Notes For All Chapters – हिंदी Class 10th
परिचय:
मीराबाई भारतीय संत कवयित्री थीं, जिनका जन्म 1516 में जोधपुर, राजस्थान में हुआ। वे बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन थीं। उन्होंने गृह त्याग कर मंदिरों में घूम-घूमकर अपने भजनों से लोगों को प्रेरित किया। उनकी मृत्यु 1546 में द्वारिका, गुजरात में हुई। मीराबाई के पद माधुर्यभाव और प्रेम की तल्लीनता से ओतप्रोत हैं।
प्रमुख कृतियाँ:
- नरसी जी का मायरा
- गीत गोविंद
- राग गोविंद
- राग सोरठ के पद
गिरिधर नागर के पदों का मुख्य स्वर:
मीराबाई के पद उनके आराध्य श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित हैं। इन पदों में:
- भगवत प्रेम
- उत्सुकता
- प्रतीक्षा
- मिलन
- और आशा के भाव प्रकट होते हैं।
प्रस्तुत पदों का भावार्थ:
1. मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
- मीराबाई ने श्रीकृष्ण को अपना पति और आराध्य मान लिया था।
- उन्होंने कुल और समाज की मर्यादाओं को त्याग दिया।
- अपने आँसुओं से उन्होंने प्रेम रूपी बेल को सींचा। यह बेल अब आनंद फल देने लगी।
2. हरि बिन कूर्ण गती मेरी
- मीराबाई कहती हैं कि भगवान के बिना उनका जीवन निरर्थक है।
- वे श्रीकृष्ण को अपनी जीवन-नौका का पतवार मानती हैं।
- संसार की कठिनाइयों से बचने के लिए वे भगवान से सहायता की प्रार्थना करती हैं।
3. फागुन के दिन चार
- मीराबाई फागुन का वर्णन करते हुए भक्ति रस का आनंद प्रकट करती हैं।
- बिना वाद्य यंत्रों के ही दिव्य संगीत का अनुभव होता है।
- प्रेम और भक्ति की रंगीन पिचकारी से वे श्रीकृष्ण के चरणों में निछावर होती हैं।
पदों का विश्लेषण:
भक्ति रस का उपयोग:
मीराबाई के पद भक्ति रस से ओतप्रोत हैं। इसमें कृष्ण-भक्ति और उनके प्रति पूर्ण समर्पण की भावना स्पष्ट झलकती है।
कृष्ण के प्रति प्रेम:
मीराबाई का प्रेम श्रीकृष्ण के प्रति अलौकिक और आध्यात्मिक है। उनके पदों में:
- लोकलाज का त्याग
- आराध्य के प्रति अनुराग
- पूर्ण भक्ति का चित्रण है।
संसार का त्याग:
मीराबाई ने श्रीकृष्ण के प्रेम में संसारिक सुखों और कुल की मान-मर्यादा को त्याग दिया। उन्होंने भक्ति को सर्वोच्च स्थान दिया।
पदों में प्रयुक्त मुख्य शब्द और उनके अर्थ:
- कुल की कानि: कुल की मर्यादा
- ढिग: पास, निकट
- नेरी: पास, निकट
- छतीसूँ: श्रेष्ठ
- मथनियाँ: दही मथने का साधन
- रावरी: आपकी
- चेरी: दासी
- कँवल: कमल
- बलिहारना: निछावर करना
महत्वपूर्ण बिंदु:
- मीराबाई के पद भक्ति आंदोलन का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- उनके पदों में श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण और प्रेम का अद्भुत संतुलन है।
- उन्होंने समाज के बंधनों को तोड़कर भक्ति मार्ग अपनाया।
- उनके पदों में भक्ति, प्रेम, और अध्यात्म की गहराई है।
- उनके जीवन और रचनाएँ भक्तिमार्ग को प्रेरित करती हैं।
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