मधुबन
1. परिचय:
इस अध्याय में एक महान व्यक्तित्व के जीवन, उनके संघर्षों और समाज में उनके योगदान का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार उन्होंने शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों में योगदान दिया।
2. प्रमुख विषय:
(क) डॉक्टर साहब और राजनीति से दूरी:
- डॉक्टर साहब ने राजनीति में न जाने का निर्णय लिया।
- उनका झुकाव साहित्य और समाज सेवा की ओर था।
- वे मानते थे कि राजनीति में अस्थिरता होती है, जबकि शिक्षा और साहित्य समाज को स्थायी रूप से लाभ पहुंचा सकते हैं।
(ख) शिक्षा और साहित्य में योगदान:
- उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और समाज में जागरूकता लाने का कार्य किया।
- वे हिंदी साहित्य और लेखन में गहरी रुचि रखते थे।
- उनके लेखन ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया।
(ग) स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
- गांधीजी के विचारों से प्रेरित होकर असहयोग आंदोलन में भाग लिया।
- स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने का समर्थन किया।
- समाज में देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए कार्य किया।
3. भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों का योगदान:
(क) पंडित जवाहरलाल नेहरू:
- भारत के पहले प्रधानमंत्री थे।
- उन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखी और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया।
- पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की।
(ख) लाल बहादुर शास्त्री:
- सादगी और ईमानदारी के प्रतीक थे।
- 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया।
- उन्होंने कृषि और रक्षा क्षेत्र में सुधार किए।
(ग) इंदिरा गांधी:
- भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं।
- उन्होंने हरित क्रांति को बढ़ावा देकर देश को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया।
- बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
(घ) मोरारजी देसाई:
- वे जनता पार्टी के प्रमुख नेता थे।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
- उन्होंने समाज में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया।
4. असहयोग आंदोलन और उसका प्रभाव:
- 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया आंदोलन।
- इसका उद्देश्य अंग्रेजी शासन के खिलाफ अहिंसक विरोध करना था।
- लोगों ने ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार किया और सरकारी नौकरियों से इस्तीफा दिया।
- इससे स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिली और भारतीय जनता में जागरूकता बढ़ी।
5. पाठ से मिलने वाली शिक्षाएं:
- शिक्षा और साहित्य का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- सच्चे नेतृत्व और ईमानदारी से समाज में बदलाव लाया जा सकता है।
- देश की स्वतंत्रता और उन्नति में हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
- हमें अपने देश के इतिहास और महान नेताओं के योगदान को समझना चाहिए।
- संघर्ष, आत्मनिर्भरता और समाज सेवा से ही राष्ट्र का विकास संभव है।
6. निष्कर्ष:
यह अध्याय हमें स्वतंत्रता संग्राम, सामाजिक सुधार और राष्ट्र निर्माण में नेताओं की भूमिका को समझने में मदद करता है। इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें भी अपने देश और समाज के लिए समर्पित होकर कार्य करना चाहिए।
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