Notes For All Chapters – हिंदी Class 10
जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
1. परिचय
पाठ का नाम: जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ
लेखक: विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
जन्म: 1941, देवरिया (उत्तर प्रदेश)
मुख्य विशेषताएँ:
- प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार, आलोचक, संपादक और कवि।
- देश, काल और समाज के प्रति संवेदनशील लेखक।
- उनके साहित्य में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों का प्रभाव देखने को मिलता है।
प्रमुख कृतियाँ:
- फिर भी कुछ रह जाएगा (कविता संग्रह)
- अज्ञेय पत्रावली (निबंध)
- अंतहीन आकाश (यात्रा वृत्तांत)
- अमेरिका और यूरोप में एक भारतीय बन (यात्रा संस्मरण)
- अस्ति और भवति (आत्मकथा)
- बातचीत (साक्षात्कार संग्रह)
पाठ का सारांश
यह पाठ एक साक्षात्कार के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर से बातचीत की है। इस साक्षात्कार में नागर जी के साहित्यिक जीवन, प्रेरणाएँ, सामाजिक और राजनीतिक विचारों पर चर्चा की गई है।
नागर जी बताते हैं कि उन्होंने बचपन में अयोध्या सिंह उपाध्याय, प्रेमचंद, बंकिमचंद्र और शरतचंद्र जैसे लेखकों को पढ़ा। उनकी लेखनी का आरंभ 1928-29 में साइमन कमीशन के विरोध में हुई लाठीचार्ज घटना से प्रेरित होकर हुआ, जब उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी। हालाँकि, वे राजनीति में नहीं गए क्योंकि उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे।
उन्होंने बताया कि उनके लेखन में गरीबों और शोषितों के प्रति करुणा उनके पारिवारिक संस्कारों और समाज में देखे गए अन्याय से आई। उनके पिता समाजसेवी थे, जिससे वे भी समाज की समस्याओं से जुड़े। उन्होंने क्रांतिकारी आंदोलनों से भी प्रेरणा ली और गांधीजी और नेहरू जी के विचारों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
उनकी पहली प्रकाशित कहानी “अपशकुन” (1933) थी और पहला उपन्यास “महाकाल” (1944) था, जिसे बाद में “भूख” नाम से प्रकाशित किया गया। उन्होंने सामाजिक मुद्दों को गहराई से समझने के लिए सफाईकर्मियों की बस्तियों और विभिन्न समुदायों में जाकर फील्डवर्क किया। उनका मानना था कि जब तक वे जीवित रहेंगे, तब तक वे समाज के लिए लिखते रहेंगे।
मुख्य बिंदु
(क) नागर जी की साहित्यिक यात्रा
- बचपन में कवियों और उपन्यासकारों की रचनाएँ पढ़ीं।
- साइमन कमीशन के विरोध में पहली कविता लिखी।
- पहली प्रकाशित कहानी “अपशकुन” (1933) थी।
- पहला उपन्यास “महाकाल” (1944) था, जिसे बाद में “भूख” नाम से प्रकाशित किया गया।
- सामाजिक समस्याओं को गहराई से समझने के लिए फील्डवर्क किया।
(ख) नागर जी के विचार और प्रेरणाएँ
- उनका साहित्य गरीबों और शोषितों के प्रति करुणा दर्शाता है।
- उनके पिता समाजसेवी थे, जिससे उनके अंदर सामाजिक संवेदनशीलता आई।
- क्रांतिकारी आंदोलन, गांधीजी और नेहरू जी के विचारों से प्रभावित हुए।
- उनके लेखन का उद्देश्य समाज की वास्तविकता को सामने लाना था।
- साहित्य को समाज सुधार का माध्यम मानते थे।
(ग) प्रमुख लेखक जिन्होंने नागर जी को प्रभावित किया
- भारतीय साहित्यकार: प्रेमचंद, बंकिमचंद्र चटर्जी, शरतचंद्र, कौशिक।
- विदेशी साहित्यकार: टॉल्स्टॉय, चेखव।
- पुराने साहित्यकार: तुलसीदास, जिनकी रामचरितमानस को उन्होंने घुट्टी की तरह ग्रहण किया।
(घ) नागर जी के साहित्यिक दृष्टिकोण
- वे मानते थे कि साहित्य समाज का दर्पण होता है।
- साहित्यकार को समाज की सच्चाई को उजागर करना चाहिए।
- उन्होंने गरीबों और वंचितों के प्रति करुणा को अपने लेखन का आधार बनाया।
- उन्होंने सफाईकर्मियों की बस्तियों में जाकर उनके रीति-रिवाजों का अध्ययन किया।
- उनका मानना था कि जब तक वे जीवित हैं, तब तक वे समाज के लिए लिखते रहेंगे।
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