जलदिंडी
Summary in Marathi
“जलदिंडी” हा धडा डॉ. विश्वास यवे यांच्या पर्यावरणपूरक उपक्रमावर आधारित आहे. प्राचीन काळापासून नद्यांच्या काठावर मानवी जीवन फुलले आहे, म्हणूनच नद्यांना “लोकमाता” म्हणतात. मात्र, आजच्या “वापरा आणि फेका” जीवनशैलीमुळे नद्यांचे प्रदूषण मोठ्या प्रमाणावर वाढले आहे.
डॉ. विश्वास यवे यांनी नदी स्वच्छतेसाठी “जलदिंडी” या अभिनव मोहिमेची कल्पना मांडली. या मोहिमेत लोकांनी एकत्र येऊन इंद्रायणी, भीमा आणि चंद्रभागा नद्यांचे प्रदूषण दूर करण्यासाठी प्रयत्न केले. लेखकाच्या मुलाने प्रदूषित पाण्यात पडण्याची भीती व्यक्त केली, त्यामुळे लेखकाला जलप्रदूषणाची गंभीरता जाणवली.
लेखक व त्याच्या सहकाऱ्यांनी नदीतील कचरा आणि जलपर्णी काढून सफाईला सुरुवात केली. सुरुवातीला प्रशासन व स्थानिक नागरिकांचा फारसा प्रतिसाद नव्हता, पण हळूहळू अधिकाधिक लोक या उपक्रमात सामील झाले. लोकांमध्ये जनजागृती करण्यासाठी पंढरपूर यात्रेप्रमाणेच ‘जलदिंडी’ नावाची स्वच्छता मोहिम राबवली गेली.
या धड्यातून पर्यावरणसंवर्धनाची जाणीव होते आणि आपण नद्यांचे प्रदूषण रोखण्यासाठी स्वतःहून पुढाकार घ्यायला हवा, हे शिकता येते.
Summary in English
The chapter “Jaldindi” is based on Dr. Vishwas Yave’s environmental initiative. Since ancient times, human civilization has flourished along riverbanks, and that is why rivers are considered “Lokmata” (Mother of the people). However, due to the “use and throw” lifestyle, river pollution has increased drastically.
Dr. Vishwas Yave introduced the innovative idea of “Jaldindi”, a campaign aimed at cleaning rivers. People joined hands to clean the Indrayani, Bhima, and Chandrabhaga rivers. The author realized the seriousness of water pollution when his son expressed fear of falling into the polluted water.
The author and his team started removing plastic waste and jalparni (water hyacinth) from the river. Initially, there was little support from the authorities and locals, but gradually, more people participated in the mission. To raise awareness, they organized a “Jaldindi”, similar to the Pandharpur pilgrimage, but with a focus on river cleanliness.
This chapter teaches us the importance of environmental conservation and inspires us to take action against river pollution.
Summary in Hindi
“जलदिंडी” पाठ डॉ. विश्वास यवे के पर्यावरण संरक्षण अभियान पर आधारित है। प्राचीन काल से ही नदियों के किनारे मानव जीवन विकसित हुआ है, इसलिए नदियों को “लोकमाता” कहा जाता है। लेकिन आधुनिक “उपयोग करो और फेंको” जीवनशैली के कारण नदियों का प्रदूषण बहुत बढ़ गया है।
डॉ. विश्वास यवे ने “जलदिंडी” नामक एक नई पहल शुरू की, जिसमें लोगों को नदी की सफाई के लिए संगठित किया गया। इंद्रायणी, भीमा और चंद्रभागा नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए यह अभियान चलाया गया। लेखक के बेटे को गंदे पानी में गिरने का डर था, जिससे लेखक को जल प्रदूषण की गंभीरता का एहसास हुआ।
लेखक और उनके साथियों ने मिलकर नदी में जमी गंदगी और जलपर्णी (जलकुंभी) को हटाने का काम शुरू किया। शुरुआत में प्रशासन और स्थानीय लोगों का समर्थन कम था, लेकिन धीरे-धीरे लोग इस अभियान से जुड़ने लगे। पंढरपुर यात्रा की तरह ही, लोगों को जागरूक करने के लिए “जलदिंडी” नामक स्वच्छता अभियान चलाया गया।
यह पाठ हमें पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझाता है और हमें जल प्रदूषण रोकने के लिए स्वयं पहल करने की प्रेरणा देता है।
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