Tansen
Summary in Marathi
“तानसेन” ही हजरत इनायत खान यांची एक सुंदर कविता आहे जी तानसेन नावाच्या प्रसिद्ध गायकाची आणि त्याच्या गुरूंची गोष्ट सांगते. तानसेन हा बादशहा अकबराच्या दरबारातला एक उत्तम गायक होता. त्याने एकदा दीपक राग गायला, ज्यामुळे त्याचं शरीर जळायला लागलं. त्याला बरं करण्यासाठी एका मुलीने मल्हार राग गायला, जो थंडावा देणारा होता. अकबराला तानसेनचं गाणं खूप आवडलं आणि त्याने तानसेनला बक्षीस दिलं. पण जेव्हा तानसेनने सांगितलं की त्याचा गुरू हिमालयातल्या गुहेत राहतो आणि खूप दिव्य आहे, तेव्हा अकबराला त्याला भेटायची इच्छा झाली. तानसेन म्हणाला की गुरू फक्त साध्या माणसांसाठी गातो, म्हणून अकबराने गुलामासारखे कपडे घालून तानसेनबरोबर हिमालयात जायचं ठरवलं. तिथे त्यांनी गुरूला (ओस्ताद) गाण्याची विनंती केली. ओस्तादने मलकौंस राग गायला, ज्याने सगळे पक्षी, प्राणी आणि अकबर मंत्रमुग्ध झाले. पण अकबर काही बोलणार तोच ओस्ताद गायब झाला. अकबराने तानसेनला विचारलं की त्याचं गाणं ओस्तादसारखं का नाही, तेव्हा तानसेन म्हणाला, “मी राजाला गातो, पण ओस्ताद देवाला गातो.” ही कविता दाखवते की खरी कला आणि भक्ती ही सांसारिक गोष्टींपेक्षा वरचढ असते.
Summary in English
“Tansen” is a beautiful poem by Hazrat Inayat Khan that tells the story of Tansen, a famous singer in Emperor Akbar’s court, and his divine teacher. Tansen was so talented that his singing enchanted Akbar, who rewarded him with gems. Once, Tansen sang the Deepak Raga, which set his body on fire, but a girl saved him by singing the cooling Malhar Raga. Impressed, Akbar asked about Tansen’s teacher. Tansen said his guru, Ostad, lived in a cave in the Himalayas, far from worldly riches, and was extraordinary. Akbar wished to hear Ostad sing, but Tansen explained that his teacher only sang for humble people, not kings. So, Akbar dressed as a slave and followed Tansen to the mountains. There, they begged Ostad to sing. Ostad sang the Malkous Raga, which was so magical that birds, animals, and Akbar were spellbound. Before Akbar could praise him, Ostad vanished. When Akbar asked why Tansen’s singing wasn’t as heavenly, Tansen replied, “I sing for you, but he sings for God.” The poem shows that true art and devotion rise above earthly desires and pride.
Summary in Hindi
“तानसेन” हजरत इनायत खान की एक शानदार कविता है जो तानसेन नाम के मशहूर गायक और उसके गुरु की कहानी बयान करती है। तानसेन बादशाह अकबर के दरबार में गाता था और उसकी आवाज़ इतनी मधुर थी कि अकबर मंत्रमुग्ध हो जाता था। अकबर ने उसे ढेर सारे इनाम दिए। एक बार तानसेन ने दीपक राग गाया, जिससे उसका शरीर जलने लगा। एक लड़की ने मल्हार राग गाकर उसे ठीक किया, जो ठंडक देता था। अकबर ने तानसेन से उसके गुरु के बारे में पूछा। तानसेन ने बताया कि उसका गुरु, ओस्ताद, हिमालय की गुफा में रहता है और बहुत अलौकिक है। अकबर उसे सुनना चाहता था, लेकिन तानसेन ने कहा कि ओस्ताद सिर्फ सादे लोगों के लिए गाता है, राजाओं के लिए नहीं। इसलिए अकबर ने गुलाम जैसे कपड़े पहने और तानसेन के साथ हिमालय गया। वहाँ उन्होंने ओस्ताद से गाने की विनती की। ओस्ताद ने मलकौंस राग गाया, जिससे पक्षी, जानवर और अकबर सब मोहित हो गए। अकबर कुछ कहे उससे पहले ओस्ताद गायब हो गया। अकबर ने पूछा कि तानसेन का गाना वैसा क्यों नहीं, तो तानसेन बोला, “मैं आपके लिए गाता हूँ, वो भगवान के लिए गाता है।” यह कविता सिखाती है कि सच्ची कला और भक्ति सांसारिक चीज़ों से ऊपर होती है।
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