?
उत्तर: लेखक ने बताया कि ईर्ष्या से प्रेरणा लेकर व्यक्ति प्रगति कर सकता है। यदि यह भावना रचनात्मक हो, तो यह उन्नति का आधार बन सकती है। यह मनुष्य को अपने प्रतिद्वंद्वी के समकक्ष बनने की प्रेरणा देती है।
10. दिनकरजी की भाषा और शैली की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: दिनकरजी की भाषा शुद्ध खड़ीबोली और साहित्यिक थी। उन्होंने संस्कृतनिष्ठ शब्दों, मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रभावी प्रयोग किया। उनकी शैली भावात्मक, समीक्षात्मक और विवेचनात्मक थी।
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