दादी माँ का परिवार
जरा सोचो …….. बताओ
यदि प्राकृतिक संसाधन समाप्त हो जाएँ तो…… जैसे- जल, वन आदि ।
उत्तर – प्रकृति हमारी माता है, वह हमारी जीवनदायिनी है। प्रकृति से हमें कई प्राकृतिक संसाधन प्राप्त होते हैं। जल, वन, खनिज तेल, धातुएँ, कोयला, समुद्र से प्राप्त होनेवाले कई पदार्थ ये सब प्राकृतिक संसाधन हैं। मनुष्य ने अपने स्वार्थ हेतु इन वस्तुओं को अधिक से अधिक मात्रा में उपयोग किया है। अब इनकी संख्या में दिन-प्रतिदिन कमी आती जा रही है। ये सारे प्राकृतिक संसाधन अगर मनुष्य की ऐसी बेपरवाह एवं स्वार्थपरायण वृत्ति से समाप्त हो जाए, तो मनुष्य की आनेवाली पीढ़ियाँ इसका उपभोग न कर पाएंगी और इसका सारा दोष वर्तमान मनुष्य पर डालेंगी।
इसका विचार करते हुए वर्तमान समय में हमें इन सभी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सोच-समझकर एवं योग्य मात्रा में करना चाहिए। जिस प्रकार पानी के बिना मछली जीवित नहीं रह सकती, उसी प्रकार मनुष्य का संपूर्ण जीवन प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है। इनकी समाप्ति मानव जीवन की सबसे बड़ी हानि होगी। प्रकृति का साथ लेकर ही मनुष्य अपना जीवन अधिक सुंदर व सफल बना सकता है। इसलिए प्रकृति प्रदत्त इस संपदा का प्रयोग हमें भविष्य की सोच एवं संचयन नीति के आधार पर करना चाहिए।
मेरी कलम से
निम्नलिखित शब्दों के आधार पर एक कहानी लिखो : पानी, पुस्तक, बिल्ली, राखी ।
उत्तर – रामपुर नाम का एक गाँव था। वहाँ मोहन नाम का एक लड़का अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसकी बहन मीना उनसे दूर रघुपूर नामक गाँव में अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए गई थी। मोहन अपनी बहन से बहुत प्रेम करता था। अपनी प्यारी बहन से दूर रहना उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था। कुछ दिनों बाद राखी का त्योहार आया। मोहन अपनी बहन से मिलने जाना चाहता था किंतु आकाश में छाए बादलों व भारी वर्षा के कारण सब जगह पानी जमा हो गया।
अब मोहन को मीना से मिलने की इच्छा डूबती हुई नज़र आने लगी। उसने अपनी बहन को उपहार देने के लिए कहानियों की एक पुस्तक खरीदी थी। उसे बहुत बुरा लग रहा था। उसने निश्चय किया कि कुछ भी हो वह अपनी बहन से मिलने अवश्य जाएगा। वह बहन को मिलने जाने के लिए जब घर से निकला तब काली बिल्ली रास्ता काटती चली गई। वह बहुत डर गया और सोचने लगा कि अगर रघुपूर जानेवाली बस उसे नहीं मिली, तो वह अपनी बहन से नहीं मिल पाएगा।
वह निराश होकर नीचे बैठ गया और सिसक-सिसककर रोने लगा। तभी उसके सिर को किसी ने प्यार से सहलाया। मोहन ने ऊपर देखा तो उसके सामने उसकी बहन मीना खड़ी थी। मोहन खुशी से फूला न समाया और अपनी बहन से लिपट गया। स्वयं मीना उससे मिलने आई थी। घर के सभी लोग खुश थे। इस प्रकार मोहन-मीना के साथ समस्त परिवार ने खुशीखुशी त्योहार मनाया।
अध्ययन कौशल
उत्तर –
१. राज्य का नाम: महाराष्ट्र
अभयारण्य का नाम: संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान
विशेषताएं: यह उद्यान महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के उत्तरी भाग में स्थित है। उद्यान लगभग १०४ वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। इस उद्यान में दो मुख्य जलाशय हैं, जिनके आस-पास घिड़याल और पाइथन साँपों का निवास है। इस पार्क के । जंगलों में शेर, बाघ, चमगादड़, माउस डीयर, बोनेट मेकाक, रिसस मेकाक व हनुमान लंगूर आदि भी देखने को मिलते है।
२. राज्य का नाम: केरल
अभयारण्य का नाम: पेरिया वन्य जीव अभयारण्य
