खेती से आई तब्दीलियाँ
1. परिचय
प्रारंभ में मनुष्य खानाबदोश था और भोजन की खोज में इधर-उधर भटकता था। वह मुख्य रूप से शिकार करके और जंगलों से फल-फूल एवं कंद-मूल एकत्र करके जीवनयापन करता था। समय के साथ उसने खेती करना और पशुपालन सीख लिया, जिससे उसके जीवन में स्थिरता आई।
2. खेती का विकास और उसके प्रभाव
(क) खेती की शुरुआत
- जब मनुष्य ने यह देखा कि बीज से पौधे उगते हैं, तो उसने खेती करने की विधि सीखी।
- खेती के कारण भोजन की स्थायी व्यवस्था संभव हुई।
- पहले वह केवल अपनी जरूरत के लिए अनाज उपजाता था, बाद में उसने अधिक अनाज उगाना शुरू किया।
(ख) खेती से हुए लाभ
- भोजन की स्थायी उपलब्धता – खेती से मनुष्य को रोज शिकार करने की आवश्यकता नहीं रही।
- अनाज भंडारण की सुविधा – अनाज का संग्रह कर उसे बाद में उपयोग किया जाने लगा।
- गाँवों और नगरों का विकास – लोग स्थायी रूप से बसने लगे और धीरे-धीरे बस्तियाँ बनीं।
- व्यवसायों की शुरुआत – अनाज के अतिरिक्त उत्पादन से व्यापार शुरू हुआ और नए व्यवसाय उभरे।
- समाज में वर्ग विभाजन – खेती करने वाले किसान बने, व्यापार करने वाले व्यापारी, और अन्य लोग शिल्पकार बने।
3. संपत्ति की अवधारणा और सामाजिक परिवर्तन
- जिनके पास अधिक भूमि, पशु और अनाज का भंडारण था, उन्हें अमीर माना जाता था।
- समाज में अमीरी और गरीबी का अंतर बढ़ने लगा।
- संपत्ति के संचय के कारण मनुष्य में स्वामित्व की भावना बढ़ी।
- अधिक उत्पादन के कारण व्यापार बढ़ा और मुद्रा का चलन शुरू हुआ।
4. कृषि में हुए नए प्रयोग और उनके लाभ
- खेती में हल, सिंचाई प्रणाली, उन्नत बीज और खाद का उपयोग बढ़ा।
- नई तकनीकों से उत्पादन में वृद्धि हुई।
- कृषि में मशीनों का उपयोग होने से खेती का कार्य आसान हुआ।
- आधुनिक खेती से किसानों की आय बढ़ी और खाद्य सुरक्षा मजबूत हुई।
5. निष्कर्ष
खेती ने मनुष्य के जीवन में स्थिरता लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। इससे भोजन की निरंतरता बनी, समाज का विकास हुआ और व्यवसायों की शुरुआत हुई। आधुनिक कृषि तकनीकों से आज खेती और भी लाभदायक हो गई है। खेती का विकास आगे भी जारी रहेगा, जिससे मानव समाज का भविष्य और उज्ज्वल बनेगा।
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