निसर्गवैभव (पूरक पठन)
पाठ के आँगन में
(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए : –
(क) संजाल :
उत्तर:- कविता में आए प्राकृतिक सौंदर्य के घटक –
गिरि-शिखरों से झरता झरना
घाटियों में फैली धूप और छाँह
अनिल (हवा) का स्पर्श पाकर पुलकित होते तृण
मधुर संगीत जैसी बहती वन-भू की मर्मर ध्वनि
(ख) कविता की पंक्तियों को उचित क्रमानुसार लिखकर प्रवाह तख्ता पूर्ण कीजिए।
उत्तर:- (1) अनिल स्पर्श से पुलकित तृण दल,
(2) निश्चल तरंग-सी स्तंभित !
(3) अभिशापित हो उसका जीवन ?
(4) परिचित मरकत आंगन में !
२) कविता द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए।
उत्तर:- इस कविता के माध्यम से कवि सुमित्रानंदन पंत हमें यह संदेश देना चाहते हैं कि प्रकृति का सौंदर्य अपार और अलौकिक है। इसे निहारकर मनुष्य को आध्यात्मिक अनुभूति होती है। लेकिन मानव अपने अहंकार में इस सौंदर्य को भूल जाता है और संघर्षों में उलझा रहता है। यदि मनुष्य अपनी संकीर्ण सोच से मुक्त होकर प्रकृति से जुड़े, तो वह सच्चे सुख और शांति का अनुभव कर सकता है।
३)कविता के तृतीय चरण का भावार्थ सरल हिन्दी में लिखिए।
उत्तर:- कविता के तृतीय चरण में कवि कहते हैं कि पहाड़ों पर खिले फूलों की सुंदरता और उनकी शीतलता हमारी आँखों को ठंडक पहुंचाती है। मधुमक्खियाँ इन फूलों से रस ग्रहण करती हैं और गुंजन करती हैं। तितलियाँ इधर-उधर उड़ती हैं और वन में कोयल अपनी मधुर ध्वनि से वातावरण को संगीतमय बना देती है। यह सब देखकर कवि को दिव्य अनुभूति होती है और वे ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने लगते हैं।
भाषा बिंदु
निम्नलिखित मुहावरे/कहावतों में से अनुपयुक्त शब्द काटकर उपयुक्त शब्द लिखिए :
उत्तर:-
क्रम | गलत मुहावरा | सही मुहावरा |
---|---|---|
1 | टोपी पहनना | टोपी पहनाना |
2 | कमर बंद करना | कमर कसना |
3 | गेहूँ गीला होना | आटा गीला होना |
4 | नाक की किरकिरी होना | आँख की किरकिरी होना |
5 | धरती सर पर उठाना | आसमान सिर पर उठाना |
6 | लाठी पानी का बैर | लाठी और साँप का बैर |
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