Notes For All Chapters – हिंदी Class 10
बूढ़ी काकी
लेखक परिचय
नाम: प्रेमचंद (मूल नाम – धनपत राय)
जन्म: 31 जुलाई 1880, लमही (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु: 8 अक्टूबर 1936, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
मुख्य रचनाएँ:
- उपन्यास: गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला, कायाकल्प
- कहानी संग्रह: मानसरोवर, पंच परमेश्वर, बूढ़ी काकी
- नाटक एवं अन्य रचनाएँ: कर्बला, संग्राम, हड़ताल
प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महानतम कथाकारों में से एक माने जाते हैं। उनकी रचनाओं में सामाजिक यथार्थ, गरीबी, शोषण, और मानवीय संवेदनाओं का सजीव चित्रण देखने को मिलता है।
पाठ का सारांश
यह कहानी समाज में बुजुर्गों की उपेक्षा और तिरस्कार को दर्शाती है। बूढ़ी काकी एक वृद्धा हैं, जो अपनी संपत्ति अपने भतीजे बुद्धिराम के नाम कर चुकी हैं। संपत्ति मिलने के बाद बुद्धिराम और उसकी पत्नी रूपा काकी की उपेक्षा करने लगते हैं। काकी को समय पर भोजन नहीं मिलता और वे सदैव भूखी रहती हैं।
एक दिन जब घर में उनके भतीजे के बेटे का तिलक समारोह मनाया जा रहा होता है, तो पकवानों की सुगंध से बूढ़ी काकी का मन ललचा जाता है। भूख से व्याकुल होकर वे किसी तरह रसोई तक पहुँच जाती हैं, लेकिन रूपा उन्हें डाँटकर वहाँ से भगा देती है। क्रोध में बुद्धिराम उन्हें अंधेरी कोठरी में बंद कर देता है।
परिवार में सिर्फ लाड़ली, जो बुद्धिराम की छोटी बेटी है, बूढ़ी काकी के प्रति सहानुभूति रखती है। वह अपने हिस्से की पूड़ियाँ छिपाकर बूढ़ी काकी को देती है, लेकिन यह उनकी भूख को शांत नहीं कर पाती। अंततः भूख से तड़पकर काकी जूठे पत्तलों से बचा-खुचा भोजन उठाकर खाने लगती हैं।
जब रूपा यह देखती है, तो उसका हृदय द्रवित हो जाता है और उसे अपने व्यवहार पर पछतावा होता है। वह अपनी गलती सुधारने के लिए खुद बूढ़ी काकी के लिए भोजन लाती है और प्रेमपूर्वक उन्हें खिलाती है।
मुख्य पात्रों का परिचय
- बूढ़ी काकी – एक असहाय वृद्ध महिला, जिनकी सारी संपत्ति भतीजे बुद्धिराम के पास चली जाती है। वे भूख और तिरस्कार से पीड़ित होती हैं।
- बुद्धिराम – बूढ़ी काकी का स्वार्थी भतीजा, जो संपत्ति प्राप्त करने के बाद उनकी उपेक्षा करने लगता है।
- रूपा – बुद्धिराम की पत्नी, जो कठोर स्वभाव की है और बूढ़ी काकी को दुत्कारती रहती है।
- लाड़ली – बुद्धिराम की छोटी बेटी, जो सरल, दयालु और काकी के प्रति स्नेहभाव रखने वाली लड़की है।
मुख्य विषय-वस्तु एवं संदेश
- बुजुर्गों की उपेक्षा – यह कहानी समाज में बुजुर्गों के प्रति हो रहे अन्याय और तिरस्कार को उजागर करती है।
- संवेदनहीनता बनाम करुणा – जहाँ बुद्धिराम और रूपा में संवेदनहीनता दिखती है, वहीं लाड़ली करुणा और प्रेम का प्रतीक है।
- भूख और असहायता – काकी की भूख और उनकी मजबूरी इस बात को दर्शाती है कि समाज में गरीब और बेसहारा लोग किस तरह उपेक्षित रहते हैं।
- पश्चाताप और सुधार – अंत में रूपा को अपनी गलती का एहसास होता है और वह बूढ़ी काकी के प्रति दयालु हो जाती है।
महत्वपूर्ण घटनाएँ
- बूढ़ी काकी अपनी सारी संपत्ति भतीजे बुद्धिराम के नाम कर देती हैं।
- बुद्धिराम और उसकी पत्नी रूपा काकी की उपेक्षा करने लगते हैं।
- तिलक समारोह के दिन काकी पकवानों की सुगंध से ललचा जाती हैं और रसोई तक चली जाती हैं।
- रूपा गुस्से में काकी को डाँटकर वहाँ से हटा देती है और बुद्धिराम उन्हें कोठरी में बंद कर देता है।
- लाड़ली अपने हिस्से की पूड़ियाँ काकी को देती है, लेकिन वे भूख से संतुष्ट नहीं होतीं।
- काकी जूठे पत्तलों से खाना खाने लगती हैं, जिसे देखकर रूपा को पछतावा होता है।
- अंत में रूपा अपनी गलती सुधारती है और काकी को भरपेट भोजन खिलाती है।
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