Notes For All Chapters – हिंदी Class 10th
लेखक परिचय
नाम: फणीश्वरनाथ ‘रेणु’
जन्म: 1921, पूर्णिया (बिहार)
मृत्यु: 1977
मुख्य विशेषताएँ:
- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कथाकार हैं।
- उन्हें आज़ादी के बाद का प्रेमचंद माना जाता है।
- उनकी रचनाएँ ग्रामीण जीवन और आंचलिकता को सजीव रूप से प्रस्तुत करती हैं।
- उनकी भाषा शैली में सहजता, लोच और जादुई प्रभाव देखने को मिलता है।
प्रमुख कृतियाँ:
विधा | प्रमुख कृतियाँ |
---|---|
उपन्यास | ‘मैला आँचल’, ‘परती परिकथा’, ‘जुलूस’ |
कहानी संग्रह | ‘एक आदिम रात्रि की महक’, ‘ठुमरी’, ‘अच्छे आदमी’ |
रिपोर्ताज | ‘ऋणजल-धनजल’, ‘नेपाली क्रांति कथा’ |
कहानी का सारांश
यह कहानी बिहार के ग्रामीण जीवन पर आधारित है और एक कारीगर सिरचन के स्वाभिमान, समाज की उपेक्षा और उसकी भावनात्मक ठेस को दर्शाती है।
कहानी के प्रारंभ में सिरचन को “बेकार” और “बेगार” समझा जाता है क्योंकि वह खेतों में काम नहीं करता। लेकिन एक समय था जब वही सिरचन अपनी कारीगरी के कारण पूरे गाँव में प्रसिद्ध था। उसे अपने हाथों की कला पर गर्व था, लेकिन समाज में उसे सिर्फ मुफ्तखोर और चटोर कहकर उसकी उपेक्षा की जाती थी।
मानू की शादी के लिए सिरचन को उसकी शीतलपाटी और चिक बुनने की कला के लिए बुलाया जाता है। शुरुआत में वह अपने काम को पूरे समर्पण से करता है, लेकिन जब मँझली भाभी और चाची उसे तिरस्कार और अपमानजनक शब्द कहती हैं, तो उसे गहरी आत्मिक ठेस पहुँचती है। वह अधूरा काम छोड़कर चला जाता है और शपथ लेता है कि वह अब यह काम नहीं करेगा।
लेकिन अंत में, जब मानू ससुराल जाने लगती है, तो सिरचन खुद दौड़कर स्टेशन पहुँचता है और बिना कोई मेहनताना लिए अपना अधूरा काम पूरा करके उसे भेंट कर देता है।
यह कहानी दिखाती है कि कलाकार का स्वाभिमान और संवेदनाएँ कितनी गहरी होती हैं।
मुख्य पात्र परिचय
पात्र का नाम | विशेषताएँ |
---|---|
सिरचन | एक स्वाभिमानी कारीगर, जिसे उसकी कला पर गर्व था, लेकिन समाज की उपेक्षा और अपमान से वह आहत होता है। |
मानू | सिरचन को सम्मान देने वाली लड़की, जिसकी शादी के लिए सिरचन ने चिक और शीतलपाटी बनाई। |
रामबचन काकी (माँ) | एक समझदार और दयालु महिला, जो सिरचन को हमेशा सम्मान देती थीं। |
मँझली भाभी | सिरचन का अपमान करने वाली महिला, जिसे उसका स्वाभिमान पसंद नहीं था। |
चाची | सिरचन को तिरस्कार करने वाली महिला, जिसने उसे “चटोर” कहकर अपमानित किया। |
कहानी की प्रमुख विषय-वस्तु
1. कला और कलाकार का सम्मान
- कहानी का मुख्य संदेश यह है कि कला और कलाकार का सम्मान किया जाना चाहिए।
- सिरचन की कला की सराहना तो होती थी, लेकिन लोग उसे उचित मेहनताना नहीं देते थे।
- एक कलाकार को सिर्फ भोजन और पुराने कपड़े देकर टाल दिया जाता था, जो कि अन्यायपूर्ण था।
2. स्वाभिमान और आत्म-सम्मान
- सिरचन केवल एक कारीगर नहीं था, बल्कि एक आत्मसम्मानी कलाकार था।
- जब उसे चटोर और मुफ्तखोर कहा गया, तो उसे ठेस पहुँची और उसने अपना काम अधूरा छोड़ दिया।
- कलाकार के स्वाभिमान की कद्र न करना समाज की सबसे बड़ी भूल थी।
3. समाज में कलाकारों की उपेक्षा
- गाँव के लोग सिरचन को बेकार और बेगार समझते थे।
- वे चाहते थे कि सिरचन बिना उचित मेहनताना लिए काम करता रहे।
- यह दिखाता है कि समाज में श्रमिकों और कलाकारों को उचित सम्मान नहीं दिया जाता।
4. भावनात्मक ठेस और मानसिक पीड़ा
- सिरचन को सबसे अधिक ठेस तब लगती है जब उसे “चटोर” कहा जाता है।
- उसे यह महसूस होता है कि अब उसकी कला का कोई मूल्य नहीं है।
- उसका दर्द तब उजागर होता है जब वह कहता है, “अब यह काम नहीं करूँगा।”
5. करुणा और मानवता
- अंत में सिरचन खुद ही अपना अधूरा काम पूरा करके बिना किसी बदले की अपेक्षा के मानू को उपहार देता है।
- यह दिखाता है कि कलाकार अपनी कला से प्रेम करता है, चाहे समाज उसे महत्व दे या नहीं।
महत्वपूर्ण संवाद और उनके अर्थ
संवाद | अर्थ |
---|---|
“बड़े लोगों की बस बात ही बड़ी होती है।” | यह कटाक्ष करता है कि समाज में अमीर लोग दिखावे के लिए बातें करते हैं लेकिन कलाकार को उसका उचित सम्मान नहीं देते। |
“अब यह काम नहीं करूँगा।” | यह कलाकार की टूट चुकी भावनाओं को दर्शाता है। |
“सिरचन, तुम काम करने आए हो, अपना काम करो।” | यह संवाद दिखाता है कि समाज में कलाकारों को अपमानित किया जाता है। |
“यह मेरी ओर से है। सब चीजें हैं दीदी।” | यह कलाकार के समर्पण और नि:स्वार्थ प्रेम को दर्शाता है। |
कहानी से सीख
- कला और कलाकार का सम्मान करना चाहिए।
- किसी भी व्यक्ति का आत्म-सम्मान नहीं आहत करना चाहिए।
- किसी को मेहनताना दिए बिना उसका काम करवाना अन्यायपूर्ण है।
- किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना उसे मानसिक रूप से आहत कर सकता है।
- कलाकार अपनी कला से प्रेम करता है, चाहे उसे सम्मान मिले या न मिले।
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