Notes For All Chapters – हिंदी Class 10th
लेखक परिचय:
जन्म: 1927, फैजाबाद (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु: 2017, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
मुख्य विधाएँ: कविता, कहानी, निबंध, समीक्षा, रंगमंच, सिनेमा
सम्मान: ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित कई अन्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार
प्रमुख कृतियाँ: ‘चक्रव्यूह’, ‘तीसरा सप्तक’, ‘हम-तुम’, ‘आत्मजयी’, ‘कोई दूसरा नहीं’, ‘इन दिनों’ आदि।
पाठ का सारांश:
यह पाठ कुँवर नारायण की डायरी का अंश है, जिसमें उन्होंने आत्मचिंतन, समाज, शहरीकरण, साहित्य, स्वतंत्रता और मनुष्य की आंतरिक दुनिया पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने बताया है कि बाहरी दुनिया की अपेक्षा आंतरिक दुनिया अधिक महत्वपूर्ण होती है।
मुख्य विषय-वस्तु:
1. अंदर की दुनिया:
- हमारी आंतरिक दुनिया बाहरी दुनिया से अधिक विशाल और महत्वपूर्ण होती है।
- हम इसे छोटा करते चले जाते हैं, जिससे यह निर्जीव हो जाती है।
- सच्ची आज़ादी हमारे भीतर होती है, जिसे हमें समृद्ध बनाना चाहिए।
2. मकान पर मकान:
- लेखक ने शहरी जीवन की समस्या को उजागर किया है।
- संकरी गलियाँ, मकानों की भीड़, हरियाली और आकाश की कमी के कारण जीवन घुटन भरा हो जाता है।
- मनुष्य प्रकृति से दूर हो जाता है और असहज जीवन व्यतीत करता है।
3. सही साहित्य:
- लेखक के अनुसार, सही साहित्य वह है जिसे दोनों आँखों से देखा जाए, न कि एकतरफा दृष्टिकोण से।
- साहित्य को संपूर्ण और निष्पक्ष होना चाहिए।
4. जानें खुद को:
- आत्मचिंतन से ही हम स्वयं को समझ सकते हैं।
- दूसरों के बारे में जानने की बजाय हमें खुद को जानने का प्रयास करना चाहिए।
- इससे दूसरों के विचारों की भी कद्र की जा सकती है।
5. सिर्फ मनुष्य होते…:
- लेखक ने सवाल उठाया कि सभी मनुष्य केवल मनुष्य क्यों नहीं होते?
- कुछ लोग हिंसक प्रवृत्तियों वाले होते हैं, जबकि कुछ दयालु होते हैं।
- समाज में मनुष्यों के अलग-अलग स्वभाव के कारण ही संघर्ष उत्पन्न होता है।
6. लुका-छिपाकर जीना:
- लेखक बनावटी जीवनशैली और समाज में फैले छल-कपट की निंदा करते हैं।
- वे कहते हैं कि ईमानदारी से जीवन जीना चाहिए, न कि दिखावे के लिए।
7. बहाने निकालना:
- जो हम करना चाहते हैं, उसके लिए रास्ते खोजते हैं।
- जो नहीं करना चाहते, उसके लिए बहाने बनाते हैं।
- यह मानव स्वभाव का हिस्सा है।
8. अपने से बहस:
- हमें दूसरों से बहस करने की बजाय खुद से बहस करनी चाहिए।
- इससे सच्चाई का पता चलता है और सही निर्णय लिया जा सकता है।
9. चीजों की गुलामी:
- आधुनिक युग में मनुष्य चीजों का गुलाम बनता जा रहा है।
- पहले लोग इंसानों को गुलाम बनाते थे, अब हम खुद वस्तुओं की सेवा में लगे हैं।
- कंप्यूटर, मोबाइल और अन्य आधुनिक साधनों ने मनुष्य को पराधीन बना दिया है।
10. जीने का अर्थ:
- जीवन को सार्थक तरीके से जीना चाहिए।
- केवल वर्षों की गिनती करने से जीवन का कोई महत्व नहीं है।
- हमें अपने जीवन को मूल्यवान बनाना चाहिए और इसका उद्देश्य समझना चाहिए।
पाठ के महत्वपूर्ण अंश:
- “हमारी आंतरिक दुनिया बाहरी दुनिया से कहीं अधिक बड़ी होती है।”
- “दिल्ली में रहने का मतलब सिर्फ किसी पायदान पर टिके रहना और लटके रहना है।”
- “सही साहित्य वह है जिसे दोनों आँखों से देखा जाए, सिर्फ एक दृष्टिकोण से नहीं।”
- “जो हम शौक से करना चाहते हैं, उसके लिए रास्ते खोजते हैं, और जो नहीं करना चाहते, उसके लिए बहाने बनाते हैं।”
- “आधुनिक युग में चीजों की गुलामी बढ़ गई है, पहले इंसान गुलाम होते थे, अब चीजें हमें अपना गुलाम बना रही हैं।”
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