Summary For All Chapters – Balbharati English Class 7
Abdul Becomes a Courtier
Summary in Marathi
“अब्दुल बनतो दरबारी” ही कथा एका गरीब पण मेहनती मुलाची आहे, ज्याचं नाव अब्दुल. त्याला ज्ञान मिळवून मोठं व्हायचं होतं, पण त्याच्या वडिलांकडे पुस्तकांसाठी पैसे नव्हते. तरीही अब्दुल हार मानत नाही. तो एका श्रीमंत व्यापाऱ्याकडे नोकरी करतो आणि तिथल्या पुस्तकांतून खूप शिकतो. नंतर सम्राट त्याला कोंबड्यांच्या मुरगीखान्याची जबाबदारी देतो. अब्दुल हुशारीने स्वयंपाकघरातल्या उरलेल्या अन्नाने कोंबड्यांना खाऊ घालतो आणि पैसे वाचवतो. सम्राट प्रभावित होऊन त्याला ग्रंथालयाची जबाबदारी देतो. तिथे अब्दुल टाकून दिलेल्या रेशमी पिशव्यांपासून पुस्तकांसाठी सुंदर कव्हर बनवतो, खर्च न करता. शेवटी, त्याच्या बुद्धिमत्तेने आणि संयमाने सम्राट त्याला दरबारी बनवतो. ही कथा शिकवते की मेहनत, हुशारी आणि संयमाने आपण कोणतीही परिस्थिती बदलू शकतो आणि आपलं स्वप्न पूर्ण करू शकतो.
Summary in English
“Abdul Becomes a Courtier” is the story of Abdul, a poor but determined boy who dreams of gaining knowledge and rising in life. His father, a schoolmaster, cannot afford books, so Abdul finds a way by working as a clerk for a rich merchant. There, he reads the merchant’s books and learns subjects like philosophy and astronomy. Later, the Emperor assigns him to manage the Royal Murgikhana (poultry), which surprises Abdul, a scholar. Using his cleverness, he feeds the hens with kitchen scraps, keeping them healthy without spending money. Impressed, the Emperor makes him the library keeper. Abdul creatively uses discarded silk bags to make beautiful book jackets at no cost. Finally, his intelligence, patience, and hard work earn him the position of a courtier. This story teaches that with determination, smart thinking, and effort, anyone can turn challenges into opportunities and achieve their dreams.
Summary in Hindi
“अब्दुल बनता है दरबारी” एक गरीब लेकिन मेहनती लड़के अब्दुल की कहानी है, जो ज्ञान हासिल करके जीवन में आगे बढ़ना चाहता है। उसके पिता, जो एक स्कूलमास्टर हैं, किताबें नहीं खरीद सकते क्योंकि उनके पास पैसे कम हैं। फिर भी, अब्दुल हिम्मत नहीं हारता और एक अमीर व्यापारी के यहाँ क्लर्क की नौकरी करता है। वहाँ वह व्यापारी की किताबें पढ़कर दर्शन, खगोलशास्त्र जैसी चीजें सीखता है। बाद में सम्राट उसे मुर्गीखाने की देखभाल का काम देता है, जो उसे अजीब लगता है। अब्दुल चतुराई से रसोई के बचे हुए खाने से मुर्गियों को खिलाता है और पैसे बचाता है। सम्राट उससे खुश होकर उसे पुस्तकालय का प्रभारी बनाता है। वहाँ अब्दुल फेंके हुए रेशमी थैलों से किताबों के लिए सुंदर कवर बनवाता है, बिना खर्च के। अंत में, उसकी बुद्धि, धैर्य और मेहनत से सम्राट उसे दरबारी बना देता है। यह कहानी सिखाती है कि मेहनत और समझदारी से हर मुश्किल को मौके में बदला जा सकता है और सपने पूरे किए जा सकते हैं।
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