रात का चौकीदार (पूरक पठन)
परिचय
लेखक: सुरेश कुशवाहा तन्मय
जन्म: 1 जनवरी 1955, खरगौन (मध्य प्रदेश)
प्रमुख कृतियाँ:
- अक्षरदीप जलाएँ (बाल कविता संग्रह)
- छोटू का दर्द (कहानी)
- शेष कुशल है (काव्य संग्रह)
कहानी का सारांश
“रात का चौकीदार” कहानी एक चौकीदार के जीवन पर आधारित है, जो रातभर हमारी सुरक्षा करता है। वह कठिन मौसम (ठंड, बारिश, गर्मी) में भी अपना काम पूरी निष्ठा से करता है।
1. चौकीदार की जिम्मेदारी:
- रात में कॉलोनी में घूमकर पहरा देना।
- लाठी ठोककर और सीटी बजाकर सुरक्षा सुनिश्चित करना।
2. उसकी दयनीय स्थिति:
- महीने की पहली तारीख को लोगों से पैसे माँगता है।
- सभी लोग उसे पैसे नहीं देते, फिर भी वह अपनी ड्यूटी निभाता है।
- नशे में धुत्त लोग और गुंडे-बदमाश उसे मारते-पीटते हैं।
- कई लोग उसे झिड़कियाँ और दुत्कार देते हैं।
3. ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा:
- जो लोग पैसे नहीं देते, उनकी भी सुरक्षा करता है।
- चोरी होने पर उस पर ही आरोप लग सकता है, फिर भी वह अपना कर्तव्य निभाता है।
- अपने डर को किनारे रखकर पूरी निष्ठा से काम करता है।
4. कहानी का अंत:
- लेखक को चौकीदार की मेहनत का अहसास होता है।
- लेखक तय करता है कि उसे मेहनताना देना चाहिए।
- चौकीदार खुश होकर चला जाता है, और लेखक को मानसिक शांति मिलती है।
मुख्य संदेश
– कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी का महत्व
– चौकीदार जैसे लोगों की मेहनत की सराहना करनी चाहिए
– हमारी सुरक्षा करने वालों को पूरा सम्मान और उचित मेहनताना देना चाहिए
महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ
ऊहापोह: उलझन
धौंस: धमकी
तसल्ली करना: समाधान करना
चैन की साँस लेना: संतोष पाना
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