Summary in Marathi
“गाण्यांचे गाणे” ही गोष्ट अकबर बादशाह आणि त्याच्या दरबारातील प्रसिद्ध गायक तानसेन यांच्या जीवनावर आधारित आहे. अकबर तानसेनच्या संगीताचा मोठा चाहता होता आणि रोज त्याच्या गाण्यांचा आनंद घेत असे. एके दिवशी, तानसेनने अकबरला सांगितले की त्याच्या गुरू संत हरिदास त्याच्याहूनही चांगले गातात. हे ऐकून अकबर आश्चर्यचकित झाला आणि संत हरिदास यांना दरबारात बोलावण्याची इच्छा व्यक्त केली.
तानसेनने स्पष्ट केले की संत हरिदास हे एक साधू होते आणि ते कोणत्याही वैभवासाठी गात नव्हते, त्यामुळे ते दरबारात येणार नाहीत. मग अकबरने साध्या संगीतप्रेमीप्रमाणे त्यांच्या कुटीमध्ये जाण्याचा निर्णय घेतला. तिथे पोहोचल्यावर, संत हरिदास यांनी गाण्यास नकार दिला. पण तानसेनने जाणूनबुजून गाण्यात चूक केली, ज्यामुळे गुरूंनी ती दुरुस्त करण्यासाठी गाणे सुरू केले. त्यांचे संगीत इतके दिव्य होते की अकबर आणि तानसेन मंत्रमुग्ध झाले.
मागे जाताना अकबरने तानसेनला विचारले की तो त्याच्या गुरुंसारखे का गाऊ शकत नाही. तानसेनने उत्तर दिले की तो अकबराच्या आज्ञेने गातो, पण त्याचा गुरू केवळ परमेश्वरासाठी गातो. म्हणूनच त्यांचे संगीत अधिक पवित्र आणि अप्रतिम होते.
Summary in English
“The Song of Songs” is a story about Emperor Akbar and his famous court musician, Tansen. Akbar deeply admired Tansen’s singing and enjoyed his performances every day. One day, Tansen told Akbar that his guru, Sant Haridas, sang even better than him. Akbar was surprised and wanted to invite Sant Haridas to his court.
Tansen explained that Sant Haridas was a saint who did not sing for wealth or fame and would never come to the royal court. Determined to hear him, Akbar decided to visit Sant Haridas’s hut as a humble music lover. When they arrived, Sant Haridas refused to sing. To make him sing, Tansen deliberately made a mistake in his song, which forced his guru to correct him. As soon as Sant Haridas began to sing, his divine music mesmerized both Akbar and Tansen.
On their way back, Akbar asked why Tansen could not sing like his guru. Tansen replied that he sang on the emperor’s command, but his guru sang only for God. This made his music purer, more soulful, and truly divine.
Summary in Hindi
“गानों का गीत” यह कहानी मुगल सम्राट अकबर और उनके प्रसिद्ध दरबारी गायक तानसेन की है। अकबर तानसेन के संगीत से बहुत प्रभावित थे और उनकी प्रस्तुति का रोज़ आनंद लेते थे। एक दिन, तानसेन ने अकबर से कहा कि उनके गुरु संत हरिदास उनसे भी बेहतर गाते हैं। यह सुनकर अकबर को बहुत आश्चर्य हुआ और उन्होंने संत हरिदास को दरबार में बुलाने की इच्छा जताई।
तानसेन ने समझाया कि संत हरिदास एक साधु हैं और वे धन या प्रसिद्धि के लिए नहीं गाते, इसलिए वे दरबार में नहीं आएंगे। यह सुनकर अकबर ने एक साधारण संगीत प्रेमी की तरह संत हरिदास की कुटिया जाने का निर्णय लिया। जब वे वहाँ पहुँचे, तो संत हरिदास ने गाने से इनकार कर दिया। तानसेन ने एक चाल चली और जानबूझकर गाने में गलती की। यह देखकर संत हरिदास ने गलती सुधारने के लिए गाना शुरू किया। उनका संगीत इतना दिव्य और मधुर था कि अकबर और तानसेन मंत्रमुग्ध हो गए।
वापसी के दौरान अकबर ने तानसेन से पूछा कि वह अपने गुरु की तरह क्यों नहीं गा सकता। तानसेन ने जवाब दिया कि वह सम्राट की आज्ञा पर गाते हैं, जबकि उनके गुरु केवल भगवान के लिए गाते हैं। यही कारण था कि उनका संगीत पवित्र, भावपूर्ण और वास्तव में दिव्य था।
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