दाे लघुकथाएँ
1. परिचय:
अकबर और बीरबल की कहानियाँ भारतीय लोक साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बीरबल अपनी बुद्धिमत्ता, हाजिरजवाबी और न्यायप्रियता के लिए जाने जाते थे। इस अध्याय में दो कहानियाँ दी गई हैं, जिनमें बीरबल की चतुराई और समस्याओं को हल करने की क्षमता को दर्शाया गया है।
2. प्रथम कथा – हरा घोड़ा
(क) कथा का सारांश:
एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल बाग में घूम रहे थे। चारों ओर हरियाली देखकर अकबर को विचार आया कि यदि उसके पास हरे रंग का घोड़ा होता, तो वह इस बगीचे में घूमने का और अधिक आनंद ले सकता था। अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर हरा घोड़ा लाकर दे।
बीरबल को मालूम था कि हरे रंग का घोड़ा अस्तित्व में नहीं होता, लेकिन उसने अकबर की परीक्षा को समझते हुए समस्या का समाधान अपनी चतुराई से निकाला। एक सप्ताह बाद बीरबल दरबार में पहुँचा और अकबर से कहा कि हरा घोड़ा मिल गया है, लेकिन उसके मालिक ने दो शर्तें रखी हैं:
- घोड़े को लेने के लिए बादशाह को स्वयं जाना होगा।
- घोड़ा सप्ताह के सात दिनों को छोड़कर किसी भी दिन दिखाया जा सकता है।
यह सुनते ही अकबर समझ गए कि उन्होंने एक असंभव कार्य के लिए बीरबल को आदेश दिया था। बादशाह बीरबल की चतुराई से प्रभावित हुए और उनकी बुद्धिमत्ता की सराहना की।
(ख) कहानी से मिलने वाली शिक्षाएँ:
- असंभव कार्यों को चतुराई से हल किया जा सकता है।
- बुद्धिमत्ता से कठिन से कठिन परिस्थितियों का समाधान किया जा सकता है।
- सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए, बिना सोचे-समझे कोई भी आदेश नहीं देना चाहिए।
3. द्वितीय कथा – कंजूस सेठ और चित्रकार
(क) कथा का सारांश:
एक कंजूस सेठ था, जो अपनी कंजूसी के लिए प्रसिद्ध था। उसने एक चित्रकार को अपना चित्र बनाने के लिए बुलाया। चित्रकार ने उसकी कई तस्वीरें बनाई, लेकिन सेठ ने हर बार बहाना बनाकर उसे पैसे देने से इनकार कर दिया।
परेशान होकर चित्रकार ने अपनी पत्नी को पूरी बात बताई। उसकी पत्नी ने उसे अकबर के दरबार में न्याय माँगने की सलाह दी। चित्रकार दरबार में पहुँचा और अपनी समस्या सुनाई। अकबर ने यह मामला बीरबल को सौंप दिया।
बीरबल ने समस्या को सुलझाने के लिए एक चतुर योजना बनाई। उसने चित्रकार से कहा कि वह तीन दिन बाद दरबार में सेठ का असली चित्र लेकर आए। तीन दिन बाद जब चित्रकार दरबार में पहुँचा, तो उसने सेठ के सामने एक बड़ा दर्पण रख दिया और कहा कि यही उसका असली चित्र है।
सेठ अपनी ही चाल में फँस गया और शर्मिंदा होकर चित्रकार को उसके पूरे पैसे दे दिए।
(ख) कहानी से मिलने वाली शिक्षाएँ:
- बेईमानी और चालाकी से बचना चाहिए।
- न्याय के लिए हमेशा आवाज उठानी चाहिए।
- बुद्धिमत्ता और तर्कशीलता से समस्या का समाधान किया जा सकता है।
- कलाकारों और उनके कार्य का सम्मान करना चाहिए।
4. मुख्य पात्रों का परिचय:
पात्र | चरित्र विशेषताएँ |
---|---|
अकबर | न्यायप्रिय और कुशल शासक, बीरबल की बुद्धिमत्ता का सम्मान करते थे। |
बीरबल | बहुत ही चतुर, हाजिरजवाब, बुद्धिमान और समस्या समाधान में निपुण। |
कंजूस सेठ | स्वार्थी, लालची और धोखेबाज। |
चित्रकार | मेहनती, ईमानदार लेकिन अन्याय का शिकार। |
चित्रकार की पत्नी | समझदार और दूरदर्शी, जिसने अपने पति को न्याय पाने की सलाह दी। |
5. कहानी से प्राप्त महत्वपूर्ण शिक्षाएँ:
- बुद्धिमानी और चतुराई से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
- अन्याय और धोखाधड़ी अधिक समय तक नहीं चल सकती।
- सत्य और न्याय की हमेशा विजय होती है।
- हमें किसी के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए।
- कलाकारों और उनकी कला का सम्मान करना चाहिए।
निष्कर्ष:
यह अध्याय हमें सिखाता है कि कठिन से कठिन समस्याओं को भी चतुराई और बुद्धिमत्ता से हल किया जा सकता है। बीरबल का व्यवहार हमें यह सिखाता है कि हमें कभी भी किसी के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए और सत्य की राह पर चलना चाहिए। इस कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि दूसरों को धोखा देने वाले अंततः खुद ही अपनी चाल में फँस जाते हैं।
Leave a Reply