निसर्गवैभव (पूरक पठन)
कवि परिचय:
नाम: सुमित्रानंदन पंत
जन्म: 20 मई 1900, कौसानी (उत्तराखंड)
मृत्यु: 28 दिसंबर 1977
साहित्यिक विशेषता:
- छायावादी युग के प्रमुख चार स्तंभों में से एक।
- प्रकृति, मानव सौंदर्य और आध्यात्मिकता को सुंदर शब्दों में प्रस्तुत किया।
प्रमुख रचनाएँ:
- वीणा, गुंजन, पल्लव, ग्राम्या, चिदंबरा, कला और बूढ़ा चाँद (कविता संग्रह)
- हार (उपन्यास), साठ वर्ष: एक रेखांकन (आत्मकथात्मक संस्मरण)
कविता का सारांश:
यह कविता प्राकृतिक सौंदर्य, पर्वतीय जीवन और ईश्वर की सृजनात्मक शक्ति का बखान करती है। कवि ने पहाड़ों, नदियों, फूलों, पशु-पक्षियों और मौसम की सुंदरता को बड़े ही मनमोहक रूप में प्रस्तुत किया है।
कविता के मुख्य बिंदु:
1. प्राकृतिक सुंदरता:
- पहाड़ों से गिरते झरने, घाटियों में धूप-छाँव का खेल।
- ताजी हवा, बहते पानी की आवाज़, हरी-भरी घास।
2. फूल-पत्तियाँ और पक्षी:
- फूलों की सुगंध, तितलियों की उड़ान और कोयल की मधुर आवाज़।
3. सूर्य और चंद्रमा का प्रभाव:
- सुबह का स्वागत सुनहरी धूप से और शाम का संध्या वंदन।
- तारों से सजी रात और चंद्रमा का दर्पण जैसा प्रतिबिंब।
4. मानव जीवन और ईश्वर:
- मनुष्य की चिंताओं के बीच प्रकृति शांति देती है।
- ईश्वर की रचना इतनी सुंदर है, फिर भी मानव जीवन संघर्षमय क्यों?
कविता से मिलने वाला संदेश:
- प्रकृति की सुंदरता से हमें प्रेरणा और शांति मिलती है।
- हमें अपनी आत्मा को पहचानकर, ईश्वर के करीब जाना चाहिए।
- मानव को अपने अहंकार और स्वार्थ से ऊपर उठना चाहिए।
कठिन शब्दार्थ:
शब्द | अर्थ |
---|---|
इलक्षण | मधुर |
अनिल | हवा |
अहरह | प्रतिदिन |
मुकुल | कली |
शैल | पर्वत |
समीरण | मंद पवन |
मरकत | पन्ना (हरा रत्न) |
निर्जन | वीरान |
अपलक | बिना पलक झपकाए |
वैचित्र्य | अनोखापन |
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