भाषाभ्यासः
श्लोकः – १
१. प्रथमान्तपदानि लिखत | (प्रथमा विभक्तीतील शब्द लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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धर्मः | धर्म |
सत्यं | सत्य |
क्षमा | क्षमा |
देवः | देव |
२. जालरेखाचित्र पूरयत | (रिक्त स्थाने योग्य शब्द भरा)
संस्कृतम् (जयति) | मराठी अनुवाद |
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धर्मः जयति। | धर्म जिंकतो। |
सत्यं जयति। | सत्य जिंकतो। |
क्षमा जयति। | क्षमा जिंकते। |
देवः जयति। | देवता जिंकतात। |
संस्कृतम् (न जयति) | मराठी अनुवाद |
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अधर्मः न जयति। | अधर्म कधी जिंकत नाही। |
अनृतं न जयति। | असत्य कधी जिंकत नाही। |
क्रोधः न जयति। | राग कधी जिंकत नाही। |
असुरः न जयति। | राक्षस कधी जिंकत नाही। |
श्लोकः – २
१. द्वितीयान्तपदानि लिखत | (द्वितीया विभक्तीतील शब्द लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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कृष्णम् | कृष्णास |
वसुदेवसुतं | वसुदेवपुत्रास |
कंसचाणूरमर्दनम् | कंस व चाणूर यांना नष्ट करणाऱ्या श्रीकृष्णास |
देवकीपरमानन्दं | देवकीच्या आनंददायक पुत्रास |
२. सुभाषिते क्रियापदं किम् ? (श्लोकात कोणते क्रियापद आहे?)
- संस्कृतम्: वन्दे
- मराठी: वंदन करतो
३. जालरेखाचित्रम् पूरयत | (रिक्त स्थाने योग्य शब्द भरा)
श्रीकृष्णः | मराठी अनुवाद |
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वसुदेवसुतः | वसुदेवांचा पुत्र |
देवकीनन्दनः | देवकीचा आनंददायक पुत्र |
कंसचाणूरमर्दनः | कंस आणि चाणूर यांचा संहार करणारा |
जगद्गुरुः | संपूर्ण जगाचा गुरु |
श्लोकः – ३
१. तृतीयान्तपदानि लिखत | (तृतीया विभक्तीतील शब्द लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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काव्यशास्त्रविनोदेन | काव्य, शास्त्र आणि आनंदाने |
व्यसनेन | व्यसनाने |
निद्रया | झोपेमुळे |
कलहेन | भांडणामुळे |
२. समानार्थकशब्दान् मेलयत | (समान अर्थ असणारे शब्द जोडा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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विनोदः – मनोरंजनम् | विनोद – आनंद |
मूर्खः – मूढः | मूर्ख – अज्ञानी |
निद्रा – शयनम् | निद्रा – झोप |
व्यसनम् – दुरभ्यासः | व्यसन – वाईट सवय |
३. एकवाक्येन उत्तरं लिखत । (एका वाक्यात उत्तर द्या)
१. धीमतां कालः कथ गच्छति ?
२. मूर्खाणां कालः कथं गच्छति ?
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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१) धीमतां कालः काव्यशास्त्रविनोदेन गच्छति। | बुद्धिमान लोकांचा वेळ काव्य, शास्त्र आणि आनंदात जातो। |
२) मूर्खाणां कालः व्यसनेन, निद्रया, कलहेन च गच्छति। | मूर्ख लोकांचा वेळ व्यसन, झोप आणि भांडणात जातो। |
श्लोकः – ४
१. चतुर्थ्यन्तपदानि लिखत | (चतुर्थी विभक्तीतील शब्द लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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ज्ञानाय | ज्ञानासाठी |
दानाय | दानासाठी |
रक्षणाय | संरक्षणासाठी |
२. स्तम्भपूरणं कुरुत | (रिक्त स्थाने योग्य शब्द भरा)
किम् | किमर्थम् |
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विद्या | विवादाय (खलस्य) / ज्ञानाय (सजनस्य) |
धनम् | मदाय (खलस्य) / दानाय (सजनस्य) |
शक्तिः | परपीडनाय (खलस्य) / रक्षणाय (सजनस्य) |
मराठी अनुवाद:
विद्या खलांसाठी वादासाठी तर सज्जनांसाठी ज्ञानासाठी असते.
धन खलांसाठी अहंकारासाठी तर सज्जनांसाठी दानासाठी असते.
शक्ती खलांसाठी इतरांना त्रास देण्यासाठी तर सज्जनांसाठी रक्षणासाठी असते.
