Important Questions For All Chapters – हिंदी Class 10th
रीढ़ की हड्डी
Short Questions
1. ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के लेखक कौन हैं?
- जगदीशचंद्र माथुर।
2. इस नाटक में मुख्य पात्र कौन-कौन हैं?
- उमा, रामस्वरूप, प्रेमा, शंकर, गोपाल प्रसाद, रतन।
3. इस नाटक का मुख्य विषय क्या है?
- स्त्री शिक्षा और दकियानूसी समाज की सोच।
4. रामस्वरूप अपनी बेटी उमा को लेकर क्यों चिंतित हैं?
- क्योंकि वर पक्ष ज्यादा पढ़ी-लिखी बहू नहीं चाहता।
5. गोपाल प्रसाद किस प्रकार के बहू की तलाश में थे?
- कम पढ़ी-लिखी और घरेलू काम में निपुण।
6. शंकर किस विषय की पढ़ाई कर रहा था?
- मेडिकल।
7. उमा के चश्मा लगाने पर वर पक्ष ने क्या प्रतिक्रिया दी?
- वे चौंक गए और इसे अधिक पढ़ाई का परिणाम मान लिया।
8. उमा का शिक्षा स्तर क्या था?
- वह बी.ए. पास थी।
9. गोपाल प्रसाद ने शादी के लिए क्या प्राथमिकता दी?
- लड़की की सुंदरता और कम शिक्षा।
10. उमा ने अपनी तुलना किससे की?
- बाजार में बिकने वाली कुर्सी-मेज से।
11. उमा का संगीत में क्या योगदान था?
- वह सितार बजाती और गाना गाती थी।
12. गोपाल प्रसाद ने ‘बैकबोन’ शब्द का प्रयोग क्यों किया?
- उन्होंने शंकर के आत्मविश्वास की कमी पर कटाक्ष किया।
13. शंकर का व्यवहार कैसा था?
- वह झिझक रहा था और पिता की बातों का पालन कर रहा था।
14. उमा के विद्रोह का मुख्य कारण क्या था?
- वर पक्ष द्वारा उसका नाप-तोल किया जाना।
15. रामस्वरूप अपने घर आए मेहमानों से कैसा व्यवहार कर रहे थे?
- वे बहुत विनम्रता और खुशामद से पेश आ रहे थे।
16. उमा ने वर पक्ष के सामने कैसा व्यवहार किया?
- उसने आत्मसम्मान के साथ बेबाकी से जवाब दिया।
17. शंकर का अपने पिता के निर्णय के प्रति क्या दृष्टिकोण था?
- वह पूरी तरह पिता के निर्णयों पर निर्भर था।
18. इस नाटक में समाज की किस मानसिकता पर प्रहार किया गया है?
- लड़कियों की शिक्षा के प्रति नकारात्मक सोच पर।
19. ‘रीढ़ की हड्डी’ नाम इस नाटक के लिए क्यों उचित है?
- क्योंकि यह आत्मसम्मान और साहस की बात करता है।
20. इस नाटक का अंत किस प्रकार होता है?
- उमा वर पक्ष को आत्मसम्मानपूर्वक जवाब देकर विदा कर देती है।
Long Questions
1. इस नाटक का मुख्य संदेश क्या है?
- ‘रीढ़ की हड्डी’ स्त्री शिक्षा, आत्मसम्मान और सामाजिक पूर्वाग्रहों पर प्रहार करता है। यह दर्शाता है कि स्त्री को भी अपनी योग्यता और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। नारी को सिर्फ विवाह के लिए नहीं, बल्कि अपनी पहचान के लिए भी शिक्षित होना चाहिए।
2. रामस्वरूप और प्रेमा उमा की शिक्षा को लेकर क्यों चिंतित थे?
- क्योंकि वे जानते थे कि गोपाल प्रसाद और उनका परिवार अधिक पढ़ी-लिखी बहू को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने उमा की शिक्षा को छिपाने की कोशिश की, जिससे पता चलता है कि वे सामाजिक मानसिकता से डरे हुए थे। यह दिखाता है कि उस समय समाज में लड़कियों की शिक्षा को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था।
3. गोपाल प्रसाद ने उमा के चश्मे को लेकर क्या प्रतिक्रिया दी?
