कुछ पाकर देख
Summary in Marathi
“काही पाकर पाहा” ही बुद्धिनाथ मिश्र यांची प्रेरणादायक कविता आहे. या कवितेत कवीनं जीवनात काही मिळवण्यासाठी मेहनत, संघर्ष आणि त्याग करण्याची गरज अधोरेखित केली आहे. ते सांगतात की, जर तुम्ही प्रयत्नशील राहाल, तर तुम्हाला यश नक्कीच मिळेल. परकीय लोकांनाही आपले मानल्याने समाजात प्रेम आणि ऐक्य निर्माण होऊ शकते. कवि सांगतात की, स्वप्न केवळ बघण्यासाठीत नसतात, तर ती पूर्ण करण्यासाठी परिश्रम करावे लागतात. निसर्गाच्या उदाहरणांमधूनही कवि शिकवतात की संघर्षानंतरच आनंद मिळतो, जसे की जंगले पावसाने हिरवीगार होतात. शेवटी, कवि म्हणतात की अंधाराला दोष देण्यापेक्षा दिवा लावावा, म्हणजेच परिवर्तनासाठी आधी स्वतःमध्ये बदल करावा. ही कविता विद्यार्थ्यांना आत्मविश्वास वाढवण्याची आणि सकारात्मक दृष्टीकोन ठेवण्याची प्रेरणा देते.
Summary in English
“Kuch Paakar Dekh” is an inspiring poem by Buddhinaath Mishra. In this poem, the poet emphasizes the need for hard work, struggle, and sacrifice to achieve something in life. He encourages readers to stay determined and make efforts, as success comes only through perseverance. The poet suggests that accepting others with an open heart fosters love and unity in society. He also highlights that dreams are not just meant to be seen but should be pursued with dedication and effort. Through examples from nature, the poet explains that difficulties lead to happiness, just as the forest flourishes after the rain. Finally, he advises that instead of cursing darkness, one should light a lamp, meaning one must bring change within oneself first to bring change in society. This poem serves as a motivation for students to stay confident and maintain a positive outlook in life.
Summary in Hindi
“कुछ पाकर देख” बुद्धिनाथ मिश्र द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक कविता है। इस कविता में कवि यह बताते हैं कि जीवन में कुछ प्राप्त करने के लिए मेहनत, संघर्ष और त्याग आवश्यक हैं। वे हमें प्रेरित करते हैं कि हमें प्रयासरत रहना चाहिए क्योंकि सफलता केवल निरंतर प्रयासों से ही मिलती है। कवि यह भी कहते हैं कि यदि हम दूसरों को अपनाएँगे, तो समाज में प्रेम और एकता बढ़ेगी। इसके अलावा, वे समझाते हैं कि सपने केवल देखने के लिए नहीं होते, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। कवि प्रकृति के उदाहरणों से हमें यह सिखाते हैं कि कठिनाइयों के बाद ही सच्ची खुशी मिलती है, जैसे वर्षा के बाद जंगल हरा-भरा हो जाता है। अंत में, वे कहते हैं कि अंधकार को कोसने के बजाय एक दीप जलाना चाहिए, यानी यदि हम समाज में बदलाव चाहते हैं, तो पहले खुद को बदलना होगा। यह कविता विद्यार्थियों को आत्मविश्वास बढ़ाने और जीवन में सकारात्मक सोच रखने की प्रेरणा देती है।
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