अपराजेय
पाठ के आँगन में
(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :-
(क) केवल एक शब्द में उत्तर लिखिए:-
उत्तर:- जिनमें चल-फिरने की क्षमता का अभाव हो → दिव्यांग
जिनमें सुनने की क्षमता का अभाव हो → बधिर
जिनमें बोलने की क्षमता का अभाव हो → मूक
स्वस्थ शरीर में किसी भी एक क्षमता का अभाव होना → अपंगता
(ख) पाठ में प्रयुक्त वाक्य पढ़कर व्यक्ति में निहित भाव लिखिए:
उत्तर:- ‘टाँग ही काटनी है तो काट दो।’ → साहस और आत्मविश्वास
‘मैं जानता हूँ कि, जीवन का विकास पुरुषार्थ में हैं, आत्महीनता में नहीं।’ → संघर्षशीलता और दृढ़ निश्चय
(२) ‘हीन’ शब्द का प्रयोग करके कोई तीन अर्थपूर्ण शब्द तैयार करके लिखिए:-
उत्तर:- 1. आत्म + हीन → आत्महीनता
2. गुण + हीन → गुणहीन
3. साहस + हीन → साहसहीन
(३) परिस्थिति के सामने हार न मानकर उसे सहर्ष स्वीकार करने में ही जीवन की सार्थकता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- जीवन में अनेक कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन जो व्यक्ति उन्हें सहर्ष स्वीकार कर आगे बढ़ता है, वही सच्चे अर्थों में सफल होता है। अमरनाथ ने अपने जीवन में आई विकट परिस्थितियों को चुनौती के रूप में स्वीकार किया और कला तथा संगीत को अपना संबल बनाया। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि जीवन में सफलता और आनंद केवल शरीर की पूर्णता पर निर्भर नहीं करता, बल्कि मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास पर आधारित होता है। इस प्रकार, परिस्थितियों से हार न मानकर आगे बढ़ना ही जीवन की सच्ची सार्थकता है।
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