जरा प्यार से बोलना सीख लीजे
1. परिचय
इस अध्याय में कवि रमेश दत्त शमा्य ने मधुर वाणी के महत्व को स्पष्ट किया है। वे बताते हैं कि कैसे हमारे बोलने का तरीका हमारे व्यक्तित्व और संबंधों को प्रभावित करता है। इस कविता के माध्यम से कवि हमें सोच-समझकर और प्रेमपूर्वक बोलने की प्रेरणा देते हैं।
2. लेखक परिचय
- नाम: रमेश दत्त शमा्य
- जन्म: 1939, जलेसर, एटा (उत्तर प्रदेश)
- मृत्यु: 2012
- कार्यक्षेत्र: वे विज्ञान लेखन और पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो, टीवी के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार करते थे।
- उपलब्धियाँ: वैज्ञानिक विषयों पर लेखन के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए।
- ख्याति: वे कक्षा सातवीं-आठवीं से ही ‘चचा जलेसरी’ के नाम से स्थानीय मंचों पर कविताएँ पढ़ने लगे थे।
3. कविता का सारांश
यह कविता हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी वाणी में मधुरता लानी चाहिए, क्योंकि मधुर भाषा से लोगों का मन जीता जा सकता है। कवि ने हमें कुछ महत्वपूर्ण बातें सिखाई हैं:
- हमें प्रेमपूर्वक बोलने की आदत डालनी चाहिए।
- चुप रहने के फायदे भी होते हैं, लेकिन सही समय पर बोलना भी आवश्यक है।
- बिना सोच-विचार किए बोलने से गलतफहमियाँ बढ़ सकती हैं, इसलिए बोलने से पहले विचार करना चाहिए।
- क्रोध और आवेश में बोले गए शब्द नुकसानदायक हो सकते हैं, इसलिए आत्म-नियंत्रण रखना जरूरी है।
- जब जरूरत हो, तब हमें निर्भयता से अपनी बात रखनी चाहिए, अन्यथा अन्याय को बढ़ावा मिलेगा।
4. कविता की महत्वपूर्ण सीख
- मीठी वाणी मनुष्य को समाज में सम्मान दिलाती है।
- गुस्से में बोले गए शब्द हमेशा नुकसान पहुंचाते हैं।
- बोलने और चुप रहने का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
- जब अन्याय हो, तब होंठ सीकर बैठना उचित नहीं है, बल्कि अपनी बात रखना जरूरी है।
- संयमित भाषा से रिश्ते मजबूत होते हैं।
5. कविता से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ
शब्द | अर्थ |
---|---|
मधुरभाषी | मीठी वाणी बोलने वाला |
संयम | आत्म-नियंत्रण |
रोशनी के रंग घोलना | जीवन में सकारात्मकता लाना |
कठोर वचन | कड़वे शब्द |
विचारशील | सोच-समझकर कार्य करने वाला |
6. कविता से मिलने वाली जीवन-शिक्षाएँ
- मीठी वाणी अपनाएँ, क्योंकि इससे सभी प्रसन्न रहते हैं।
- सोच-समझकर बोलें, ताकि कोई आहत न हो।
- गुस्से में कभी कुछ न कहें, क्योंकि इससे रिश्ते खराब हो सकते हैं।
- जहाँ आवश्यक हो, वहाँ अपनी बात जरूर रखें, अन्यथा अन्याय को बढ़ावा मिलेगा।
- शब्दों का संयम से प्रयोग करें, क्योंकि शब्दों की शक्ति बहुत प्रभावी होती है।
7. निष्कर्ष
यह कविता हमें यह सिखाती है कि हमें प्रेमपूर्वक और सोच-समझकर बोलने की आदत डालनी चाहिए। मीठी वाणी न केवल हमारे संबंधों को सुधारती है, बल्कि समाज में हमें एक अच्छे इंसान के रूप में पहचान भी दिलाती है। जब जरूरत हो, तब हमें अपनी बात को स्पष्ट रूप से रखना चाहिए, लेकिन कठोर शब्दों से बचना चाहिए। जीवन में सफलता पाने के लिए वाणी पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है।
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