Notes For All Chapters – लोकभारती हिंदी Class 9
सिंधु का जल
1. परिचय
- यह कविता अशोक चक्रधर जी द्वारा लिखी गई है।
- इसमें नदी के महत्व और उसकी विशेषताओं को दर्शाया गया है।
- कविता में बताया गया है कि नदी सभी के लिए समान होती है और किसी के धर्म, जाति या देश को नहीं देखती।
2. कवि का परिचय
- जन्म: 8 फरवरी 1945, खुर्जा (उत्तर प्रदेश)।
- वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं और कविता, हास्य-व्यंग्य, निबंध, नाटक आदि विधाओं में लेखन कर चुके हैं।
- प्रमुख कृतियाँ: बूढ़े बच्चे, तमाशा, खिड़कियाँ, बोल-गप्पे, जो करे सो जोकर आदि।
3. कविता का सारांश
- नदी जीवन का प्रतीक: कविता में सिंधु नदी को जीवन की पहचान बताया गया है।
- सभी के लिए समानता: नदी किसी से भी धर्म, जाति या मजहब नहीं पूछती, वह सबको समान रूप से जल देती है।
- संस्कृतियों का संगम: नदी के किनारे सभ्यताओं का जन्म हुआ, और यह अनेक संस्कृतियों को एक साथ जोड़ती है।
- युद्ध और हिंसा का प्रभाव: नदी इस बात की गवाह है कि कई बार युद्धों में निर्दोष लोगों का खून भी बहाया गया है, लेकिन फिर भी यह सबका घाव धोती है और सबके लिए बनी रहती है।
4. महत्वपूर्ण शब्दार्थ
प्रवाहमान – निरंतर बहने वाला
मर्म – सार, गहरी समझ
रणबाँकुरे – वीर योद्धा
बिंब – प्रतिबिंब, परछाईं
इंदु – चंद्रमा
5. मुख्य बिंदु
जल ही जीवन का आधार है।
नदी का जल सभी के लिए होता है, इसमें भेदभाव नहीं होता।
संस्कृति और सभ्यता का विकास नदियों के किनारे हुआ।
युद्धों और संघर्षों ने नदियों को भी रक्तरंजित किया है।
नदी हमें सहिष्णुता और सेवा की सीख देती है।
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