अंधायुग
लहान प्रश्न
1. अश्वत्थामा कौन था?
उत्तर – अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र और महाभारत युद्ध का एक महान योद्धा था।
2. अश्वत्थामा ने किस भावना से पांडवों के शिविर में प्रवेश किया?
उत्तर – उसने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पांडवों के शिविर में प्रवेश किया।
3. अश्वत्थामा ने किन्हें मार डाला?
उत्तर – उसने पांडवों के स्थान पर गलती से उनके पांच पुत्रों (उपपांडवों) की हत्या कर दी।
4. अश्वत्थामा को जब अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उसकी क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर – जब उसे सच्चाई का पता चला, तो वह घबरा गया और बहुत दुखी हुआ।
5. श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को क्या श्राप दिया?
उत्तर – श्रीकृष्ण ने उसे अमरता का श्राप दिया, लेकिन वह जीवनभर पीड़ा में रहेगा।
6. अश्वत्थामा का सबसे बड़ा अपराध क्या था?
उत्तर – उसका सबसे बड़ा अपराध निर्दोष बच्चों की हत्या करना था।
7. श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को दंड क्यों दिया?
उत्तर – क्योंकि उसने अधर्म किया और सोते हुए निर्दोष बालकों की हत्या की।
8. अश्वत्थामा को अमरता का श्राप क्यों दिया गया?
उत्तर – ताकि वह अपने अपराध की पीड़ा को अनंत काल तक झेलता रहे।
9. इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर – प्रतिशोध और क्रोध से केवल विनाश होता है, हमें धर्म और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए।
10. कर्म का क्या महत्व है?
उत्तर – अच्छे कर्म का अच्छा और बुरे कर्म का बुरा परिणाम मिलता है, यह कहानी हमें यही सिखाती है।
दीर्घ प्रश्न
1. अश्वत्थामा ने पांडवों के खिलाफ कौन-सा अपराध किया, और इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर – अश्वत्थामा ने बदले की भावना में आकर पांडवों के पांच पुत्रों की हत्या कर दी, यह सोचकर कि वे असली पांडव हैं। जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। श्रीकृष्ण ने उसे अमरता का श्राप दिया, जिससे वह जीवनभर पीड़ा में रहने को मजबूर हो गया।
2. अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण ने कौन-कौन से दंड दिए और क्यों?
उत्तर – श्रीकृष्ण ने उसे श्राप दिया कि वह अमर रहेगा लेकिन कभी सुख नहीं मिलेगा। उसके शरीर पर हमेशा घाव रहेंगे, जो कभी नहीं भरेंगे। उसे दुनिया में अकेले भटकना पड़ेगा और वह किसी से मदद नहीं मांग सकेगा।
3. महाभारत में अश्वत्थामा की भूमिका क्या थी और वह युद्ध में क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर – अश्वत्थामा एक महान योद्धा था और उसने कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा। वह अपनी वीरता और ब्रह्मास्त्र जैसे दिव्य अस्त्रों के लिए प्रसिद्ध था। उसके पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद, उसने प्रतिशोध की भावना में अधर्म का मार्ग अपनाया।
4. इस कथा में कर्म और उसके फल की क्या सीख मिलती है?
उत्तर – अश्वत्थामा के बुरे कर्मों ने उसे जीवनभर के लिए पीड़ा में डाल दिया। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा सही और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। हर कर्म का फल अवश्य मिलता है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा।
5. अश्वत्थामा के क्रोध और प्रतिशोध ने उसे कैसे प्रभावित किया?
उत्तर – अश्वत्थामा अपने पिता की मृत्यु से अत्यधिक क्रोधित था और वह बदला लेना चाहता था। इसी क्रोध में उसने निर्दोषों की हत्या कर दी, जिससे उसे श्राप मिला। प्रतिशोध की भावना ने उसका संपूर्ण जीवन नष्ट कर दिया और उसे असीम दुख झेलना पड़ा।
6. इस कथा से समाज को क्या संदेश मिलता है?
उत्तर – यह कथा हमें सिखाती है कि अधर्म और हिंसा का रास्ता हमेशा विनाश की ओर ले जाता है। हमें क्रोध और प्रतिशोध से बचकर सही निर्णय लेना चाहिए। कर्म का सिद्धांत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर व्यक्ति को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है।
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