जीवन नहीं मरा करता है
जरा सोचो ……… चर्चा करो.
उत्तर – बनस्पतिः सूर्य के न होने से इसका बहुत बड़ा प्रभाव वनस्पति जगत पर पड़ेगा। वनस्पतियाँ कार्बन डाइऑक्साइड और पानी की सहायता से सूर्य प्रकाश में अपना भोजन तैयार करती हैं। सूर्य प्रकाश न होने से उनकी वृद्धि नहीं होगी। उनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। शाकाहारी पशुपक्षियों को भोजन न मिलेगा। मानव को ऑक्सीजन की प्राप्ति नहीं होगी। वनस्पति ही सजीवों के अन्न स्रोत का मुख्य आधार है। सूर्य के न होने से वनस्पति जगत समाप्त हो जाएगा और उसका सबसे बड़ा प्रभाव प्राणी जगत पर होगा। पशु-पक्षी: पशु-पक्षियों का जीवन सूर्य के न होने से कष्टप्रद हो जाएगा। बनस्पति समाप्त होने से पशु-पक्षियों को अपना अन्न न मिलेगा। कुछ मांसाहारी प्राणी शाकाहारी प्राणियों पर आधारित होते हैं। उन्हें अपना अन्न न मिलने पर जंगली पशु-पक्षियों का जीवन संकट में आ जाएगा।
सर्य के न रहने के कारण वनस्पति, पेड-पौधे जीवित नहीं रहेंगे। जिससे बड़े-बड़े वन नष्ट हो जाएंगे। इसका सबसे बड़ा असर प्राणी जगत पर ही होगा। मनुष्यः यदि सूर्य प्रकाश न मिले, तो मनुष्य का जीवन शून्य के समान हो जाएगा। सूर्य का प्रकाश मनुष्य के जीवित रहने का मुख्य आधार है। प्रकृति ही अन्न स्रोत की मालिका होती है। प्रकृति की प्रत्येक वस्तु एकदूसरे पर निर्भर होती है। वनस्पति, पशु-पक्षी, मानव ये तीनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनके जीवित रहने का मुख्य आधार सूर्य प्रकाश है। मनुष्य का जीवन तो प्रकृति में स्थित वनस्पति व प्राणी जगत पर आधारित होता है। जलचर, थलचर, उभयचर इन सभी जीवों का जीवन सूर्य प्रकाश पर ही आधारित है। बिना सूर्य प्रकाश के वनस्पति व प्राणीजगत की कल्पना ही नहीं की जा सकती। बिना सूर्य प्रकाश के प्रकृति का विनाश हो जाएगा तथा मनुष्य की प्रगति पर प्रश्नचिह्न भी लग सकता है।
अध्ययन कौशल
उत्तर – सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को ‘सौरऊर्जा’ कहा जाता है। सूर्य के किरणों को एक बिंदु पर एकत्रित करके जब ऊर्जा उत्पन्न करते है। तो उसे ‘सौरऊर्जा’ कहते हैं। सौरऊर्जा मनुष्य के लिए कई दृष्टि से लाभकारी है। यह कभी समाप्त न होने वाला संसाधन है। यह वातावरण के लिए लाभकारी है। यह वातावरण में कार्बन डाइऑक्साईड व अन्य हानिकारक गैस नहीं छोड़ती। इसके कारण वातावरण प्रदूषित नहीं होता। इसके प्रयोग से कोयला, पानी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की बचत होगी। सौरऊर्जा उष्णता के लिए, भोजन पकाने, कार, हवाई जहाज, बड़ी नावें, उपग्रहों आदि के उपयोग में सहायक होती हैं। अन्य ऊर्जा संसाधनों की तुलना में यह अत्यंत सस्ता व बेहतरीन विकल्प है। सौरऊर्जा हमारे देश में विकसित रूप ग्रहण कर चुकी है। इसके उपयोग से मानव जाति की प्रगति अवश्य होगी, परंतु इसका हमें उपयोग योग्य और ठीक ढंग से करना चाहिए।
मेरी कलम से
निम्नलिखित शब्द की सहायता से नए शब्द बनाओ:
