Notes For All Chapters – हिंदी Class 10
बरषहिं जलद
1. परिचय
गोस्वामी तुलसीदास जी भारतीय भक्ति साहित्य के महान कवि थे। उन्होंने रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की, जो विश्व के सर्वश्रेष्ठ महाकाव्यों में से एक माना जाता है। इस अध्याय में उन्होंने वर्षा ऋतु के प्राकृतिक और सामाजिक प्रभावों का सुंदर चित्रण किया है।
2. पृष्ठभूमि और संदर्भ
यह पद्यांश रामचरितमानस के किष्किंधा कांड से लिया गया है। यह तब की स्थिति को दर्शाता है जब श्रीराम माता सीता की खोज में भटक रहे हैं और वर्षा ऋतु का आगमन हो चुका है। सीता के वियोग में वे अत्यंत व्याकुल हैं और प्रकृति के हर दृश्य को अपने दुख से जोड़कर देखते हैं।
3. मुख्य विषय-वस्तु
(क) वर्षा ऋतु का चित्रण:
- आकाश में घने बादल गरजते हैं, जिससे श्रीराम का मन व्याकुल हो जाता है।
- बिजली चमकती है, जो दुष्टों की अस्थिर मित्रता के समान होती है।
- भूमि के पास आते ही बादल बरसते हैं, जैसे ज्ञानी व्यक्ति विद्या प्राप्त कर झुकते हैं।
(ख) समाज और मानवीय स्वभाव का चित्रण:
- संत पहाड़ की तरह होते हैं, जो बुरी बातें सुनकर भी स्थिर रहते हैं।
- छोटी नदियाँ पानी मिलने पर घमंड से बहने लगती हैं, जैसे धन मिलने पर दुष्ट लोग अहंकारी हो जाते हैं।
- कुसंगति से ज्ञान का नाश होता है और सत्संग से ज्ञान बढ़ता है।
(ग) धार्मिक और नैतिक शिक्षा:
- वर्षा के कारण पृथ्वी हरी-भरी हो जाती है, जिससे रास्ते दिखना कठिन हो जाता है, जैसे पाखंड और विवादों से सच्चे ग्रंथों का ज्ञान लुप्त हो जाता है।
- मेढक की टर्राहट को ब्राह्मणों के वेद पाठ से जोड़ा गया है, जो केवल स्वार्थ के लिए शास्त्रों का अध्ययन करते हैं।
- अच्छी शासन-व्यवस्था में जनता सुखी होती है, जैसे अच्छी वर्षा से जीव-जंतु प्रसन्न रहते हैं।
4. भाषा और शैली
- छंद: चौपाई और दोहा
- भाषा: अवधी (लोकप्रिय और सरल)
- अलंकार: उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा
- विशेषताएँ: तुलसीदास जी ने प्रकृति के माध्यम से सामाजिक, नैतिक और धार्मिक संदेश दिए हैं।
5. प्रमुख शिक्षाएँ
- सत्संगति (अच्छे लोगों की संगति) से ज्ञान बढ़ता है, जबकि कुसंगति से नष्ट होता है।
- धन मिलने पर अहंकार नहीं करना चाहिए।
- कठिनाइयों में धैर्य बनाए रखना चाहिए, जैसे पर्वत वर्षा की बूँदों को सहता है।
- धर्म और सच्चाई का पालन करना आवश्यक है, क्योंकि पाखंड और झूठ से सत्य छिप जाता है।
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