लकड़हारा और वन
1. प्रस्तावना
यह कहानी एक साधारण लकड़हारे की सच्चाई और ईमानदारी को दर्शाती है। यह हमें यह सिखाती है कि जो व्यक्ति अपने मूल्यों पर अडिग रहता है, उसे अंत में सफलता और सम्मान मिलता है।
2. कहानी का सारांश
(क) लकड़हारे का जीवन
- लकड़हारा प्रतिदिन जंगल में पेड़ काटकर लकड़ी बेचता था।
- उसकी आजीविका केवल कुल्हाड़ी पर निर्भर थी।
(ख) कुल्हाड़ी का नदी में गिरना
- एक दिन लकड़ी काटते समय उसकी कुल्हाड़ी गलती से नदी में गिर जाती है।
- कुल्हाड़ी खोने से वह बहुत दुखी और परेशान हो जाता है।
(ग) भगवान की परीक्षा
- भगवान उसकी परीक्षा लेने के लिए प्रकट होते हैं।
- वे उसे सोने और चाँदी की कुल्हाड़ी देते हैं, लेकिन लकड़हारा उन्हें लेने से मना कर देता है।
- वह अपनी पुरानी कुल्हाड़ी ही वापस चाहता है।
(घ) लकड़हारे को इनाम
- लकड़हारे की सच्चाई और ईमानदारी देखकर भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं।
- वे उसे उसकी लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने और चाँदी की कुल्हाड़ी भी इनाम में दे देते हैं।
3. मुख्य पात्रों का परिचय
(क) लकड़हारा
- ईमानदार और मेहनती व्यक्ति।
- अपने कर्म पर विश्वास रखने वाला।
- किसी भी लालच में न पड़ने वाला।
(ख) भगवान
- लकड़हारे की ईमानदारी की परीक्षा लेते हैं।
- सत्य को परखकर उचित इनाम देते हैं।
4. कहानी से मिलने वाली शिक्षाएँ
- ईमानदारी सबसे बड़ा गुण है – जो व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता है, उसे अंत में सफलता मिलती है।
- लालच बुरी चीज़ है – हमें हमेशा संतोष रखना चाहिए और दूसरों की वस्तु पर लालच नहीं करना चाहिए।
- परिश्रम का मूल्य समझना चाहिए – मेहनत से कमाए गए साधनों की अहमियत होती है।
- सत्य की हमेशा जीत होती है – झूठ और धोखे से कभी लाभ नहीं मिलता, सत्य ही अंततः विजयी होता है।
- भगवान हमेशा न्याय करते हैं – जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, उसे भगवान उचित फल देते हैं।
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