विश्वव्यापक प्रेम
1. कवि का परिचय:
- नाम: राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज
- जन्म: 1909, यावली (महाराष्ट्र)
- मृत्यु: 1968
- प्रसिद्ध रचनाएँ: ग्रामगीता, लहर की बरखा
- मुख्य विचार: मानवता, समानता और शांति
2. कविता का सारांश:
इस कविता में कवि ने ईश्वर की सर्वव्यापकता और गुरु की कृपा का महत्व बताया है। उन्होंने यह समझाने का प्रयास किया कि ईश्वर हर जगह, हर रूप में विद्यमान हैं। प्रकृति के विभिन्न तत्वों के माध्यम से उन्होंने ईश्वर की व्यापकता को दर्शाया है।
3. मुख्य पंक्तियाँ और उनका भावार्थ:
- हर देश में तू, हर भेष में तू, तेरे नाम अनेक तू एक ही है।→ ईश्वर हर देश और हर रूप में मौजूद हैं, उनके कई नाम हो सकते हैं, लेकिन वे एक ही हैं।
- सागर से उठा बादल बन के, बादल से फटा जल हो करके।→ पानी का रूप बदलता रहता है, लेकिन तत्व एक ही रहता है। इसी प्रकार, ईश्वर भी अलग-अलग रूपों में विद्यमान हैं।
- चींटी से भी अणु-परमाणु बना, सब जीव जगत का रूप चला।→ छोटे से छोटे जीवों से लेकर विशाल पर्वतों तक, सबमें ईश्वर का अंश समाया हुआ है।
- यह दिव्य दिखाया है जिसने, वह है गुरुदेव की पूर्ण दया।→ यह ज्ञान हमें गुरु की कृपा से प्राप्त होता है, इसलिए गुरु का मार्गदर्शन बहुत आवश्यक है।
4. कविता से नए शब्द और उनके अर्थ:
शब्द | अर्थ |
---|---|
भेष | रूप, पोशाक |
रंगभूमि | रंगमंच |
नहर | पानी के बहाव का कृत्रिम मार्ग |
विशाल | बहुत बड़ा |
सौंदर्य | सुंदरता |
परमाणु | अति सूक्ष्म कण |
5. खादी ग्रामोद्योग पर भाषण के मुख्य बिंदु:
- खादी एक स्वदेशी वस्त्र है, जिसे चरखे द्वारा तैयार किया जाता है।
- यह ग्रामीण रोजगार का महत्वपूर्ण साधन है।
- महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन के तहत खादी को बढ़ावा दिया था।
- खादी उद्योग भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि में सहायक है।
- इसे महाराष्ट्र के खादी ग्रामोद्योग द्वारा उत्पादित किया जाता है और विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरता है:
- धागा निर्माण
- बुनाई प्रक्रिया
- वितरण और विक्रय
6. निष्कर्ष:
यह अध्याय हमें ईश्वर की सर्वव्यापकता, गुरु की कृपा, मानवता और प्रकृति की महत्ता को समझने का संदेश देता है। हमें यह सीख मिलती है कि हर व्यक्ति को समानता और प्रेम के भाव के साथ रहना चाहिए।
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