विशेषताएं: यह राष्ट्रीय उद्यान एक बाघ संरक्षित क्षेत्र है। यहाँ नदी के गहरे जल में हाथी तैरने का अभ्यास करते हैं। नीलगाय, सांभार, भालू, चीता तथा तेंदुआ आदि जंगली जानवर भी यहाँ पाए जाते हैं।
विचार मंथन
।। वृक्षवल्ली आम्हां सोयरे वनचरे ।।
उत्तर – “वृक्षवल्ली आम्हां सोयरे वनचरे”
वृक्ष अर्थात पेड़-पौधे। वृक्ष महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं। इनसे मिलनेवाले सारे सुख-साधन हमारे लिए प्रकृति की देन हैं। वन में रहनेवाले सभी पशु-पक्षी, जीव-जंतु, पेड़-पौधे और अपनी मधुर आवाज से अपने भगवान को पुकारने वाले ये रंग-बिरंगे पक्षी प्राकृतिक संबंधों में हमारे परिवार के सदस्य हैं।
इस कारण हमारे परिवार के सभी सदस्यों की देखभाल करना उनके भविष्य के बारे में सोचना उनकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। प्रकृति में स्थित पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, नदी-नाले इन सभी प्राकृतिक चीजों पर संपूर्ण मानव जाति का जीवन आधारित है। इनकी रक्षा करना संपूर्ण मानव जाति की रक्षा करना है।
वाचन जगत से
स्वामी विवेकानंद का कोई भाषण पढ़ो और प्रमुख वाक्य बताओ ।
उत्तर – स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में ११ सितंबर, १८९३ को आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में जो भाषण दिया था, उसमें उन्होंने कहा था, ‘मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूँ, जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत दोनों की ही शिक्षा दी है। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते वरन समस्त धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार करते हैं। मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पिीड़तों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है।”
१. घटना के अनुसार क्रम लगाकर लिखो :
(क) चिंकी ने भी दो बेटों का उपहार दिया ।
उत्तर – घर के आंगन में बरगद का पेड़ था।
(ख) एक साथ उड़ने को रहेंगे तैयार ।
उत्तर – चिंकी ने भी दो बेटों का उपहार दिया
(ग) टीनू-मीनू , चुसकू-मुसकू खेलने लगे ।
उत्तर – एक साथ उड़ने को रहेंगे तैयार।
(घ) घर के आँगन में बरगद का पेड़ था ।
उत्तर – घर के आँगन में बरगद का पेड़ था।
२. एक-दो वाक्यों में उत्तर लिखो :
(च) चिड़िया कहाँ रहती थी ?
उत्तर – चिड़िया दादी माँ के घर के आँगन के पेड़ पर बने घोंसले में रहती थी।
(छ) बहेलिया कब ठगा-सा रह गया ?
उत्तर – सभी पंछियों को जाल सहित उड़ते देखकर बहेलिया ठगा-सा रह गया।
(ज) दादी माँ सुबह उठकर क्या करतीं ?
उत्तर – दादी माँ सुबह उठकर अपने घर और आँगन की साफ़-सफाई करती। आँगन में अपना आसन लगाकर खाना बनाती व खाती थीं।
(झ) चुसकू-मुसकू ने किससे जाल काटा ?
उत्तर – चुसकू-मुसकू ने अपने पैने दाँतों से जाल काटा।
भाषा की ओर
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर वाक्य में प्रयोग करके लिखो :
उत्तर –
१. थैली – पॉलीथिन की थैली का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
२. पंखे – आवश्यकता न होने पर पंखे बंद रखकर हमें बिजली की बचत करनी चाहिए।
३. दीवारें – सोना के घर की दीवारें बहुत ही ऊँची हैं।
४. राजा – अपनी प्रजा की रक्षा करना प्रत्येक राजा का कर्तव्य होता है।
५. वस्तु – विजय ने अपनी कीमती वस्तु सँभालकर रखी।
६. भिड़ए – जंगल में भिड़ए दल बनाकर शिकार करते हैं।
७. बहुएँ – मीरा चाची की बहुएँ बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाती हैं।
८. रोटियाँ – समिधा ने अपनी माँ से गोल-गोल रोटियाँ बनाना सीख लिया है।
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