मेरे पिता जी (पूरक पठन)
लेखक परिचय
लेखक: हरिवंश राय बच्चन
जन्म: 27 नवंबर 1907, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु: 18 जनवरी 2003
वे हिंदी कविता के प्रसिद्ध कवि थे।
उनकी प्रसिद्ध रचना मधुशाला है।
प्रमुख कृतियाँ: मधुशाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, आत्मकथा (4 खंड)
पाठ का सारांश:
पिता जी का व्यक्तित्व
- बहुत अनुशासन प्रिय, ईमानदार और मेहनती थे।
- समय के पाबंद और स्वाभिमानी व्यक्ति थे।
- दूसरों की मदद करने में विश्वास रखते थे।
पिता जी का कार्य और दिनचर्या
- एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क थे, लेकिन बहुत मेहनत करते थे।
- रोज़ सुबह 3 बजे उठकर गंगा स्नान के लिए जाते थे।
- नियमित रूप से रामचरितमानस और गीता का पाठ करते थे।
- दफ्तर कभी देर से नहीं पहुँचे और पैदल ही सफर करते थे।
पिता जी की सादगी और आत्मनिर्भरता
- साधारण कपड़े पहनते थे (पाजामा, अचकन, टोपी)।
- पैदल चलना पसंद था, कभी साइकिल नहीं खरीदी।
- घड़ी समय के प्रति उनकी सख्ती का प्रतीक थी।
साहस और समझदारी
- हिंदू-मुस्लिम दंगे में निडरता से शांति बनाए रखी।
- लड़ाई-झगड़े को व्यर्थ मानते थे और मेल-जोल पर विश्वास रखते थे।
समय की पाबंदी और अनुशासन
- हमेशा समय पर कार्य करना उनकी आदत थी।
- घर में भी अनुशासन बनाए रखते थे।
- उनकी घड़ी आज भी परिवार में उनके अनुशासन की याद दिलाती है।
मुख्य बातें:
- अनुशासन और ईमानदारी से जीवन को सफल बनाया जा सकता है।
- समय की पाबंदी व्यक्ति की सबसे बड़ी पूंजी होती है।
- धर्म और नैतिकता को जीवन में अपनाना चाहिए।
- सहिष्णुता और मेल-जोल समाज में शांति बनाए रखने के लिए ज़रूरी है।
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