(अ) असली गवाह (ब) जीवन
1. कहानी का परिचय
यह कहानी तेनालीराम की चतुराई और न्यायप्रियता को दर्शाती है। राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक हलवाई बालिंद्रन और दो अजनबी आते हैं। दोनों पक्ष सिक्कों की थैली पर अपना दावा करते हैं। न्याय करने के लिए तेनालीराम एक अनोखी तरकीब अपनाते हैं और असली अपराधी को पकड़ लेते हैं।
कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है और बुद्धिमत्ता से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
2. मुख्य पात्रों का परिचय
पात्र का नाम | विशेषताएँ |
---|---|
राजा कृष्णदेव राय | न्यायप्रिय, समझदार, प्रजा की भलाई के लिए तत्पर |
तेनालीराम | चतुर, तीव्र बुद्धि वाले, समस्या का हल खोजने में माहिर |
बालिंद्रन (हलवाई) | शहर का प्रसिद्ध हलवाई, सत्यवादी, ठगों का शिकार |
दो अजनबी (ठग) | चालाक, झूठे, दूसरों की संपत्ति हड़पने की कोशिश करने वाले |
3. कहानी का सारांश (विस्तृत विवरण)
(1) न्याय की गुहार
- एक दिन राजा कृष्णदेव राय अपने दरबार में थे।
- अचानक बाहर से किसी की आवाज आई – “दुहाई हो महाराज! मुझे न्याय चाहिए।”
- राजा ने देखा कि तीन लोग दरबार में लड़ते-झगड़ते आए।
- इनमें से एक प्रसिद्ध हलवाई बालिंद्रन था और बाकी दो अजनबी थे।
(2) विवाद का विषय
- बालिंद्रन राजा के पैरों में गिरकर बोला – “महाराज! ये दो ठग मेरी सिक्कों की थैली लूटना चाहते हैं और मुझे मारा भी है।”
- दूसरी ओर, अजनबियों ने कहा – “महाराज! यह हमारी थैली है। इसने हमारे सिक्के चुरा लिए हैं।”
- राजा इस उलझन में पड़ गए कि असली मालिक कौन है।
(3) तेनालीराम को समस्या सुलझाने की जिम्मेदारी
- राजा ने तेनालीराम को बुलाकर कहा – “इस समस्या का हल निकालो। असली अपराधी को सजा मिलनी चाहिए।”
- तेनालीराम ने तीनों से अलग-अलग पूछताछ की लेकिन कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला।
(4) तेनालीराम की चतुराई
- तेनालीराम को एक तरकीब सूझी।
- उन्होंने सैनिकों को आदेश दिया – “एक बड़े बर्तन में उबलता पानी लाओ।”
- सभी दरबारी यह देखकर चकित थे कि उबलते पानी का इस मामले से क्या संबंध है?
(5) असली गवाह का पता चला
- तेनालीराम ने सिक्कों की थैली से सभी सिक्के निकालकर गर्म पानी में डाल दिए।
- कुछ ही देर में पानी के ऊपर घी तैरने लगा।
- तेनालीराम ने राजा से कहा – “महाराज! अब दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।”
(6) सत्य की पहचान
- तेनालीराम ने समझाया – “हलवाई बालिंद्रन हर दिन मिठाइयाँ बनाता है, जिससे उसके हाथों में घी लग जाता है। सिक्के गिनते समय घी उन पर लग गया होगा।”
- जब सिक्कों को गर्म पानी में डाला गया, तो घी पिघलकर सतह पर आ गया।
- यह स्पष्ट हो गया कि सिक्के बालिंद्रन के हैं और अजनबी झूठ बोल रहे हैं।
(7) अपराधियों को सजा
- दोनों अजनबियों के चेहरे पीले पड़ गए।
- जब उन्होंने भागने की कोशिश की, तो सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया और जेल में डाल दिया।
- बालिंद्रन को उसकी सिक्कों की थैली वापस मिल गई।
(8) तेनालीराम का सम्मान
- राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम की चतुराई की प्रशंसा की।
- उन्होंने उसे उपहार और पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
4. कहानी से मिलने वाली सीख
- बुद्धिमानी से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है।
- सत्य की हमेशा जीत होती है।
- साक्ष्य और तर्क के बिना न्याय करना मुश्किल होता है।
- चालाकी और झूठ ज्यादा समय तक नहीं टिक सकते।
5. भाषा और व्याकरण बिंदु
मुहावरे और लोकोक्तियाँ
- दूध का दूध, पानी का पानी – सत्य का उजागर होना।
- आसमान से गिरा, खजूर में अटका – एक परेशानी से निकलकर दूसरी में फँस जाना।
विशेषण (Adjectives)
- न्यायप्रिय, चतुर, प्रसिद्ध, चालाक।
क्रियाएँ (Verbs)
- सोच-विचार करना, पूछताछ करना, पकड़ना, सिद्ध करना।
6. अभ्यास कार्य (होमवर्क के लिए उपयोगी प्रश्न)
- कहानी को अपने शब्दों में लिखिए।
- ‘न्याय’ शब्द का अर्थ लिखिए और वाक्य में प्रयोग कीजिए।
- तेनालीराम की बुद्धिमत्ता पर एक अनुच्छेद लिखिए।
- “सत्य की जीत होती है” विषय पर 100 शब्दों का निबंध लिखिए।
7. निष्कर्ष
यह कहानी तेनालीराम की बुद्धिमत्ता और न्यायप्रियता को दर्शाती है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे सूझबूझ से न्याय प्राप्त किया जा सकता है और सच को उजागर किया जा सकता है। यह हमें सिखाती है कि सच्चाई की हमेशा जीत होती है और झूठ को अंततः हार माननी पड़ती है।
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