हे मातृभूमि !
1. परिचय
यह कविता महान स्वतंत्रता सेनानी और कवि रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ द्वारा लिखी गई है। इसमें उन्होंने मातृभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा, प्रेम और समर्पण को भावनात्मक रूप से व्यक्त किया है। कवि चाहते हैं कि उनका संपूर्ण जीवन मातृभूमि की सेवा में अर्पित हो जाए।
2. प्रमुख विषयवस्तु
इस कविता में निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर जोर दिया गया है:
- मातृभूमि की महिमा – कवि अपनी मातृभूमि को पूजनीय मानते हैं और उसे प्रणाम करते हैं।
- देशभक्ति का संदेश – वे देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने के लिए तत्पर हैं।
- भेदभाव से मुक्त समाज – वे बिना किसी भेदभाव के मातृभूमि की सेवा करना चाहते हैं।
- बलिदान की भावना – कवि देश के लिए अपना जीवन और शरीर तक अर्पित करने को तैयार हैं।
3. कविता की व्याख्या
मातृभूमि को नमन
- कवि कहते हैं कि वे अपने सिर को मातृभूमि के चरणों में नवाना चाहते हैं।
- वे अपनी समर्पण भावना को व्यक्त करते हुए मातृभूमि की शरण में जाना चाहते हैं।
मातृभूमि की पवित्रता
- कवि की इच्छा है कि उनके माथे पर चंदन लगे और गले में पुष्पमाला हो।
- वे कहते हैं कि उनकी जीभ पर केवल मातृभूमि की स्तुति के गीत हों।
धूल का महत्व
- जिस भूमि ने श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे महापुरुषों को जन्म दिया, वह धूल पवित्र है।
- कवि उस धूल को अपने सिर पर लगाने की कामना करते हैं।
समुद्र द्वारा नमन
- समुद्र भी मातृभूमि की चरणधूलि को प्रतिदिन धोकर उसका सम्मान करता है।
- कवि भी उसी प्रकार मातृभूमि को प्रणाम करना चाहते हैं।
निष्कलंक सेवा का संकल्प
- कवि बिना किसी भेदभाव के अपने देश की सेवा करना चाहते हैं।
- वे संकल्प लेते हैं कि वे प्रतिदिन मातृभूमि का पुण्यनाम सुनेंगे और सुनाएंगे।
पूर्ण समर्पण
- कवि कहते हैं कि वे मातृभूमि के ही कार्य में लगे रहेंगे और उसी का गुणगान करेंगे।
- अंत में वे अपने मन, शरीर और जीवन को मातृभूमि के चरणों में अर्पित करने की बात कहते हैं।
4. कवि का परिचय
नाम: रामप्रसाद ‘बिस्मिल’
जन्म: 1897, शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु: 1927, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
मुख्य पहचान:
- महान स्वतंत्रता सेनानी
- क्रांतिकारी लेखक और कवि
- “सरफ़रोशी की तमन्ना” जैसी प्रसिद्ध रचना के लेखक
- “मन की लहर”, “आत्मकथा” आदि प्रमुख रचनाएँ
5. प्रमुख शिक्षाएँ
- हमें अपने देश से प्रेम करना चाहिए।
- मातृभूमि के प्रति सम्मान और श्रद्धा रखनी चाहिए।
- देश की सेवा के लिए बलिदान देने की भावना होनी चाहिए।
- हमें जाति, धर्म, भाषा आदि के भेदभाव से ऊपर उठकर देश के लिए कार्य करना चाहिए।
6. कठिन शब्दार्थ
शब्द | अर्थ |
---|---|
मातृभूमि | जन्मभूमि, देश |
चरण | पैर |
बलिदान | प्राण अर्पण करना |
स्तुति | प्रशंसा |
पुण्यनाम | पवित्र नाम |
समर्पण | अर्पित करना |
प्रणाम | सम्मानपूर्वक झुकना |
महापुरुष | महान व्यक्ति |
7. संक्षिप्त सारांश
“हे मातृभूमि!” कविता में कवि रामप्रसाद बिस्मिल ने मातृभूमि के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम को भावनात्मक रूप से प्रकट किया है। वे अपने जीवन को देश की सेवा में अर्पित करना चाहते हैं और मातृभूमि की महिमा का गुणगान करते हैं। वे कहते हैं कि जिस भूमि पर महान संत और महापुरुष जन्मे, वह पवित्र है और उसे वे अपने मस्तक पर धारण करना चाहते हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने देशभक्ति, निस्वार्थ सेवा और मातृभूमि के प्रति पूर्ण समर्पण का संदेश दिया है।
निष्कर्ष
यह कविता केवल एक साहित्यिक रचना नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम और मातृभूमि के प्रति समर्पण की प्रेरणा देने वाली रचना है। कवि रामप्रसाद बिस्मिल अपने जीवन को देश के लिए बलिदान करने के लिए तत्पर थे, और उनकी यह कविता प्रत्येक भारतीय के हृदय में देशभक्ति की भावना जगाने का कार्य करती है।
Leave a Reply