जंगल (पूरक पठन)
लेखिका परिचय – चित्रा मुद्गल
जन्म: 10 सितंबर 1943, चेन्नई (तमिलनाडु)
लेखन की विशेषता: समाज की समस्याएँ, मानवीय संवेदनाएँ, जीवन की सच्चाइयाँ
प्रमुख रचनाएँ:
- एक जमीन अपनी, आवां (उपन्यास)
- भूख, लाक्षागृह लपटें (कहानी संग्रह)
- जीवक मणिमेख (बाल उपन्यास)
कहानी का सारांश
इस कहानी में बालक पीयूष और उसके पालतू खरगोश सोनू-मोनू की भावनात्मक कहानी है। कहानी में पालतू जानवरों की संवेदनाएँ, उनका दुःख, और जंगल में रहने की उनकी प्राकृतिक प्रवृत्ति को दिखाया गया है।
1. पालतू खरगोशों का प्यार
- पीयूष को खरगोश पालने का बहुत शौक था।
- उसने सोनू और मोनू नाम के दो खरगोश पाले थे।
2. सोनू की मृत्यु
- कामवाली कमला को सोनू मरा हुआ मिला।
- पीयूष बहुत दुःखी हुआ और समझ नहीं पाया कि सोनू क्यों मर गया।
3. मोनू का दुःख
- सोनू की मौत से मोनू भी उदास रहने लगा।
- उसने खाना-पीना छोड़ दिया।
4. जंगल में छोड़ने का फैसला
- दादी ने समझाया कि जानवरों का असली घर जंगल है।
- पीयूष ने मोनू को जंगल में छोड़ने का फैसला किया ताकि वह अपने माँ-बाप से मिल सके।
5. सीख
- जानवरों को उनके प्राकृतिक वातावरण में रहने देना चाहिए।
- पालतू जानवर भी दुःख और प्यार महसूस करते हैं।
- हर जीव स्वतंत्र रहना चाहता है।
मुख्य विषय
पालतू जानवरों की संवेदनाएँ
जंगल का महत्व
मृत्यु का प्रभाव और समझ
बच्चों की भावनाएँ और शिक्षा
महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ
अनुशासन – नियम का पालन
झिझक – संकोच
बुदबुदाना – धीरे-धीरे बोलना
धमाचौकड़ी – उछलकूद
हमजोली – साथी
निस्पंद – निश्चल, स्तब्ध
निष्कर्ष:
यह कहानी हमें सिखाती है कि हर जीव स्वतंत्र रहना चाहता है। हमें जानवरों से प्यार करना चाहिए, लेकिन उन्हें उनकी प्राकृतिक दुनिया से दूर नहीं करना चाहिए।
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