कह कविराय
पाठ के आँगन में
(१) सूचना के अनुसार कृतियाँ पूर्ण कीजिए :-
(क) कौआ और कोकिल में समानता तथा अंतर :
उत्तर:-
समानता | अंतर | कवि की दृष्टि से | |
---|---|---|---|
कौआ | दोनों पक्षी हैं, उड़ सकते हैं। | आवाज कर्कश होती है, काले रंग का होता है। | स्वार्थी, हर मौसम में बोलता है। |
कोकिल | दोनों अंडे देते हैं, वृक्षों पर रहते हैं। | मधुर आवाज होती है, केवल वसंत में गाती है। | मधुर वाणी के कारण प्रिय होती है। |
(ख) कवि की दृष्टि से मित्र की परिभाषा-
उत्तर:- 1. जो बिना स्वार्थ के साथ रहे।
2. जो विपत्ति में सहायता करे।
3. जो सच्ची सलाह दे।
4. जो सुख-दुख में समान रहे।
(ग) आकृति
बिना सोचे काम करने के परिणाम
उत्तर:- 1. असफलता
2. पछतावा
3. हानि
4. समाज में उपहास
(२) कविता में प्रमुख तत्सम, तद्भव, देशज शब्दों का चयन करके उनका वर्गीकरण कीजिए तथा पाँच शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:- कविता में प्रमुख तत्सम, तद्भव और देशज शब्दों का वर्गीकरण:
तत्सम शब्द | तद्भव शब्द | देशज शब्द |
---|---|---|
गुण | बिगारै (बिगाड़े) | कागा |
नर | लहे (ले) | डोले |
व्यवहार | कहे (कहता) | धावे |
परम | सुने (सुनता) | टारना |
दुख | बैठे (बैठे) | लैके (लेकर) |
पाँच शब्दों का वाक्य में प्रयोग:
गुण – हमें अपने जीवन में अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।
व्यवहार – मधुर व्यवहार सभी को प्रिय लगता है।
बिगारै – बिना सोचे-विचारे कार्य करने से अपना ही काम बिगारै।
डोले – तेज़ हवा चलने से पेड़ की डालियाँ डोले लगीं।
लैके – वह दुकान से सामान लैके घर आया।
(३) कवि के मतानुसार मनुष्य की विचारधारा निम्न मुद्दों के आधार पर स्पष्ट कीजिए :
(च) ऋण लेते समय __________
(छ) ऋण लौटाते समय __________
(च) ऋण लेते समय:
उत्तर:- जब कोई व्यक्ति ऋण लेता है, तो वह मीठी-मीठी बातें करता है और अत्यंत विनम्र बन जाता है। वह झूठे वचन कहकर दूसरों से उधार प्राप्त कर लेता है और उस समय अपनी सच्चाई और ईमानदारी का दिखावा करता है।
(छ) ऋण लौटाते समय:
उत्तर:- ऋण लौटाने का समय आने पर वही व्यक्ति बहाने बनाने लगता है और तरह-तरह के झूठ बोलता है। कई बार वह ऋणदाता से कटने लगता है या झगड़ा करने लगता है। समय बीतने पर वह कर्ज को ही नकार देता है और यह कहता है कि उसके पास ऋण से संबंधित कोई प्रमाण नहीं है।
पाठ से आगे
“बीती ताहि बिसारिए दे, आगे की सुधि लेइ”, कवि के इस कथन की हमारे जीवन में सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- “बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेइ” की सार्थकता:
कवि गिरिधर हमें यह सिखाते हैं कि बीते हुए समय को भुलाकर आगे की योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए। यदि हम अपने पुराने दुखों और असफलताओं में ही फंसे रहेंगे, तो हम अपने भविष्य को उज्जवल नहीं बना सकते। इसलिए हमें बीती हुई बातों से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
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