और प्रेमचंद जी चले गए
1. परिचय
- लेखक: डॉ. रामकुमार वर्मा
- प्रसिद्ध साहित्यकार: मुंशी प्रेमचंद
- मुख्य विषय: प्रेमचंद जी का सरल स्वभाव, सादगी, व समाज के प्रति समर्पण
2. प्रेमचंद जी से पहली मुलाकात
- लेखक को बचपन से ही रेलवे स्टेशन जाने का शौक था।
- सन 1935 में प्रयाग स्टेशन पर लेखक की प्रेमचंद जी से पहली मुलाकात हुई।
- प्रेमचंद जी एक सामान्य यात्री की तरह बिना किसी तामझाम के यात्रा कर रहे थे।
- लेखक ने प्रेमचंद जी को अपने घर चलने के लिए कहा, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
- इतने प्रसिद्ध साहित्यकार होने के बावजूद, प्रेमचंद जी में कोई दिखावा या अभिमान नहीं था।
3. प्रयाग में प्रेमचंद जी का कार्यक्रम
प्रेमचंद जी हिंदुस्तानी अकादमी के वार्षिक अधिवेशन में भाग लेने आए थे।
सुबह से रात तक उनसे मिलने वालों की भीड़ लगी रहती थी।
उनके भाषण बहुत प्रभावशाली होते थे, वे कहते थे:
- “आप मुझे सुनने की बजाय देखिए और समझिए।”
- “मेरी जिंदगी खुली किताब की तरह है, जिसमें संघर्षों की अनेक कहानियाँ हैं।”
बचपन में उन्होंने कठिनाइयों का सामना किया।
पढ़ाई के साथ-साथ वे ट्यूशन पढ़ाकर घर चलाते थे।
उन्होंने उर्दू से लेखन की शुरुआत की और बाद में हिंदी में लिखने लगे।
4. प्रेमचंद जी की सादगी और उदारता
- लेखक अपने कविताओं का संग्रह प्रकाशित कराने की तैयारी कर रहे थे।
- प्रेमचंद जी ने स्वयं उस संग्रह को प्रकाशित करने का निर्णय लिया।
- उनका यह उदार स्वभाव बताता है कि वे नए लेखकों को प्रोत्साहित करने में हमेशा आगे रहते थे।
5. प्रेमचंद जी का विदाई समय
- प्रेमचंद जी की विदाई के समय लेखक की पत्नी ने उनके लिए खीर बनाई थी।
- प्रेमचंद जी देर रात लौटे, लेकिन घर के सभी लोग सो चुके थे।
- उन्होंने किसी को नहीं जगाया और टेबल पर रखा पत्र लिखकर चले गए।
- पत्र में उन्होंने खीर खाने का जिक्र किया और प्यार व आशीर्वाद दिया।
6. प्रेमचंद जी का व्यक्तित्व
- सरल स्वभाव – उन्होंने कभी अपने लिए विशेष सुविधाओं की मांग नहीं की।
- सहजता व सादगी – अपने प्रशंसकों से हमेशा सहजता से मिलते थे।
- संगठन शक्ति – नए लेखकों को बढ़ावा देते थे।
- संघर्षमय जीवन – बचपन में गरीबी झेली, लेकिन हार नहीं मानी।
- समाज सुधारक – अपनी कहानियों के माध्यम से समाज की समस्याओं को उठाया।
7. महत्वपूर्ण शिक्षाएँ
- सादगी और सरलता का महत्व।
- संघर्षों से घबराना नहीं चाहिए।
- दूसरों की मदद करने से आत्मसंतोष मिलता है।
- किसी भी कार्य को पूरी ईमानदारी से करना चाहिए।
8. निष्कर्ष
यह संस्मरण प्रेमचंद जी के महान व्यक्तित्व का जीवंत चित्रण प्रस्तुत करता है। उनके सरल स्वभाव, सौम्यता, तथा साहित्य के प्रति समर्पण से हमें जीवन में सादगी, संघर्ष और समाजसेवा की प्रेरणा मिलती है।
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