Important Question For All Chapters – हिंदी Class 10
श्रम साधना
Short Questions
1. श्रीकृष्णदास जाजू का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
→ उनका जन्म 1882 में अकासर (राजस्थान) में हुआ था।
2. श्रीकृष्णदास जाजू को लोग किस नाम से सम्मान देते थे?
→ उन्हें ‘तपोधन’ के नाम से सम्मान दिया जाता था।
3. ‘श्रम साधना’ पाठ किस प्रकार का लेख है?
→ यह एक वैचारिक निबंध है।
4. गुलामी की प्रथा कब तक चलती रही?
→ यह प्रथा हजारों वर्षों तक चलती रही।
5. गुलामी की प्रथा समाप्त होने का कारण क्या था?
→ जब लोगों का विवेक जागृत हुआ, तब इस प्रथा का अंत हुआ।
6. राजाओं की सत्ता का अंत क्यों हुआ?
→ लोगों ने प्रश्न उठाया कि किसी एक व्यक्ति को हजारों लोगों पर हुकूमत करने का अधिकार क्यों हो?
7. संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित प्रश्न क्यों उठे?
→ क्योंकि समाज में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही थी।
8. संपत्ति क्या होती है?
→ संपत्ति वह होती है जो किसी-न-किसी रूप में मनुष्य के उपयोग में आती है।
9. मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ क्या हैं?
→ भोजन, वस्त्र और मकान।
10. संपत्ति निर्माण के दो मुख्य साधन कौन-कौन से हैं?
→ प्राकृतिक संसाधन और मनुष्य का श्रम।
11. बिना किसके संपत्ति का निर्माण संभव नहीं?
→ बिना शारीरिक श्रम के।
12. बुद्धिजीवी और श्रमजीवी में क्या अंतर है?
→ बुद्धिजीवी बौद्धिक कार्य करते हैं, जबकि श्रमजीवी शारीरिक श्रम करते हैं।
13. किसानों की मेहनत का लाभ किसे मिलता है?
→ व्यापारियों और धनवानों को।
14. मजदूर संपत्ति का निर्माण करते हैं, लेकिन किसके पास धन इकट्ठा होता है?
→ उद्योगपतियों और व्यापारियों के पास।
15. समाज में आर्थिक विषमता का मुख्य कारण क्या है?
→ बुद्धि का उपयोग केवल पैसे कमाने के लिए करना।
16. महात्मा गांधी ने श्रम और श्रमिक की प्रतिष्ठा के लिए क्या उपाय बताया?
→ प्रत्येक व्यक्ति को चार घंटे शारीरिक श्रम और चार घंटे बौद्धिक कार्य करना चाहिए।
17. श्रमिकों को समाज में किस प्रकार देखा जाता है?
→ उन्हें हीन दृष्टि से देखा जाता है।
18. गांधीजी ने श्रम का कौन-सा महत्व बताया?
→ उन्होंने श्रम को समाज के उत्थान का मूल आधार माना।
19. धनिकों को अपनी संपत्ति का उपयोग कैसे करना चाहिए?
→ समाज के हित में ट्रस्टी की तरह।
20. समाज की उन्नति किस वृत्ति से हो सकती है?
→ परोपकार वृत्ति से।
Long Questions
1. गुलामी की प्रथा कैसे समाप्त हुई?
→ गुलामी की प्रथा हजारों वर्षों तक चलती रही, क्योंकि लोग इसे अपना भाग्य मानते थे। लेकिन जब मनुष्यों का विवेक जागृत हुआ, तब इस प्रथा पर सवाल उठने लगे और इसके खिलाफ संघर्ष हुए। अंततः इस अन्यायपूर्ण प्रथा को समाप्त कर दिया गया।
2. राजाओं की सत्ता क्यों समाप्त हुई?
→ प्राचीन काल में राजा अपनी शक्ति के बल पर लोगों पर शासन करते थे और उन्हें दबाते थे। लेकिन जब लोगों ने यह सोचना शुरू किया कि क्या एक व्यक्ति को हजारों लोगों पर शासन करने का अधिकार है, तब इसके खिलाफ विद्रोह हुए। कई युद्धों और संघर्षों के बाद राजसत्ता समाप्त होकर प्रजातंत्र स्थापित हुआ।
3. संपत्ति का वास्तविक अर्थ क्या है?
