Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 10
लघु प्रश्न
1. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: बख्शीजी का जन्म 27 मई 1894 को हुआ था।
2. बख्शीजी ने किस पत्रिका का संपादन किया?
उत्तर: उन्होंने ‘सरस्वती’ और ‘छाया’ पत्रिकाओं का संपादन किया।
3. ‘क्या लिखूँ?’ निबंध के लेखक कौन हैं?
उत्तर: ‘क्या लिखूँ?’ निबंध के लेखक बख्शीजी हैं।
4. बख्शीजी को किस उपाधि से सम्मानित किया गया था?
उत्तर: उन्हें ‘साहित्य वाचस्पति’ की उपाधि मिली थी।
5. लेखक ने किस अंग्रेजी लेखक का उल्लेख किया है?
उत्तर: उन्होंने ए. जी. गार्डिनर का उल्लेख किया है।
6. लेखक को किस विषय पर निबंध लिखना था?
उत्तर: ‘दूर के ढोल सुहावने’ और ‘समाज सुधार’ पर।
7. लेखक ने किन दो छात्राओं का उल्लेख किया है?
उत्तर: लेखक ने नमिता और अमिता का उल्लेख किया है।
8. बख्शीजी की भाषा शैली कैसी है?
उत्तर: इनकी भाषा शुद्ध, साहित्यिक और प्रभावशाली है।
9. लेखक ने निबंध लिखने में कौन सी कठिनाई बताई?
उत्तर: लेखक को विषय चयन में कठिनाई हुई।
10. लेखक ने किन लेखकों का अनुसरण किया?
उत्तर: लेखक ने मानटेन और ए. जी. गार्डिनर का अनुसरण किया।
11. लेखक ने विषय चयन को किससे जोड़ा?
उत्तर: लेखक ने विषय चयन को मनोभावों से जोड़ा।
12. ‘दूर के ढोल सुहावने’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: दूर से चीजें अच्छी लगती हैं।
13. लेखक ने लंबी पंक्तियों को क्यों महत्त्व दिया?
उत्तर: विद्वत्ता दिखाने के लिए लंबी पंक्तियाँ लिखीं।
14. बख्शीजी किस युग के साहित्यकार थे?
उत्तर: वे द्विवेदी युग के प्रमुख साहित्यकार थे।
15. लेखक ने किस शैली में निबंध लिखा?
उत्तर: लेखक ने स्वच्छंद और आत्मकथात्मक शैली अपनाई।
दीर्घ प्रश्न
1. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का साहित्य में क्या योगदान है?
उत्तर: बख्शीजी ने निबंध, आलोचना, कविता, अनुवाद और कहानी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने ‘सरस्वती’ और ‘छाया’ पत्रिकाओं का संपादन भी किया। उनकी लेखनी में व्यंग्य, भावात्मकता और समीक्षात्मकता का समावेश है।
2. ‘क्या लिखूँ?’ निबंध का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: इस निबंध में लेखक ने विषय चयन की कठिनाई को रोचक शैली में प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि लेखन में विषय से अधिक मन के भाव महत्वपूर्ण होते हैं। लेखक ने निबंध लेखन की विभिन्न विधाओं पर भी प्रकाश डाला है।
3. लेखक ने विषय चयन में किन कठिनाइयों का सामना किया?
उत्तर: लेखक को ‘दूर के ढोल सुहावने’ और ‘समाज सुधार’ जैसे विषयों पर लिखने में कठिनाई हुई। उन्होंने सामग्री एकत्र करने और उपयुक्त शैली में लेखन में चुनौती महसूस की। समय की कमी ने उनकी समस्या और बढ़ा दी।
4. ‘दूर के ढोल सुहावने’ का भावार्थ क्या है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि दूर से चीजें अधिक आकर्षक लगती हैं। जब हम किसी चीज को नजदीक से देखते हैं, तो उसकी कमियाँ स्पष्ट हो जाती हैं। लेखक ने इस भाव को रोचक उदाहरणों के माध्यम से समझाया है।
5. लेखक ने किस प्रकार से दोनों विषयों को एक साथ जोड़ा?
उत्तर: लेखक ने अमीर खुसरो की कहानी से प्रेरणा लेकर दोनों विषयों को एक ही निबंध में जोड़ा। उन्होंने ‘दूर के ढोल सुहावने’ और ‘समाज सुधार’ विषयों को एक साथ समाहित किया। इससे उनका लेखन सरल और प्रभावी बन गया।
6. बख्शीजी की भाषा-शैली की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर: बख्शीजी की भाषा शुद्ध, सरल, प्रभावशाली और साहित्यिक है। उन्होंने व्यंग्यात्मक, भावात्मक और समीक्षात्मक शैली का प्रयोग किया। उनकी भाषा में संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का समावेश है।
7. लेखक ने ‘समाज सुधार’ विषय पर क्या विचार रखे?
उत्तर: लेखक ने बताया कि समाज सुधार एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। समाज में सुधारक समय-समय पर आते हैं और बदलाव लाते हैं। यह प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती है।
8. मानटेन की लेखन शैली की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: मानटेन की शैली स्वच्छंद और आत्मकथात्मक थी। उन्होंने अपने अनुभवों और विचारों को सहज रूप में प्रस्तुत किया। उनके लेखन में गहराई और वास्तविकता का समावेश था।
9. निबंध लेखन के लिए लेखक ने कौन-कौन से उपाय अपनाए?
उत्तर: लेखक ने विषय चयन, सामग्री एकत्रीकरण और शैली पर ध्यान दिया। उन्होंने मनन और विचार करके लेखन की योजना बनाई। साथ ही, व्यंग्य और हास्य से निबंध को रोचक बनाया।
10. बख्शीजी को ‘साहित्य वाचस्पति’ उपाधि क्यों मिली?
उत्तर: बख्शीजी ने हिंदी साहित्य में निबंध, आलोचना, कहानी और कविता के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके बहुआयामी साहित्यिक कार्यों को देखते हुए उन्हें ‘साहित्य वाचस्पति’ उपाधि से सम्मानित किया गया।
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