- उन्होंने चश्मे को देखकर संदेह जताया कि उमा अधिक पढ़ाई करने के कारण कमजोर हो गई है। उन्हें लगा कि पढ़ाई से लड़की की सुंदरता और घरेलू कार्यों की क्षमता प्रभावित होती है। यह दर्शाता है कि उनके लिए लड़की की शिक्षा की जगह उसकी बाहरी सुंदरता अधिक मायने रखती थी।
4. नाटक में शंकर के चरित्र को किस रूप में दिखाया गया है?
- शंकर एक ऐसा व्यक्ति है जो अपने पिता की बातों को आँख मूंदकर मानता है और स्वयं निर्णय नहीं ले पाता। वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा था, लेकिन फिर भी आत्मविश्वास की कमी के कारण वह उमा के आत्मसम्मान से प्रभावित हुआ। अंततः, वह अपने पिता के फैसले का ही समर्थन करता है।
5. उमा के संवादों से उसके व्यक्तित्व के कौन-कौन से गुण उभरकर आते हैं?
- उमा एक साहसी, आत्मसम्मानी और शिक्षित लड़की है, जो सामाजिक अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने में सक्षम है। उसका यह संवाद कि ‘जब कुर्सी-मेज बिकती है तब दुकानदार उनसे कुछ नहीं पूछता’, उसकी सूझबूझ और सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता को दर्शाता है।
6. इस नाटक में ‘बैकबोन’ शब्द का क्या महत्व है?
- ‘बैकबोन’ का अर्थ रीढ़ की हड्डी है, जो आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। नाटक के अंत में उमा इस शब्द का प्रयोग शंकर के लिए करती है, जिससे पता चलता है कि वह हिम्मतहीन और पिता के इशारों पर चलने वाला व्यक्ति है। यह नाटक का केंद्रीय विचार प्रस्तुत करता है।
7. गोपाल प्रसाद की बहू के प्रति सोच से उस समय की समाजिक सोच का क्या चित्रण होता है?
- गोपाल प्रसाद केवल एक सुंदर और कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते थे, जो घरेलू कामों में निपुण हो। यह दर्शाता है कि उस समय समाज में स्त्री को सिर्फ घर संभालने और पति की सेवा करने तक सीमित कर दिया जाता था। उमा का विद्रोह इसी संकीर्ण सोच के विरुद्ध था।
8. उमा के विद्रोह का क्या प्रभाव पड़ा?
- उमा के विद्रोह ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह किसी की भी शर्तों पर शादी के लिए तैयार नहीं है। उसके आत्मसम्मान और बेबाकी से जवाब देने से गोपाल प्रसाद और शंकर असहज हो गए। अंततः, यह दिखाता है कि लड़कियों को अपनी शिक्षा और सम्मान को बनाए रखना चाहिए।
9. नाटक के नाम ‘रीढ़ की हड्डी’ को प्रतीकात्मक रूप में समझाइए।
- ‘रीढ़ की हड्डी’ आत्मसम्मान, साहस और स्वतंत्रता का प्रतीक है। उमा ने इस नाटक में अपने आत्मसम्मान की रक्षा करके यह साबित किया कि वह अपनी शिक्षा और निर्णयों के प्रति आत्मनिर्भर है। वहीं, शंकर और उसके पिता के व्यवहार से यह स्पष्ट होता है कि उनमें वह साहसिक रीढ़ की हड्डी नहीं थी।
10. नाटक से हमें क्या सीख मिलती है?
- यह नाटक हमें सिखाता है कि स्त्री शिक्षा को महत्व देना चाहिए और सामाजिक रूढ़ियों के सामने झुकना नहीं चाहिए। आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता हर व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। उमा का विद्रोह हमें यह प्रेरणा देता है कि हमें अन्याय और संकीर्ण मानसिकता के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
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