३. एकवाक्येन उत्तरं लिखत। (एक वाक्यात उत्तर द्या)
१. साधोः विद्या किमर्थं भवति ?
- संस्कृतम्: साधोः विद्या ज्ञानाय भवति।
- मराठी: सज्जन व्यक्तीची विद्या ज्ञानासाठी असते।
२. कस्य शक्तिः परपीडनाय भवति ?
- संस्कृतम्: खलस्य शक्तिः परपीडनाय भवति।
- मराठी: दुष्ट व्यक्तीची शक्ती इतरांना त्रास देण्यासाठी असते।
श्लोकः – ५
१. पञ्चम्यन्तपदानि लिखत | (पंचमी विभक्तीतील शब्द लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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तैलात् | तेलापासून |
जलात् | पाण्यापासून |
मूर्खहस्तात् | मूर्खाच्या हातापासून |
२. जालरेखाचित्रं पूरयत | (रिक्त स्थाने योग्य शब्द भरा)
पुस्तकरक्षणम्
- मूर्खहस्तात् रक्षणीयम्।
- जलात् रक्षणीयम्।
- तैलात् रक्षणीयम्।
- शिथिलबन्धनात् रक्षणीयम्।
मराठी अनुवाद:पुस्तकाचे संरक्षण मूर्खाच्या हातून, पाण्यापासून, तेलापासून आणि सैल बंधनापासून करावे.
श्लोकः – ६
१. षष्ठ्यन्तपदानि लिखत | (षष्ठी विभक्तीतील शब्द लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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नरस्य | मनुष्याचा |
रूपस्य | सौंदर्याचा |
गुणस्य | गुणवत्तेचा |
ज्ञानस्य | ज्ञानाचा |
२. जालरेखाचित्रं पूरयत | (रिक्त स्थाने योग्य शब्द भरा)
नरस्य आभरणम् | रूपम् |
रूपस्य आभरणम् | गुणः |
गुणस्य आभरणम् | ज्ञानम् |
ज्ञानस्य आभरणम् | क्षमा |
मराठी अनुवाद:
- मनुष्याचे आभूषण रूप आहे.
- रूपाचे आभूषण गुण आहेत.
- गुणांचे आभूषण ज्ञान आहे.
- ज्ञानाचे आभूषण क्षमा आहे.
श्लोकः – ७
१. सप्तम्यन्तपदानि लिखत | (सप्तमी विभक्तीतील शब्द लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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व्यसने | संकटात |
रणाङ्गणे | युद्धभूमीवर |
विनये | नम्रतेमध्ये |
दुर्भिक्षे | दुष्काळात |
२. स्तम्भपूरणं कुरुत ।
परीक्षा | कस्य ? | कदा ? |
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मित्रस्य | व्यसने | भवति |
शूरस्य | रणाङ्गणे | भवति |
श्लोकः – ८
१. सम्बोधनान्तपदानि लिखत | (संवोधन विभक्तीतील शब्द लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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आदिदेव | हे आदिदेव |
दिवाकर | हे सूर्यदेव |
प्रभाकर | हे तेजस्वी प्रभू |
२. सूर्य” इत्यस्य शब्दस्य कृते अमरपङ्क्तिं लिखत ।
- सूर्यः
- रवि:
- दिनकरः
- भास्करः
- दिवाकरः
- मिहिरः
- सविता
- विभाकरः
- अर्कः
- अंशुमाली
मराठी अनुवाद:
सूर्यासाठी समानार्थी शब्द –
- सूर्य
- रवि
- दिनकर
- भास्कर
- दिवाकर
- मिहिर
- सविता
- विभाकर
- अर्क
- अंशुमाली
श्लोकः – ९
१. ‘राम’ इति शब्दस्य का विभक्तिः वाक्ये प्रयोगः इति लिखत।
(‘राम’ शब्दाची योग्य विभक्ती लिहा)
संस्कृतम् | मराठी अनुवाद |
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राजमणिः रामः सदा विजयते। | राम हा नेहमी विजयी राहो। |
अहं रामं भजे। | मी रामाची भक्ती करतो। |
रामेण निशाचरचमूः अभिहता। | रामाने राक्षसांचा नाश केला। |
तस्मै रामाय नमः। | त्या रामास वंदन। |
रामात् परतरं परायणं न अस्ति। | रामाच्या पेक्षा श्रेष्ठ दुसरे काही नाही। |
अहं रामस्य दासः अस्मि। | मी रामाचा सेवक आहे। |
मे चित्तलयः सदा रामे भवतु। | माझे चित्त नेहमी रामातच राहो। |
भो राम, माम् उद्धर। | हे राम, मला तार। |
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