किताबें
परिचय
लेखक परिचय – गुलजार
पूरा नाम: संपूरण सिंह कालरा
जन्म: 18 अगस्त 1936, दीना, झेलम (अब पाकिस्तान में)
मुख्य कार्य: कवि, पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक, नाटककार, गीतकार
प्रसिद्ध रचनाएँ:
- कविता संग्रह: रात पश्मीने की, एक बूँद चाँद
- कथा संग्रह: राबी पार
- लघुकथाएँ: चौरस रात
कविता का सारांश
यह कविता किताबों के प्रति घटते लगाव और तकनीक (कंप्यूटर, मोबाइल) के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। लेखक ने किताबों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा है और दिखाया है कि अब लोग किताबें कम पढ़ते हैं। किताबें उदास हैं क्योंकि पहले जो समय लोग उनके साथ बिताते थे, अब स्क्रीन के सामने बीतता है।
मुख्य बिंदु
किताबों की हालत:
- किताबें अलमारी में बंद रहती हैं।
- लोग अब उन्हें नहीं पढ़ते, जिससे वे उदास हो गई हैं।
- कंप्यूटर और मोबाइल की वजह से किताबों से दूरी बढ़ गई है।
पुरानी यादें:
- पहले लोग किताबों के साथ समय बिताते थे।
- किताबों में सूखे फूल और चिट्ठियाँ मिलती थीं।
- किताबें रिश्ते जोड़ने का जरिया थीं।
तकनीक का प्रभाव:
- अब पन्ने पलटने की जगह स्क्रीन पर “क्लिक” किया जाता है।
- रिश्तों में भावनात्मक जुड़ाव कम हो गया है।
- किताबों का ज्ञान तो मिलेगा, पर उनका अपनापन खो गया है।
महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ
शब्द | अर्थ |
---|---|
हसरत | इच्छा, कामना |
राब्ता | संपर्क, जुड़ाव |
सोहबत | संगति, साथ |
जबीं | माथा |
इल्म | ज्ञान |
जायका | स्वाद, अनुभव |
सफा | पन्ना |
अल्फाज | शब्द |
निष्कर्ष
यह कविता हमें किताबों के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करती है। तकनीक भले ही सुविधाजनक हो, लेकिन किताबों के साथ बिताया गया समय हमें गहरे ज्ञान और भावनात्मक जुड़ाव का अनुभव कराता है। हमें किताबों को फिर से अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
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