मेरे रजा साहब
* सूचनानुसार कृतियाँ करो :-
(१) संजाल पूर्ण करो :
“रजा साहब की स्वभावगत विशेषताएँ”
उत्तर –
- साधारण और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले
- धार्मिक सहिष्णुता रखने वाले
- युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने वाले
- स्व-अनुशासन में विश्वास करने वाले
(२) कृति पूर्ण करो :
“दोनों ने मिलकर चित्रों की प्रदर्शनियाँ यहाँ की थीं।
उत्तर –
- भारत
- पेरिस (फ्रांस)
- लंदन (इंग्लैंड)
- न्यूयॉर्क (अमेरिका)
(३) सूची तैयार करो:
१. पाठ में आए विविध देशों के नाम।
उत्तर –
- भारत
- फ्रांस
- इंग्लैंड (लंदन)
- अमेरिका (न्यूयॉर्क)
२. पाठ में उल्लिखित विविध भाषाएँ।
उत्तर –
- हिंदी
- उर्दू
- अंग्रेज़ी
- फ़्रेंच
(4) कृति पूर्ण करो :
खाने की इन चीजों में रजा साहब की जान अटकी रहती
उत्तर – रजा साहब को खाने में दाल-चावल, रोटी, आलू की सब्जी विशेष रूप से पसंद थी।
भाषा बिंदु
पाठ्यपुस्तक से दस वाक्य चुनकर उनमें से उद्देश्य और विधेय अलग करके लिखो ।
क्रम संख्या | वाक्य | उद्देश्य | विधेय |
---|---|---|---|
1. | रजा साहब अपने धर्म के साथ-साथ उतने ही हिंदू और ईसाई भी थे। | रजा साहब | अपने धर्म के साथ-साथ उतने ही हिंदू और ईसाई भी थे। |
2. | मैं पहुंच गई उनसे मिलने। | मैं | पहुंच गई उनसे मिलने। |
3. | वे गणेश को भी पूजते थे और हर रविवार को चर्च भी जाते थे। | वे | गणेश को भी पूजते थे और हर रविवार को चर्च भी जाते थे। |
4. | मैंने उनके हाथों को छुआ। | मैंने | उनके हाथों को छुआ। |
5. | रजा साहब ने मुझे इंटरव्यू दिया। | रजा साहब | ने मुझे इंटरव्यू दिया। |
6. | उन्होंने मेरा काम देखा और फिर कहा- “आपको पेरिस आना है।” | उन्होंने | मेरा काम देखा और फिर कहा- “आपको पेरिस आना है।” |
7. | वे बहुत सरल और स्नेही व्यक्ति थे। | वे | बहुत सरल और स्नेही व्यक्ति थे। |
8. | हर रविवार वे चर्च जाते थे। | हर रविवार वे | चर्च जाते थे। |
9. | वे बड़े धैर्य से पेंटिंग की पैकिंग करते थे। | वे | बड़े धैर्य से पेंटिंग की पैकिंग करते थे। |
10. | उन्होंने मुझसे पूछा कि आप और क्या-क्या करती हैं। | उन्होंने | मुझसे पूछा कि आप और क्या-क्या करती हैं। |
उपयोजित लेखन
‘जहाँ चाह होती है वहाँ राह निकल आती है’, इस सुवचन पर आधारित अस्सी शब्दों तक कहानी लिखिए ।
उत्तर – ‘जहाँ चाह होती है वहाँ राह निकल आती है’ इस सुवचन पर आधारित कहानी:
“सपनों की उड़ान”
राजू एक गरीब परिवार से था, लेकिन उसकी आँखों में बड़े सपने थे। वह पायलट बनना चाहता था, लेकिन पैसों की तंगी के कारण उसकी पढ़ाई अधूरी रह गई। कई लोगों ने उसे कहा कि यह असंभव है, लेकिन राजू ने हार नहीं मानी। उसने मेहनत से पढ़ाई की और छोटे-मोटे काम करके पैसे जुटाए।
एक दिन, उसने अखबार में एक छात्रवृत्ति की जानकारी पढ़ी। उसने आवेदन किया और कठिन परीक्षाओं के बाद उसे छात्रवृत्ति मिल गई। उसकी मेहनत रंग लाई और वह पायलट बन गया।
यह कहानी सिद्ध करती है कि “जहाँ चाह होती है वहाँ राह निकल आती है।
Leave a Reply