सौहार्द-सौमनस्य
1. परिचय:
“सौहार्द-सौमनस्य” कविता प्रसिद्ध कवि जहीर कुरैशी द्वारा लिखी गई है। यह कविता सामाजिक समरसता, प्रेम और एकता का संदेश देती है। इसमें बताया गया है कि विभिन्न धर्म, भाषा और संस्कृति के होते हुए भी हम सब एक हैं। प्रेम और सौहार्द ही समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं, जबकि नफरत और भेदभाव समाज को तोड़ देते हैं।
2. कवि परिचय:
नाम: जहीर कुरैशी
जन्म: 1950, गुतुना (मध्य प्रदेश)
रचनाएँ अनूदित भाषाएँ: अंग्रेज़ी, गुजराती, मराठी, पंजाबी आदि
प्रमुख सम्मान:
- ‘इनकॉर्पोरेटेड सम्मान’
- ‘गोपाल सिंह नेपाली सम्मान’
प्रमुख कृतियाँ:
- ‘एक टुकड़ा धूप’
- ‘लेखनी के सपने’
- ‘चाँदनी का दुख’
- ‘भीड़ में सबसे अलग’
- ‘पेड़ होकर भी नहीं गिरा’ (ग़ज़ल संग्रह)
3. कविता का सारांश:
यह कविता समाज में प्रेम और एकता का संदेश देती है। इसमें कहा गया है कि विभिन्न भाषा, धर्म और संस्कृति के बावजूद हम सब एक ही राष्ट्र के नागरिक हैं।
- प्रेम और सौहार्द से समाज में मेल-जोल बढ़ता है।
- नफरत से नफरत बढ़ती है, जबकि प्रेम से प्रेम बढ़ता है।
- दीपक एक-दूसरे के पास आने से अधिक प्रकाश फैलता है, वैसे ही हमें भी एक-दूसरे के साथ मिलकर रहना चाहिए।
- फूलों की भाँति हमें भी एकता बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि अलग-अलग रंगों के फूल बाग़ की सुंदरता बढ़ाते हैं।
- हमारे कर्म अच्छे होने चाहिए, तभी समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
- द्वेष और भेदभाव से समाज में अशांति फैलती है, इसलिए हमें हमेशा प्रेम और भाईचारे को प्राथमिकता देनी चाहिए।
4. कविता के मुख्य विषय:
एकता में शक्ति:
- भले ही धर्म और भाषा अलग हो, लेकिन हम सब भारतीय हैं।
- विविधता में एकता ही हमारी पहचान है।
प्रेम और सौहार्द:
- प्रेम देने से ही प्रेम प्राप्त होता है।
- नफरत को नफरत नहीं, बल्कि प्रेम से मिटाया जा सकता है।
सामाजिक समरसता:
- जाति, धर्म, भाषा के भेदभाव को छोड़कर हमें आपस में प्रेम और भाईचारे से रहना चाहिए।
अच्छे कर्मों का महत्व:
- यदि हम अच्छे कार्य करेंगे, तो समाज में शांति और प्रेम बना रहेगा।
5. कविता में प्रयुक्त महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ:
शब्द | अर्थ |
---|---|
सौहार्द | मेल-जोल, प्रेम और भाईचारा |
सौमनस्य | अच्छे विचारों से मेल रखना |
नफरत | घृणा, द्वेष |
समरसता | समानता और मेल-जोल |
विविधता | विभिन्नता, अलग-अलग प्रकार के तत्व |
दीप | प्रकाश का प्रतीक, दीपक |
6. कविता में प्रयुक्त महत्वपूर्ण पंक्तियाँ और उनका अर्थ:
“धर्म अलग, भाषा अलग, फिर भी हम सब एक।”
- भारत में अनेक धर्म और भाषाएँ होते हुए भी हम सब एक हैं।
“जो भी करता प्यार तो, पा लेता है प्यार।”
- प्रेम एक ऐसा भाव है, जिसे जितना दिया जाता है, उतना ही प्राप्त होता है।
“नफरत से नफरत बढ़े, बढ़े प्यार से प्यार।”
- यदि हम नफरत करेंगे तो नफरत ही फैलेगी, लेकिन अगर हम प्रेम करेंगे तो समाज में प्रेम बढ़ेगा।
“यदि दीप एक-दूसरे के पास आएँ तो प्रकाश और अधिक हो जाता है।”
- जब लोग आपस में मेल-जोल रखते हैं, तो समाज में शांति और समृद्धि बढ़ती है।
निष्कर्ष:
इस कविता का मुख्य उद्देश्य समाज में प्रेम, सौहार्द, और एकता को बढ़ावा देना है। यह हमें सिखाती है कि नफरत और द्वेष से केवल विनाश होता है, जबकि प्रेम से समाज और देश को आगे बढ़ाया जा सकता है। हमें हमेशा मेल-जोल और भाईचारे के साथ रहना चाहिए ताकि हमारा देश प्रगति कर सके।
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