उत्तर –
(१) दीपशिखा
(२) दीपमाला
(३) दीपावली
(४) दीपमय
(५) दीपनीय
(६) दीपाधार
(७) दीपक
(८) दीपिका
विचार मंथन
।। जीवन चलता ही रहता ।।
उत्तर – संसार में हर एक प्राणी अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है। सूर्य, चंद्र, तारे अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहते हैं। तो फिर मनुष्य अपने जीवन को बिना उद्देश्य से कैसे रख सकता है। जीवन हिमालय पर्वत से उद्गमित गंगा नदी के समान हमेशा चलता ही रहता है। जीवन में कई कठिनाइयाँ मनुष्य को सदैव रोकने का प्रयास करती हैं। उस समय उसकी गति शायद थोड़ी धीमी होती है, किंतु वह रूकता नहीं है। जीवन मनुष्य की अंतिम सांस तक चलता रहता है। जीवन और संघर्ष का एक अटूट संबंध होता है। जीवन की धारा अबाध गति से बहती रहती है और मनुष्य आगे बढ़ते जाता है। जब तक प्रकृति रहेगी, जीवन चलता ही रहेगा।
१. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ लिखो :
(क) ‘लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है ।’
उत्तर – इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि पतझर के मौसम में पेड़, पौधों के पत्ते झड़ जाते हैं और सारा वन-उपवन उजड़ा व वीरान-सा लगने लगता है किंतु इससे उपवन में स्थित पेड़पौधों का जीवन समाप्त नहीं होता। वसंत ऋतु आते ही वे फिर से हरे-भरे होने लगते हैं। उसी प्रकार जीवन में किसी के भी द्वारा कितनी ही तकलीफें देने या अपने रास्ते में संकट पैदा करने से मनुष्य का जीवन रूक नहीं जाता। वह निरंतर आगे ही बढ़ते रहता है।
(ख) ‘कितनी बार गगरियॉं फूटीं शिकन न पर आई पनघट पर ।’
उत्तर – इन पंक्तियों का अर्थ यह है कि पनघट पर पानी भरते समय कितनी गगरियाँ वहाँ गिरकर टूट जाती हैं, किंतु पनघट उस पर कभी चिंतित नहीं होता। उसी प्रकार जीवन में रुकावटें व संकट तो आते ही रहेंगे। उनकी चिंता न करते हुए तथा उन्हें जीवन का एक भाग समझकर आगे बढ़ना चाहिए। चिंता करने से मनुष्य अपने लक्ष्य को साध्य नहीं कर सकता।
२. इस कविता का मुख्य आशय लिखो ।
उत्तर – कविता का मुख्य आशय यह है कि मंजिल को प्राप्त करने के लिए संकटों से लड़ने का हौसला मनुष्य के भीतर होना चाहिए। जीवन में आने वाली समस्याओं से निराश, चिंतित एवं डरकर भागने से वह समाप्त नहीं होती। जब तक जीवन रहेगा, समस्याएँ आती रहेंगी। जीवन शाश्वत होता है, वह कभी नहीं मरता। जीवन में तूफान आते रहेंगे, किंतु असली नाविक वह है, जो उस तूफ़ान में भी राह निर्माण करें। हौसला झरने से नहीं बल्कि हौसला रखकर लड़ने से जीवन शाश्वत रहेगा।
३. जीवन की शाश्वतता को बताने वाली पंक्तियाँ लिखो ।
उत्तर –
(१) “छिप-छिप अश्रु बहाने वालों! मोती व्यर्थ लुटाने वालों!
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।”
(२) “खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी,
जैसे रात उतार चाँदनी
पहने सुबह धूप की धोती।”
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