कबीर (पूरक पठन)
पाठ के आँगन में
(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
संजाल:
उत्तर: “कबीर की विशेषताएँ”
निर्गुण भक्ति के समर्थक
साधारण भाषा में रचनाएँ
सामाजिक कुरीतियों का विरोध
संत परंपरा के महान कवि
(२) सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
उत्तर: (क) कबीर के मतानुसार प्रेम किसी –
खेत में नहीं उपजता ।
(ख) कबीर जिज्ञासु थे –
सत्य के।
मौलिक सृजन
“संतों के वचन समाज परिवर्तन में सहायक होते हैं’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए ।
उत्तर: संतों के वचन हमें सच्चाई, प्रेम, दया और करुणा का संदेश देते हैं। वे समाज में फैले अंधविश्वास, भेदभाव और असमानता को दूर करने में सहायक होते हैं। जैसे कबीर ने कहा –
“अरे इन दोऊ राह न पाई, साधु कहेऊ भेद।
या जग में मैं बौराना, मोहे मिले न भेद॥”
इसका अर्थ है कि सत्य और भक्ति का मार्ग कठिन है, लेकिन जो इस पर चलते हैं, वही जीवन में सफल होते हैं।
भाषा बिंदु
रेखांकित शब्दों से उपसर्ग और प्रत्यय अलग करके लिखिए : उपसर्ग और प्रत्यय
भारत की अलौकिकता सारे विश्व में फैली है ।
.(अ) (लौकिक) ( ता )
उत्तर:
- लापरवाही → (उपसर्ग: ला), (मूल शब्द: परवाह), (प्रत्यय: ई)
- असफलता → (उपसर्ग: अ), (मूल शब्द: सफल), (प्रत्यय: ता)
- अभिमानी → (उपसर्ग: अभि), (मूल शब्द: मान), (प्रत्यय: ई)
- विचलित → (उपसर्ग: वि), (मूल शब्द: चल), (प्रत्यय: ित)
- प्रतिद्वंद्वी → (उपसर्ग: प्रत), (मूल शब्द: द्वंद्व), (प्रत्यय: ई)
- परिपूर्णता → (उपसर्ग: परि), (मूल शब्द: पूर्ण), (प्रत्यय: ता)
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