नहीं कुछ इससे बढ़कर
1. परिचय:
“नहीं कुछ इससे बढ़कर” प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक कविता है। इस कविता में उन्होंने माँ, किसान, कलाकार, कवि और त्यागी पुरुषों की महानता का वर्णन किया है। कवि का मानना है कि इनकी सेवा करना ही सबसे बड़ी पूजा है।
2. कविता का मुख्य भाव:
- समाज में कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जो परिश्रम और त्याग से दुनिया को सुंदर बनाते हैं।
- माँ अपने बच्चों का पालन-पोषण करके उन्हें संस्कार देती है।
- किसान अपनी मेहनत से धरती को उपजाऊ बनाकर अन्न उपजाता है।
- कलाकार और कवि समाज में कला और भावनाओं का संचार करते हैं।
- त्यागी पुरुष अपने स्वार्थ को त्यागकर देश और समाज की भलाई के लिए कार्य करते हैं।
- इन सभी की सेवा और सम्मान करना ही सबसे बड़ी पूजा है।
3. प्रमुख पात्र एवं उनके कार्य:
मानव का रूप | उनका योगदान |
---|---|
माँ (जननी) | अपने बच्चों की देखभाल करती है और उन्हें संस्कार देती है। |
किसान | धरती को उपजाऊ बनाकर अन्न उपजाता है। |
कलाकार और कवि | अपनी कला और रचनाओं से समाज को सुंदर बनाते हैं। |
त्यागी पुरुष | समाज और देश के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। |
4. कविता से प्राप्त सीख:
- परिश्रम और सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं होता।
- जो लोग दूसरों की भलाई के लिए कार्य करते हैं, वे पूजनीय होते हैं।
- हमें समाज में कलाकार, किसान, माँ और त्यागी पुरुषों का सम्मान करना चाहिए।
- कला, त्याग और परिश्रम से ही समाज में उन्नति होती है।
- सच्ची पूजा मंदिरों में नहीं, बल्कि सेवा में निहित होती है।
5. महत्वपूर्ण शब्द एवं उनके अर्थ:
शब्द | अर्थ |
---|---|
जननी | माँ |
स्वेद | पसीना |
शस्य श्यामला | हरी-भरी धरती |
सम्मोहन | आकर्षण |
उत्सर्ग | बलिदान |
6. निष्कर्ष:
इस कविता के माध्यम से सुमित्रानंदन पंत ने हमें बताया कि जीवन में सेवा, परिश्रम, त्याग और कला का विशेष महत्व है। उन्होंने यह संदेश दिया कि सच्ची पूजा केवल मंदिरों में नहीं होती, बल्कि उन लोगों की सेवा में होती है जो समाज को आगे बढ़ाने में योगदान देते हैं। हमें अपने माता-पिता, किसान, कलाकार और समाज के लिए त्याग करने वाले लोगों का सम्मान करना चाहिए और उनके कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
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