‘पृथ्वी’ से ‘अग्नि’ तक
1. परिचय
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक थे। वे भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं। इस पाठ में उन्होंने ‘पृथ्वी’ और ‘अग्नि’ मिसाइलों के निर्माण और प्रक्षेपण से जुड़ी चुनौतियों और सफलताओं को साझा किया है।
2. मिसाइल परीक्षण की तैयारी
प्रारंभिक कठिनाइयाँ:
- बालासोर में परीक्षण की तैयारी में लगभग एक साल की देरी हो रही थी।
- श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र में विशेष सुविधाएँ स्थापित की गईं, जिनमें लॉन्च पैड, ब्लॉक हाउस, नियंत्रण उपकरण और संचार केंद्र शामिल थे।
पहला परीक्षण:
- 25 फरवरी 1988 को सुबह 11:23 बजे ‘पृथ्वी’ मिसाइल का सफल प्रक्षेपण हुआ।
- यह भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम की एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।
- इसने भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्रों की श्रेणी में ला खड़ा किया।
3. ‘अग्नि’ मिसाइल का विकास
- ‘अग्नि’ मिसाइल को एक “टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन प्रोजेक्ट” के रूप में विकसित किया जा रहा था।
- इसमें देश के 500 से अधिक वैज्ञानिक शामिल थे।
- 20 अप्रैल 1989 को इसे प्रक्षेपित करने की योजना थी, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण इसे स्थगित करना पड़ा।
- वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और विश्लेषण के बाद 22 मई 1989 को ‘अग्नि’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया।
4. मिसाइल कार्यक्रम की चुनौतियाँ
- मिसाइल लॉन्चिंग में बहुत सी तकनीकी समस्याएँ आती हैं।
- कंप्यूटर द्वारा “होल्ड” संकेत मिलने पर वैज्ञानिकों को तत्काल सुधार करना पड़ता है।
- विपरीत मौसम और अन्य कठिनाइयाँ भी बाधा उत्पन्न करती हैं।
- डॉ. कलाम और उनकी टीम ने कभी हार नहीं मानी और निरंतर प्रयास करते रहे।
5. डॉ. अब्दुल कलाम के प्रेरणादायक विचार
- सफलता आसानी से नहीं मिलती, उसके लिए कठिन परिश्रम आवश्यक होता है।
- किसी भी असफलता को सीखने का अवसर मानना चाहिए।
- टीम वर्क से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं।
- अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समर्पण और आत्मविश्वास महत्वपूर्ण होते हैं।
6. मुख्य शब्दावली और मुहावरे
शब्द | अर्थ |
---|---|
युगांतरकारी | जो युग में बड़ा बदलाव लाए |
आत्मनिर्भर | जो स्वयं के संसाधनों से सक्षम हो |
अभूतपूर्व | पहले कभी न देखा गया |
झकझोरना | अंदर तक हिला देना |
चुटिंदा | विशेष रूप से चुना गया |
मुहावरे:
- दाँव पर लगाना – किसी बड़े कार्य के लिए जोखिम उठाना।
- झकझोर कर रख देना – किसी चीज को पूरी तरह प्रभावित करना।
7. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का योगदान
- भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक।
- ‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ मिसाइलों के सफल प्रक्षेपण में मुख्य भूमिका।
- भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में योगदान।
- विज्ञान और शिक्षा के प्रचार-प्रसार में योगदान।
- 2002 में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने।
- 2015 में निधन से पहले भी वे शिक्षा और युवाओं को प्रेरित करने का कार्य कर रहे थे।
8. अध्याय से सीखने योग्य बातें
- कठिनाइयों के बावजूद लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
- असफलता के बावजूद निरंतर प्रयास से सफलता मिलती है।
- देश के लिए कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए।
- वैज्ञानिक सोच और तकनीकी विकास से देश को आगे बढ़ाया जा सकता है।
9. निष्कर्ष
यह अध्याय हमें दृढ़ निश्चय, मेहनत और राष्ट्रभक्ति की सीख देता है। डॉ. कलाम की कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और समर्पण से सफलता प्राप्त की जा सकती है। भारत के मिसाइल कार्यक्रम की सफलता ने देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया और वैज्ञानिक प्रगति को एक नई दिशा दी।
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