→ आमतौर पर लोग संपत्ति को रुपया, सोना-चाँदी और नोट मानते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। संपत्ति वे चीजें हैं जो मनुष्य के जीवन में उपयोगी होती हैं, जैसे—अन्न, वस्त्र, मकान, औजार आदि। इनका निर्माण प्राकृतिक संसाधनों और मनुष्य के श्रम से होता है।
4. संपत्ति के निर्माण में श्रम का क्या योगदान है?
→ संपत्ति का निर्माण मुख्य रूप से दो साधनों से होता है—प्राकृतिक संसाधन और मानव श्रम। यदि मनुष्य अपने श्रम से इन संसाधनों का उपयोग न करे, तो वे किसी काम के नहीं होते। इसलिए, बिना शारीरिक श्रम के संपत्ति का निर्माण नहीं हो सकता।
5. श्रमजीवी और बुद्धिजीवी में क्या अंतर है?
→ समाज में श्रमजीवी और बुद्धिजीवी दोनों आवश्यक हैं, लेकिन दोनों के कार्य अलग-अलग होते हैं। श्रमजीवी वे होते हैं जो शारीरिक श्रम करके उत्पादन करते हैं, जैसे—किसान, मजदूर, बढ़ई आदि। बुद्धिजीवी वे होते हैं जो बौद्धिक कार्य करते हैं, जैसे—अध्यापक, वकील, डॉक्टर आदि।
6. समाज में श्रमिकों की स्थिति कैसी है?
→ श्रमिक समाज के लिए अनिवार्य हैं, क्योंकि वे उत्पादन का मुख्य कार्य करते हैं, लेकिन उनकी स्थिति दयनीय रहती है। उन्हें कम मजदूरी मिलती है, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा कम होती है और उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके विपरीत, व्यापारियों और उद्योगपतियों को अधिक लाभ मिलता है।
7. गांधीजी का श्रम के प्रति क्या दृष्टिकोण था?
→ गांधीजी का मानना था कि हर व्यक्ति को न केवल बौद्धिक श्रम, बल्कि शारीरिक श्रम भी करना चाहिए। उन्होंने श्रमिकों की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए रचनात्मक कार्यों को अपनाने पर बल दिया। वे मानते थे कि यदि प्रत्येक व्यक्ति दिन में कुछ घंटे श्रम करे, तो समाज में आर्थिक समानता आ सकती है।
8. आर्थिक विषमता के कारण क्या हैं?
→ आर्थिक विषमता मुख्य रूप से संपत्ति के असमान वितरण और श्रमिकों के शोषण के कारण होती है। जो लोग शारीरिक श्रम करते हैं, उन्हें कम मजदूरी मिलती है, जबकि व्यापारी और उद्योगपति अधिक धन अर्जित करते हैं। इसके अलावा, पूँजीवाद और मुनाफे की होड़ भी आर्थिक असमानता को बढ़ाते हैं।
9. क्या दान से सामाजिक समस्याएँ हल हो सकती हैं?
→ कुछ लोग मानते हैं कि अमीरों द्वारा दान देने से समाज में अस्पताल, स्कूल और अन्य सुविधाएँ विकसित होती हैं। लेकिन वास्तव में, यदि संपत्ति कुछ लोगों तक सीमित न होकर समाज में समान रूप से वितरित हो, तो कोई व्यक्ति याचक नहीं बनेगा। इस प्रकार, दान समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।
10. आर्थिक समानता कैसे स्थापित की जा सकती है?
→ आर्थिक समानता स्थापित करने के लिए श्रम की प्रतिष्ठा बढ़ानी होगी और सभी को श्रम करने के समान अवसर मिलने चाहिए। गांधीजी ने सुझाव दिया था कि हर व्यक्ति चार घंटे शारीरिक श्रम करे और चार घंटे बौद्धिक श्रम करे। इसके अलावा, पूँजी का सही उपयोग और न्यायपूर्ण मजदूरी भी आवश्यक है।
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