दो लघुकथाएँ
1. परिचय:
यह अध्याय “जीभ और दाँत” के माध्यम से हमें अहंकार और विनम्रता का महत्व सिखाता है। कहानी में दाँत अपने कठोर और संगठित होने पर गर्व करते हैं, जबकि जीभ को कमजोर मानते हैं। लेकिन अंत में दाँतों को अपने घमंड का दंड भुगतना पड़ता है और जीभ की समझदारी सिद्ध होती है।
2. मुख्य पात्र:
- जीभ – लचीली, समझदार और विनम्र।
- दाँत – कठोर, संगठित लेकिन घमंडी।
3. कहानी का सारांश:
- दाँत हमेशा एक पंक्ति में रहते थे और अपनी एकता व कठोरता पर गर्व करते थे।
- जीभ अकेली थी, वह लचीली थी और किसी भी दिशा में घूम सकती थी।
- दाँतों ने जीभ का मजाक उड़ाया और उसे कमजोर समझा।
- जीभ ने उन्हें समझाया कि अहंकार विनाश का कारण बन सकता है, लेकिन दाँतों ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
- अचानक एक दिन दाँतों पर जोर से झटका लगा, जिससे कई दाँत टूट गए।
- जीभ सुरक्षित रही क्योंकि वह लचीली थी और आसानी से झटके के साथ बह गई।
- दाँतों को अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
4. शिक्षाएँ:
- अहंकार का अंत बुरा होता है।
- लचीलापन जीवन में आवश्यक है।
- संयम और समझदारी विपत्तियों से बचा सकती है।
- घमंड करने वाले का विनाश निश्चित है।
- विनम्रता और सहनशीलता से कठिनाइयों से बचा जा सकता है।
निष्कर्ष:
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए और हमेशा विनम्रता और समझदारी से काम लेना चाहिए। कठोरता और घमंड नाश का कारण बन सकते हैं, जबकि लचीलापन और धैर्य हमें जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
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