जहॉं चाह, वहाँ राह
1. प्रस्तावना
“जहाँ चाह, वहाँ राह” यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारे अंदर कुछ करने की सच्ची इच्छा और मेहनत करने का जज़्बा हो, तो कोई भी कठिनाई हमें रोक नहीं सकती। इस कहानी में येरसंबा गाँव के कुछ विद्यार्थियों ने अपनी मेहनत, एकता और आत्मविश्वास से एक बड़ी समस्या का हल निकालकर यह साबित कर दिया कि जब तक प्रयास किया जाए, तब तक कोई भी कार्य असंभव नहीं होता।
2. येरसंबा गाँव की समस्या
- येरसंबा गाँव के बीचों-बीच एक नाला बहता था।
- यह नाला गाँव के दो हिस्सों को अलग करता था – एक तरफ गाँव के घर थे और दूसरी तरफ स्कूल।
- हर साल बारिश के दौरान यह नाला पानी से भर जाता था और उसका जलस्तर 4-5 फीट तक बढ़ जाता था।
- इस वजह से विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पाते थे और कई दिनों तक अनुपस्थित रहते थे।
- लगातार अनुपस्थिति के कारण उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता था और वार्षिक परीक्षा में उनके अंक कम आते थे।
- यह समस्या कई सालों से थी और गाँव के लोगों ने इसे अपनी नियति मान लिया था।
- गाँव में एक कहावत भी प्रचलित हो गई थी –“गाँव में बारिश, नाले में पानी – स्कूल से छुट्टी, यही कहानी।”
3. विद्यार्थियों का निर्णय और आत्मविश्वास
- एक दिन, कुछ विद्यार्थी बरगद के पेड़ के नीचे बैठे हुए इस समस्या पर चर्चा कर रहे थे।
- कुछ ने निराशा से कहा कि वे तो बच्चे हैं, वे क्या कर सकते हैं?
- लेकिन दामिनी नाम की छात्रा ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि यदि प्रयास किया जाए तो हर समस्या का समाधान संभव है।
- सभी विद्यार्थियों ने मिलकर तय किया कि वे इस समस्या को हल करेंगे और नाले पर एक पुल बनाएंगे।
- पहले तो उन्हें यह विचार असंभव लगा, लेकिन उन्होंने निश्चय किया कि अगर गाँव वाले उनका सहयोग करेंगे, तो यह कार्य संभव हो सकता है।
4. पुल बनाने की योजना
- विद्यार्थियों ने सबसे पहले गाँव के लोगों से अपनी समस्या और समाधान की योजना के बारे में बताया।
- उनकी मेहनत और आत्मविश्वास को देखकर गाँव के लोगों ने भी उनकी मदद करने का निर्णय लिया।
- कुछ लोगों ने पुल निर्माण के लिए पैसे दिए, कुछ ने निर्माण सामग्री दी, और कुछ लोगों ने श्रमदान किया।
- गाँव के बुजुर्गों ने अपने अनुभव से मार्गदर्शन दिया और युवाओं ने शारीरिक श्रम में योगदान दिया।
- विद्यार्थियों ने भी श्रमदान किया और निर्माण कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
- पुल बनाने के लिए आवश्यक सामग्री जुटाई गई –
- सीमेंट के पाइप
- पत्थर
- ईंटें
- मिट्टी
- रेत
- पूरे गाँव ने एकजुट होकर मेहनत की और सिर्फ 15 दिनों में पुल तैयार हो गया।
5. पुल निर्माण का परिणाम
- पुल बन जाने के बाद अब विद्यार्थी बारिश के मौसम में भी सुरक्षित तरीके से स्कूल जाने लगे।
- उनकी पढ़ाई में रुकावटें दूर हो गईं और अब वे अपनी शिक्षा पर अधिक ध्यान देने लगे।
- गाँव के लोगों ने महसूस किया कि यदि वे मिलकर प्रयास करें, तो कोई भी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
- इस कहानी ने सभी को यह सिखाया कि यदि हम मेहनत करें और दृढ़ निश्चय रखें, तो असंभव कार्य भी संभव हो सकता है।
6. इस कहानी से शिक्षा (सीख)
- संकल्प और मेहनत से कोई भी कार्य संभव है।
- समस्या से भागने की बजाय समाधान निकालना चाहिए।
- एकता में शक्ति होती है, जब लोग मिलकर प्रयास करते हैं, तो हर कठिनाई दूर हो सकती है।
- हमें अपनी परिस्थितियों को स्वीकार करके हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि उन्हें बदलने का प्रयास करना चाहिए।
- जहाँ चाह, वहाँ राह – जब सच्ची इच्छा होती है, तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं।
निष्कर्ष
यह कहानी हमें सिखाती है कि यदि हम ठान लें, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। एकता और मेहनत से हम असंभव कार्य को भी संभव बना सकते हैं। “जहाँ चाह, वहाँ राह” यही इस कहानी की असली सीख है।
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