परोपकार
1. परिचय:
इस अध्याय में बताया गया है कि मनुष्य प्राणियों का सम्मान उनके रंग-रूप के आधार पर नहीं, बल्कि उनके गुणों और उपयोगिता के अनुसार करता है। मधुमक्खी और ततैया (बर्ण) के संवाद के माध्यम से यह समझाया गया है कि अच्छे कार्य और परोपकार ही किसी को सम्मान दिलाते हैं, न कि केवल सुंदरता।
2. मुख्य पात्र:
- बर्ण (ततैया) – यह रंग-बिरंगी और सुंदर होती है, लेकिन लोगों को डंक मारकर तकलीफ देती है।
- मधुमक्खी – यह परिश्रमी और उपयोगी होती है, शहद बनाती है और इंसानों के लिए फायदेमंद होती है।
3. कहानी का सारांश:
- बर्ण (ततैया) को अपने सुंदर रंग-रूप पर बहुत घमंड होता है।
- वह मधुमक्खी से पूछती है कि लोग उसे (बर्ण को) देखकर भागते क्यों हैं, जबकि मधुमक्खी को पालते हैं।
- मधुमक्खी उत्तर देती है कि इसका कारण रूप-रंग नहीं, बल्कि गुण और उपयोगिता है।
- मधुमक्खी मनुष्य के लिए शहद बनाकर लाभकारी सिद्ध होती है, जबकि बर्ण केवल डंक मारकर कष्ट देती है।
- इसी कारण से लोग मधुमक्खी को पालते हैं और बर्ण को दूर भगाते हैं।
- यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सुंदरता से अधिक महत्वपूर्ण अच्छे गुण होते हैं।
4. महत्वपूर्ण बिंदु:
- मनुष्य उन्हीं प्राणियों का आदर करता है जो परोपकारी और उपयोगी होते हैं।
- रूप-रंग से अधिक महत्वपूर्ण अच्छे गुण और परिश्रम होते हैं।
- मधुमक्खी परिश्रमी और उपयोगी होती है, इसलिए उसे पाला जाता है।
- बर्ण (ततैया) केवल सुंदर होने के बावजूद डंक मारती है, इसलिए उसे दूर भगाया जाता है।
- यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने गुणों से सम्मान प्राप्त करना चाहिए, न कि केवल बाहरी सुंदरता से।
5. शिक्षा / नैतिक संदेश:
- सुंदरता का कोई महत्व नहीं होता यदि उसमें अच्छे गुण न हों।
- दूसरों की भलाई और परिश्रम ही सच्चे सम्मान का कारण बनते हैं।
- हमें केवल दिखावे पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि अपने चरित्र और कर्मों को श्रेष्ठ बनाना चाहिए।
6. शब्दार्थ:
शब्द | अर्थ |
---|---|
परोपकारी | दूसरों की भलाई करने वाला |
उपयोगी | जो किसी काम आता हो |
आदर | सम्मान, इज़्ज़त |
अनादर | अपमान, बेइज़्ज़ती |
गुण | अच्छी विशेषताएँ |
परिश्रमी | मेहनती |
निष्कर्ष:
यह अध्याय हमें यह महत्वपूर्ण संदेश देता है कि बाहरी सुंदरता से अधिक अच्छे गुण और परिश्रम आवश्यक होते हैं। मनुष्य उन्हीं प्राणियों और व्यक्तियों का सम्मान करता है जो समाज के लिए लाभकारी होते हैं। हमें भी अपने कर्मों और गुणों से समाज में सम्मान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
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