अनमोल वाणी
* सूचना के अनुसार कृतियाँ करो :-
(१) कृति पूर्ण करो :
ऐसी वाणी बोलनी है जिससे
- सबका भला हो
- किसी को दुःख न पहुँचे
(२) कविता में इस अर्थ में आए शब्द लिखो :
- ठंडा – शीतल
- कोई – कोई भी
- बलराम – हलधर
- मक्खन – नवनीत
(३) कृति पूर्ण करो :
श्रीकृष्ण द्वारा चोटी के संदर्भ में की गई बातें
- बाल लम्बे और घुंघराले होते हैं
- चोटी से सौंदर्य और पहचान जुड़ी होती है
(4) ‘भोजन का प्रभाव’- टिप्पणी लिखो ।
४) ‘भोजन का प्रभाव’ – टिप्पणी:
उत्तर – भोजन का प्रभाव हमारे शरीर और मन दोनों पर पड़ता है। जैसा भोजन हम ग्रहण करते हैं, वैसा ही हमारा स्वभाव और विचार बनता है। संत कबीर ने भी कहा है -“जैसा भोजन खाइए, वैसा ही मन होय।”अर्थात् यदि हम शुद्ध और सात्त्विक भोजन करते हैं, तो हमारा मन शांत और सकारात्मक रहता है, जबकि तामसिक भोजन से क्रोध और आलस्य बढ़ता है।
कल्पना पल्लवन
पानी, वाणी, दूध इन शब्दों का उपयोग करते हुए कोई कविता लिखो ।
उत्तर – पानी, वाणी, दूध इन शब्दों का उपयोग करते हुए कविता: शुद्ध जल जो जीवन देता, तन-मन सारा सुख से भरता। मधुर वाणी सबको भाए, दिल को छूकर प्रेम बढ़ाए। दूध पिए जो बलवान बने, सच्चे पथ पर वह सदा चले।
भाषा बिंदु
पाठों में आए अलग-अलग काल के वाक्य ढूँढ़कर उनका अन्य कालों में परिवर्तन करो ।
उत्तर – पाठों में आए अलग-अलग काल के वाक्य ढूँढ़कर उनका अन्य कालों में परिवर्तन:
- वर्तमान काल: श्रीकृष्ण माखन खाते हैं।
- भूतकाल: श्रीकृष्ण माखन खा रहे थे।
- भविष्यकाल: श्रीकृष्ण माखन खाएँगे।
- वर्तमान काल: बलराम खेलते हैं।
- भूतकाल: बलराम खेल रहे थे।
- भविष्यकाल: बलराम खेलेंगे।
उपयोजित लेखन
‘आगे कुआँ पीछे खाई’ कहावत का अर्थलिखकर उससे संबंधित कोई प्रसंग लिखो ।
उत्तर – ‘आगे कुआँ पीछे खाई’ कहावत का अर्थ एवं प्रसंग:
अर्थ: जब व्यक्ति किसी ऐसी परिस्थिति में फँस जाता है, जहाँ आगे-पीछे दोनों ओर संकट हो, तब इस कहावत का प्रयोग किया जाता है।
प्रसंग:एक बार एक किसान को अपनी फसल बेचने के लिए बाजार जाना था। रास्ते में अचानक बारिश शुरू हो गई। एक ओर तेज बहता नदी का पानी था और दूसरी ओर दलदल। वह आगे बढ़े तो पानी में बहने का डर था और पीछे हटे तो दलदल में फँसने का खतरा। यह स्थिति ‘आगे कुआँ, पीछे खाई’ जैसी थी।
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